बिहार

bihar

ETV Bharat / state

बिहार के बाहर तेजस्वी के लिए चुनौती, राष्ट्रीय पार्टी के लिए RJD का पूर्वोत्तर में चलेगा दांव ?

आरजेडी एक बार फिर पूर्वोत्तर राज्यों में दांव आजमाने के लिए जाने वाली है. अगर आरजेडी का लक्ष्य सटीक तरह से पूरा हुआ तो उसे राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है.

Etv Bharat
rjd bihar patna tejaswi election

By

Published : Jan 13, 2023, 2:35 PM IST

पटना: देश में हर साल किसी न किसी के राज्य में चुनाव होता है. यह चुनाव हर पार्टी के लिए अहम होता है. इस साल जिन राज्यों में चुनाव होना है. उनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल है. प्रदेश में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल इनमें से मेघालय और नगालैंड में अपना दांव आजमाने जा रही है. खास बात यह कि ऐसा पहली बार होगा जब राष्ट्रीय जनता दल बिहार के बाहर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में इन राज्यों में अपना चुनाव लड़ेगा और अपना दमखम पेश करेगा.


ये भी पढ़ें- Nitish Cabinet Decisions: 41 एजेंडों पर लगी कैबिनेट की मुहर, शरद यादव के निधन पर एक दिन का राजकीय शोक



पूर्वोत्तर में है संगठन: आरजेडी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड समेत देश के 22 राज्यों में राजद का संगठन है. 2008 में मेघालय में पार्टी ने 12 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिसमें से आठ पर उसके उम्मीदवार दूसरे नंबर पर रहे थे. 4 सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे. दूसरे नंबर पर रहने वाले 8 सीटों पर वोट का मार्जिन 200 से 400 वोट के बीच रहा और पार्टी को करीब 6.3% मत प्राप्त हुए तब पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिला. मणिपुर में 10 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से चार पर उसे जीत हासिल हुई थी.

आलोक मेहता, मंत्री, बिहार
उम्मीदवार उतारने की है तैयारी:दरअसल पार्टी की पूरी तैयारी मेघालय में अपने संगठन को धार देने के साथ ही उम्मीदवार को उतारने की है. मिली जानकारी के अनुसार मकर संक्रांति के बाद राजद की एक विशेष टीम मेघालय जाएगी और उन सीटों का अध्ययन करेगी, जहां पर पार्टी को जीत मिलने की संभावना है. पार्टी द्वारा करीब ऐसी 12 सीटों को चुन भी लिया गया है. जहां पर उसे बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद है.

तेजस्वी के लिए भी बड़ी चुनौती: दरअसल 2007-08 के बाद इन राज्यों में राजद कांग्रेस पार्टी का समर्थन कर रहा था. उसके बाद धीरे-धीरे इन राज्यों में राजद की उपस्थिति कम होती चली गई. बदले हालात में राजद ने खुद को विस्तारित करने का फैसला किया है. डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में पार्टी इन राज्यों में अपना विस्तार करने की पूरी कोशिश कर रही है. यह पहला मौका होगा जब तेजस्वी के नेतृत्व में पार्टी बिहार से बाहर किसी दूसरे राज्य में अपने संगठन विस्तार को धार देने में लगी है. लिहाजा तेजस्वी यादव के लिए यह बहुत चुनौतीपूर्ण होगा.

दूसरी पार्टियों से मुकाबला: इन राज्यों में बेहतर प्रदर्शन को लेकर तेजस्वी यादव के ऊपर चुनौती तो होगी साथ ही साथ तेजस्वी की दूसरी सबसे बड़ी चुनौती उन पार्टियों से मुकाबला करने को भी लेकर रहेगी, जिसके साथ बिहार में उनकी सरकार है. मेघालय में अभी बीजेपी के समर्थन की सरकार है. लेकिन बिहार में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल कांग्रेस और जदयू मेघालय में चुनाव लड़ने की तैयारी में है. बीजेपी बिहार में विपक्ष में है लेकिन मेघालय में सत्तारूढ़ है. ऐसे में यह दोहरी चुनौती तेजस्वी किस प्रकार से स्वीकार करते हैं और उसका कैसे निराकरण होता है? यह देखना बहुत दिलचस्प होगा.

