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बिहार उपचुनावः दो सीटों पर फतह पाने के लिए 'तेज' चाल में राजद, झोंक दी पूरी ताकत - etv bharat bihar

बिहार के उपचुनाव में राजद हर हाल में दोनों सीट जीतना चाहती है. इसके लिए पार्टी के तमाम छोटे-बड़े नेता को टास्क दिया गया है. राजद का दावा है कि जो पिछले साल नवंबर (बिहार विधानसभा चुनाव 2020) में नहीं हो सका था, इस बार होगा. सीटों के समीकरण के मुताबिक भी दोनों सीट अगर राजद के पाले में आती है, तो आगे 'खेला' हो सकता है. पढ़ें रिपोर्ट...

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Published : Oct 13, 2021, 4:18 PM IST

पटना: बिहार में तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव (Tarapur and Kusheshwarsthan By-Election) विधानसभा सीट पर 30 अक्टूबर को वोटिंग होनी है. ये उपचुनाव बिहार में इस बार कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण नजर आ रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने खास तौर पर इसके लिए पूरी ताकत झोंक दी है. राजद ने यह दावा किया है कि जो काम पिछले साल नवंबर में नहीं हो पाया इस साल नवंबर में हम कर दिखाएंगे.

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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में एनडीए को 125 सीटें, जबकि महागठबंधन को 110 सीटें मिली. इसके अलावा लोजपा एक, बसपा एक, निर्दलीय एक और 5 सीटों पर एआईएमआईएम की जीत हुई. 10 नवंबर 2020 को जब विधानसभा चुनाव के नतीजे आए, उसके बाद राष्ट्रीय जनता दल ने नतीजों पर सवाल उठाए. सवाल इस बात को लेकर उठाए कि कई विधानसभा सीटों पर राजद के उम्मीदवारों को कुछ मार्जिन से हराया गया. नतीजे घोषित करने में देर की गई और पोस्टल बैलट की गिनती कई जगहों पर नहीं की गई. इसे लेकर चुनाव आयोग में शिकायत भी राजद ने दर्ज कराई थी.

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चुनाव नतीजों के बाद जब सरकार बनी, उसके बाद बसपा और लोजपा के एक-एक विधायक जदयू में शामिल हो गए. जबकि निर्दलीय चुनाव जीतने वाले सुमित सिंह ने एनडीए सरकार को समर्थन दिया. जदयू के पास फिलहाल 43 विधायक हैं. दो विधायकों की मौत के बाद उनका आंकड़ा 41 तक पहुंच गया था, लेकिन बसपा और लोजपा के विधायक जदयू में शामिल हो गए, जिससे उनका आंकड़ा फिर से 43 हो गया.

बिहार में एनडीए की सरकार एक बार फिर बनी. लेकिन यह साफ तौर पर नजर आया कि महागठबंधन और एनडीए के बीच का फासला बहुत ज्यादा नहीं था. राजद नेता यह मानते हैं कि जनता का जनादेश तो हमारे पक्ष में था.

'विधानसभा चुनाव में एनडीए सरकार ने गड़बड़ी से नतीजे अपने पक्ष में कर लिए. लेकिन इस बार हम कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे. पिछले साल नवंबर में जो काम हम पूरा नहीं कर पाए, उस काम को इस साल नवंबर में अंजाम तक पहुंचाएंगे. इस बार सीट तो महज दो है लेकिन हमारे लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है. क्योंकि हमें अच्छी तरह मालूम है कि बिहार में जदयू और बीजेपी के बीच सब कुछ ठीक नहीं है. हम इस बात को जनता के बीच भी ले जाएंगे और पिछली बार जो गड़बड़ियां की गई, उसे इस बार नहीं दोहराने देंगे.'-एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

'जनता को एनडीए सरकार में किए गए विकास कार्यों के बारे में अच्छी तरह पता है. जदयू ने पिछली बार जिस तरह इन दोनों सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस बार भी बड़े फासले से जदयू दोनों सीटों पर जीत दर्ज करेगी.'-विनोद शर्मा, भाजपा नेता

'पिछली बार भी राजद नेताओं ने बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन जनता ने नीतीश कुमार पर भरोसा जताया. एक बार फिर बिहार की जनता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों पर अपना भरोसा जतायेगी और दोनों सीटों पर हम लोग आसानी से जीत दर्ज करेंगे.'-अरविंद कुमार निषाद, प्रदेश प्रवक्ता, जदयू

राजद की तारापुर और कुशेश्वरस्थान में तैयारी

  • बूथ स्तर पर स्थाई रूप से कमेटी का गठन
  • हर पंचायत में विधायक को दी गई जिम्मेदारी
  • पंचायत में ही रात्रि विश्राम करेंगे विधायक
  • क्षेत्र के तमाम राजद नेता प्रखंड स्तर पर लोगों से मिलेंगे
  • लोगों से पार्टी के पक्ष में वोट देने की अपील करेंगे

'सीट भले ही 2 हो, लेकिन महत्वपूर्ण इसलिए है, क्योंकि इस बार विधानसभा का गणित ही कुछ ऐसा है कि थोड़े से अंतर से सरकार बन सकती है या गिर सकती है. यह 2 सीटें अगर राजद के पाले में चली जाती है, तो भविष्य में किसी भी तरह की उलटफेर होने पर राजद का पलड़ा भारी रहेगा. उपचुनाव में वैसे भी पिछले कुछ सालों में हमेशा सत्ता पक्ष पर विपक्ष भारी पड़ा है. ऐसे में मुकाबला दिलचस्प होगा. राजद भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए इन 2 सीटों पर पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरा है. राजद ने अपनी जीत की उम्मीदों को देखते हुए उपचुनाव की 2 सीटों के लिए कांग्रेस से भी पंगा ले लिया. राजद अपने कैडर बेस्ड वोट और वामदलों के समर्थन के भरोसे है. चिराग पासवान की पार्टी की मौजूदगी भी एनडीए के वोटों पर असर डाल सकती है.'-डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

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