पटना:राष्ट्रीय जनता दल ने आखिरकार अपने 22 सालों के सफर में एक नया इतिहास रच डाला है. पहली बार किसी सवर्ण को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. इसके साथ ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी साथ चलने का संदेश देकर उनकी नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई है.
दरअसल, पिछले चुनाव में सवर्णों के आरक्षण को लेकर आरजेडी नेताओं ने जिस तरह से बयान बाजी की उसका बड़ा खामियाजा लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ा. उसके बाद से ही लगातार इस बात की चर्चा हो रही थी कि किस तरह समाज के सभी वर्गों को पार्टी से जोड़ा जाए.
निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा
इधर, रामचंद्र पूर्वे और तेज प्रताप यादव के बीच खबरें लगातार आ रही थी कि दोनों के बीच खटपट है. पिछले महीने ईटीवी भारत से बातचीत में रामचंद्र पूर्वे ने भी इच्छा जताई थी कि किसी दूसरे व्यक्ति को मौका मिलना चाहिए. बुधवार को पटना के विद्यापति भवन में आरजेडी के नवगठित राज्य परिषद की बैठक हुई. बैठक की अध्यक्षता राज्य निर्वाचन पदाधिकारी डॉ. तनवीर हसन ने की. इसमें जगदानंद सिंह को निर्विरोध निर्वाचन की औपचारिक घोषणा की गई.
ईटीवी संवाददाता की रिपोर्ट पहली बार कोई सवर्ण बना प्रदेश अध्यक्ष
जगदानंद सिंह के निर्वाचन से एक ओर जहां पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश की गई है. वहीं, पार्टी ने अपने 22 साल के इतिहास में पहली बार किसी सवर्ण को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपकर सवर्णों को लुभाने की भी कोशिश की है. इरादा और निशाना 2020 में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव है. आरजेडी में इस बड़े बदलाव पर बीजेपी ने तंज कसा है.
चुनाव में मिलेगा कितना फायदा
अगले साल होने वाले चुनाव में पार्टी को इसका कितना बड़ा फायदा मिलता है. जगदानंद सिंह लालू यादव के भी सबसे करीबी नेताओं में से माने जाते हैं. हाल में शिवानंद तिवारी ने जिस तरह से आरजेडी से पल्ला झाड़ा उससे भी यह कयास लगाए जा रहे थे कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेता नाराज चल रहे हैं. अब देखना है कि जगदानंद सिंह किस तरह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और युवा नेताओं के बीच सामंजस्य बिठा पाते हैं.