मिल चुका है प्रतिनिधि मंडल: राजद इन राज्यों में होने वाले चुनाव को लेकर कितनी तैयारी कर रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अभी हाल ही में नगालैंड राजद का एक प्रतिनिधि मंडल पटना आकर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात भी कर चुका है. इस प्रतिनिधिमंडल ने डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को नागालैंड की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी भी दी साथ ही साथ उन सीटों के बारे में भी बताया जहां पर मेहनत करने से पार्टी अपनी कामयाबी का झंडा लहरा सकती है.

पूर्वोत्तर का बन सकता है रास्ता: दरअसल पार्टी इन राज्यों में चुनाव को अपने संगठन के विस्तार के रूप में भी देख रही है, साथ ही साथ पार्टी इस संभावना को भी तलाश रही है कि अगर इन दोनों राज्यों में उसे सीट मिल जाती है तो पूर्वोत्तर के दूसरे राज्यों में पार्टी को पैठ बनाने का मौका मिल सकता है. पार्टी का यह भी मानना है कि अगर थोड़ी सी मेहनत कर दी जाए तो मणिपुर में उसे 10 से 12 सीटों पर जीत भी मिल सकती है. 2018 में मेघालय विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन 60 सदस्य विधायिका में उस 21 सीटों पर जीत मिली. राज्य में सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. वहीं 2018 के चुनाव से पहले नागालैंड में बना नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी और बीजेपी का गठबंधन अभी मजबूत दिख रहा है.




पार्टी का विस्तार प्राथमिकता: इस बारे में और जानकारी देते हुए पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव और भूमि और राजस्व विभाग के मंत्री आलोक मेहता कहते हैं कि इस बारे में संज्ञान किया जा रहा है. डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के द्वारा संज्ञान लिया जा रहा है कि पार्टी का विस्तार हो. पार्टी पहले भी विस्तृत थी. बीच में थोड़ी नैरो हो गई थी. इसकी वजह यह थी कि झारखंड में हमने 6% की तुलना में बहुत ही कम मार्जिन से कम मत प्राप्त हुए थे. इसकी वजह से हमारी जो नेशनल पार्टी थी, वह रीजनल पार्टी बन गई.

राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए मानक: नियम है कि 4 राज्यों में जब 6% वोट मिलता है तो उसके बाद नेशनल पार्टी बन जाती है. नागालैंड में हमें अच्छा प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे. मणिपुर में हमारे चार विधायक थे वहां भी 6% से ज्यादा वोट मिले थे. झारखंड में नेचुरल रूप से हमें ज्यादा वोट मिलता था और बिहार में हम हैं. इन चार राज्यों को मिलाकर हमारी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी बनी थी. तेजस्वी प्रसाद यादव की जो सोच है, पार्टी को लेकर कि इसका विस्तार होना चाहिए. वो विभिन्न भौगोलिक क्षेत्र में पार्टी के विस्तार की पक्षधर है.

''डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव और राष्ट्रीय प्रधान महासचिव अब्दुल बारी सिद्दीकी के समक्ष नागालैंड के कार्यकर्ता आए हुए थे और वहां संगठन मजबूत करने से लेकर आगामी चुनाव लड़ने की बात का प्रस्ताव दिया है. पार्टी की टीम वहां जा रही है. इस बात का मुआयना करने की हमारे क्या स्थिति है? पहले 6% से ज्यादा मत हमें प्राप्त हुए थे. आज की स्थिति बेहतर बताई जा रही है.''-आलोक मेहता, मंत्री, बिहार

ABOUT THE AUTHOR

...view details