पटना:आरजेडीसदन से गायब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बचाव में उतर आयी है. पार्टी के विधायक इसको लेकर कई तरह की दलील पेश कर रहे हैं. उनका कहना है कि नेता प्रतिपक्ष की तबीयत खराब होने और कोर्ट के काम की वजह से वह सदन से गायब रहें.
बता दें कि 28 जून से शुरू हुए मॉनसून सत्र के दौरान कुल 21 बैठकें हुई. जिसमें नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव मात्र 2 दिन ही कुछ समय के लिए सदन पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने जनहित के एक भी सवाल नहीं उठाए.
लोकसभा चुनाव में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की थी. चुनावी सभा में जनता के सामने तेजस्वी यादव आक्रामक रूप में नजर आते थे. लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद नेता प्रतिपक्ष की जो भूमिका होती है, उस भूमिका में वो नजर नहीं आए. बिहार विधानमंडल के मॉनसून सत्र के दौरान भी नेता प्रतिपक्ष शुरू से गायब रहे. उनकी जगह पार्टी के दूसरे नेता सदन में उनकी कमी की भरपाई करते हुए नजर आए. तेजस्वी यादव के गायब होने के सवाल पर पार्टी ने हमेशा से गोल मटोल जवाब दिया है.
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बचाव में उतरी आरजेडी तेजस्वी यादव के बचाव में उतरी आरजेडी
बिहार में जब चमकी बुखार का कहर जारी था तब विपक्ष की तरफ से इनकी सुध लेने कोई नहीं गया. मामला बिगड़ते देख जब सरकार हरकत में आई. तब आरजेडी का एक शिष्टमंडल मुजफ्फरपुर पहुंचा और एसकेएमसीएच का निरीक्षण किया. अभी बिहार के कुल 12 जिले बाढ़ की चपेट में हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. विपक्ष का काम होता है कि जनहित के मुद्दों को उठाया जाए और सरकार को उस मुद्दे पर ध्यान आकर्षण दिलाया जाए. लेकिन सदन चलने के दौरान नेता प्रतिपक्ष ही गायब रहे. ऐसे में उनकी पार्टी के नेताओं में कुछ खास तेवर तो नजर नहीं आया, लेकिन तेजस्वी यादव के गायब रहने पर उनकी पार्टी के नेता कई तरह की दलील देते हुए जरूर नजर आए.
आरजेडी नेताओं की उम्मीद पर तेजस्वी ने फेरा पानी!
मॉनसून सत्र के आखिरी दिन भी आरजेडी नेताओं को उम्मीद थी कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव सदन में नजर आएंगे. लेकिन उस दिन भी नेता प्रतिपक्ष ने आना मुनासिब नहीं समझा. विपक्ष की तरफ से अब्दुल बारी सिद्दीकी ने राज्य में सड़क निर्माण में बड़े घोटाले का आरोप लगाते हुए इसकी जांच केंद्रीय सतर्कता आयुक्त से कराने के लिए सदन में वोटिंग कराया. लेकिन विपक्ष की तरफ से विधायकों की संख्या कम होने के इनकी मांगों को खारिज कर दिया गया.
सवालों के घेरे में नेता प्रतिपक्ष
सूत्रों की मानें तो नेता प्रतिपक्ष के सदन में नहीं आने से पार्टी के कुछ नेता नाराज हैं. उनका मानना है कि पार्टी के अंदर नेता प्रतिपक्ष की भूमिका बहुत अहम होती है. सदन के अंदर रूप रेखा सरकार के प्रति कैसा होगा, ये नेता प्रतिपक्ष ही तय करते हैं. बहरहाल ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सदन में नेता प्रतिपक्ष ही सवालों के घेरे में हैं.