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ETV भारत की मुहिम से भावुक हुए तेज प्रताप, कहा- 'बिहार का बेटा है अयांश, कुछ नहीं होने देंगे उसे' - Tej Pratap Yadav

ईटीवी भारत की मुहिम से भावुक होकर राजद (RJD) नेता तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने दुर्लभ बीमारी (Rare Diseas) से जूझ रहे 10 महीने के अयांश और उनके परिजनों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने अयांश को खूब दुलार किया. पढ़ें रिपोर्ट.

पटना
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Published : Aug 8, 2021, 10:42 PM IST

पटना:ईटीवी भारत की मुहिम 'अयांश को बचाना है' के साथ अब राजद (RJD) नेता तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) भी जुड़ गए है. उन्होंने 10 महीने के अयांश और उनके परिजनों से मुलाकात की. पटना के रूपसपुर में रहने वाला अयांश बेहद ही दुर्लभ और खतरनाक बीमारी (Rare Diseas) स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी (Spinal Muscular Atrophy) से जूझ रहा है.

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तेज प्रताप यादव ने ट्वीट कर कहा कि ''बिहार का बेटा है अयांश, कुछ नहीं होने देंगे उसे. आज अयांश के माता-पिता से मिलकर उसके इलाज के लिए आर्थिक मदद की. चूंकि बिहार में डबल इंजन की सरकार है, इसलिए राजद की ओर से मैं बिहार के मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री जी से अयांश की इलाज में सहायता की मांग करता हूं.''

उन्होंने आगे लिखा कि ''आप तमाम देशवासियों से मेरी हाथ जोड़कर प्रार्थना है कि बिहार का बेटा अयांश को जितना संभव हो सके उतनी सहायता राशि प्रदान करें. तस्वीरों के माध्यम से आयांश का BANK DETAILS आप सबों के साथ साझा कर रहा हूं.''

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बता दें कि राजधानी पटना के रूपसपुर (Rupaspur) इलाके में रहने वाले आलोक सिंह और नेहा सिंह के 10 महीने के बेटे अयांश को दुर्लभ बीमारी स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी है. इसके इलाज के लिए जिस इंजेक्शन की जरूरत होती है उसकी कीमत 16 करोड़ रुपए (Injection worth rupees 16 crores) है. इस बीमारी में बच्चे के शरीर के अंग धीरे-धीरे काम करना बंद कर देते हैं.

मेडिकल एक्सपर्ट की मानें तो इस बीमारी के लक्षण के साथ जन्म लेने वाले बच्चे अधिक से अधिक 2 साल तक जिंदा रह पाते हैं. फिर भी इसका अगर ठीक ढंग से ट्रीटमेंट हो जाए, तो बच्चे को नया जीवन मिल सकता है. यहां यह बताना भी जरूरी है कि शुक्रवार को अयांश का मुद्दा विधानसभा में भी उठा. शून्यकाल में बीजेपी के विधायक संजीव चौरसिया ने अयांश की बीमारी का मामला उठाया था और सरकार से संज्ञान लेने का आग्रह किया था.

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दुर्लभ बीमारियां यानी ऐसी स्वास्थ्य स्थिति या रोग जो बहुत कम ही लोगों में पाया जाता है. अलग-अलग देश में दुर्लभ बीमारियों के मतलब अलग-अलग होते हैं. 80 फीसदी तक दुर्लभ बीमारियां आनुवांशिक होती हैं. दुर्लभ बीमारियों पर राष्ट्रीय नीति-2021 के अनुसार आनुवंशिक रोग ( Genetic Diseases), दुर्लभ कैंसर (Rare Cancer), उष्णकटिबंधीय संक्रामक रोग (Infectious Tropical Diseases) और अपक्षयी रोग (Degenerative Diseases) शामिल हैं.

देश में 450 दुर्लभ बीमारियों की लिस्टिंग की गई है, जिनमें से सिकल-सेल एनीमिया, ऑटो-इम्यून रोग, हीमोफीलिया, थैलेसीमिया, गौचर रोग (Gaucher’s Disease) और सिस्टेम फाइब्रोसिस सबसे आम बीमारियां हैं. वैश्विक स्तर पर दुनिया में 7000 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं, जिन्हें दुर्लभ श्रेणी में रखा गया है. इनमें हटिन्गटन्स डिजीज, सिस्टिक फाइब्रोसिस और मस्क्युलर डिस्ट्रॉफी(Muscular Atrophy) वगैरह कुछ प्रमुख नाम हैं.

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