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Bihar Politics : बिहार में वोटों का समीकरण, कांग्रेस ने खेला मुस्लिम दांव! अब क्या करेंगे लालू?

कर्नाटक जीत से कांग्रेस उत्साहित है. जिसका असर बिहार में भी दिखने लगा है. कांग्रेस पार्टी ने अजीत शर्मा को हटाकर विधायक दल का नेता शकील अहमद खान को बनाया है. इस पर सियासत तेज हो गई है. कर्नाटक में कांग्रेस के जीत में मुसलमानों का अहम योगदान माना जा रहा है. अब कांग्रेस पार्टी कर्नाटक की तर्ज पर बिहार में भी मुस्लिम दांव खेलना शुरू कर दिया है. लालू प्रसाद यादव के पारंपरिक वोट बैंक पर अब महागठबंधन के घटक दलों की भी नजर है. कांग्रेस पार्टी अपने खोए हुए जनाधार को हासिल करने के लिए राजद के वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी कर चुकी है. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार में वोटों का समीकरण
बिहार में वोटों का समीकरण

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Published : Jun 4, 2023, 9:55 PM IST

बिहार में वोटों का समीकरण

पटना: लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है. वैसे वैसे बिहार में राजनीतिक सरगर्मीबढ़ रही है. कांग्रेस पार्टी ने एक मास्टर स्ट्रोक से लालू प्रसाद यादव को टेंशन में डाल दिया है. राष्ट्रीय जनता दल की राजनीतिक दीवार एमवाई समीकरण के बुनियाद पर खड़ी है. इसी समीकरण की बदौलत लालू हर चुनाव में एक करोड़ से अधिक वोट हासिल कर लेते हैं. लालू प्रसाद यादव के पारंपरिक वोट बैंक पर अब महागठबंधन के घटक दलों की भी नजर है. कांग्रेस पार्टी अपने खोए हुए जनाधार को हासिल करने के लिए राजद के वोट बैंक में सेंधमारी की तैयारी कर चुकी है.

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16 से 18% के बीच अल्पसंख्यक वोटर हैं:कांग्रेस पार्टी को ऐसा लग रहा था कि लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी की हिस्सेदारी को कम की जा सकती है. लिहाजा पहले तो अगड़ी जाति से आने वाले अखिलेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया और अब डॉक्टर शकील अहमद खान को विधायक दल का नेता बना कर सहयोगी दलों को चौंका दिया. आपको बता दें कि बिहार में 16 से 18% के बीच अल्पसंख्यक वोटर हैं. अल्पसंख्यक वोटों का ज्यादातर हिस्सा राजद के पक्ष में माना जाता है. राजद के अभ्युदय से पूर्व अल्पसंख्यक वोट कांग्रेस के साथ इंटैक्ट थी. अब कांग्रेसी वोट बैंक को वापस अपने खेमे में लाना चाहती है.

"कांग्रेस पार्टी तुष्टिकरण की राजनीति कर रही है. अल्पसंख्यक वोट बैंक के जरिए राजद को चुनौती देने की कोशिश में है. महागठबंधन में वोट बैंक को लेकर घमासान मचा हुआ है."- प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता

"हमारी पार्टी संगठन की मजबूती के लिए नेताओं को आगे करती है. डॉक्टर शकील अहमद दल के अनुभवी नेता हैं और उन्हें विधायक दल का नेता बनाया गया है. इसे राजद से जोड़कर देखना ठीक नहीं है."- राजेश राठौर, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस

विस चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेंस की खूब हुई थी आलोचना:विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद महागठबंधन के अंदर ही कांग्रेस पार्टी की खूब आलोचना हो रही थी. महागठबंधन के घटक दल आरोप लगा रहे थे कि कांग्रेस पार्टी ज्यादा सीटों पर लड़ी, लेकिन जीत बहुत कम सीटों पर हुई. कांग्रेस पार्टी को इतने अधिक सीटों पर नहीं लड़ना चाहिए था. महागठबंधन नेताओं का यह मानना था कि अगर कांग्रेस कम सीटों पर लड़ती तो महागठबंधन को बहुमत आ सकती थी. विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन महज 19 सीटों पर ही पार्टी के विधायक जीतकर विधानसभा पहुंचे. पार्टी लगभग एक चौथाई सीट पर ही जीत हासिल कर सकी.

"कांग्रेस पार्टी लालू प्रसाद यादव के कारवां को ही आगे बढ़ा रही है. अल्पसंख्यक पूरी तरह महागठबंधन के साथ इंटैक्ट हैं. राजद और कांग्रेस के बीच डॉक्टर शकील अहमद को लेकर कोई मतभेद नहीं है."- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता
"लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक दलों ने कसरत शुरू कर दी है. डॉक्टर शकील अहमद को आगे कर कांग्रेस पार्टी ने राजद को यह संदेश देने की कोशिश की है कि कांग्रेस को कमजोर नहीं आंका जाए. साथ ही साथ कांग्रेस आपने खोए हुए जनाधार को हासिल करना भी चाहती है."-डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पारंपरिक वोट बैंक को वापस लाना चाहती कांग्रेस:आपको बता दें कि पहले भी तारीक अनवर को कांग्रेस पार्टी में लाया गया था. अब डॉक्टर शकील अहमद को आगे किया गया है. कांग्रेस एक तीर से कई निशाना साधने की कोशिश में है. एक और दो कांग्रेश अपने पारंपरिक वोट बैंक को वापस लाना चाहती है तो दूसरी तरफ राजद को भी यह संदेश देना चाहती है कि हम आप के दबाव में नहीं है. लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस कम सीटों पर समझौता नहीं करेगी यदि एक संदेश है.

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