पटना: तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ही नहीं महागठबंधन के नेता भी हैं. बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यह साबित किया कि एनडीए को तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने कड़ी टक्कर दी. बिहार में एनडीए ने सरकार जरूर बना ली, लेकिन इसके भविष्य को लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं. बीजेपी और जदयू के बीच के रिश्ते पहले जैसे नहीं रहे, लेकिन इस सवाल को उठाने में विपक्ष कमजोर पड़ रहा है. इसकी मुख्य वजह विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की बिहार से गैर मौजूदगी मानी जा रही है.
सत्ता पक्ष सवाल उठा रहा है कि आखिर तेजस्वी यादव का पॉलिटिकल टूरिज्म कब खत्म होगा. विशेषज्ञ भी नेता प्रतिपक्ष के तौर पर तेजस्वी यादव की राजनीतिक परिपक्वता पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
इन मौकों पर भी गायब थे तेजस्वी
सितंबर 2019 में हुई भारी बारिश के चलते पटना में जल जमाव हो गया था. राजधानी का बड़ा हिस्सा एक सप्ताह से अधिक समय तक डूबा रहा. उस समय तेजस्वी बिहार से बाहर थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद तेजस्वी 33 दिन गायब रहे थे. 2019 में उत्तर बिहार के कई जिलों में चमकी बुखार से बच्चों की मौत हुई थी. इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही भी सामने आई थी, लेकिन मुद्दे को भुनाने के लिए विपक्ष के नेता मौजूद नहीं थे.
राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार कहते हैं कि जब भी बिहार को जरूरत पड़ी है उस वक्त तेजस्वी यादव बिहार से गायब रहे हैं. वह अहम मौकों पर सरकार के लिए मुसीबत खड़ी कर सकते थे. वह अगर चाहें तो विपक्ष की मुखर आवाज बन सकते हैं, लेकिन हर कुछ दिन पर वह बिहार से गायब क्यों हो जाते हैं यह बड़ा सवाल है.
भाजपा नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा "चमकी बुखार हो या विधानसभा का बजट सत्र, पटना का जल जमाव हो या हाल में किसानों का प्रदर्शन. तमाम मौकों पर तेजस्वी यादव कहां चले जाते हैं? बिहार की राजनीति में उनकी गंभीरता कब नजर आएगी?"