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आरक्षण पर दलित विधायकों की बैठक से RJD ने किया किनारा, एकजुटता पर उठ रहे सवाल

जदयू विधायक ललन पासवान ने आरजेडी पर आरोप लगाते हुए कहा कि आरजेडी आरक्षण के इस मुद्दे में खलल डाल रही है.

पटना
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Published : Jun 12, 2020, 6:31 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा में सभी दलों के दलित विधायकों ने आरक्षण के मुद्दे पर आज पांचवी बैठक बुलाई थी. लेकिन आरजेडी के दलित विधायकों ने इस बैठक से पूरी तरह किनारा कर लिया. बता दें कि इससे पूर्व जीतन राम मांझी के आवास पर हुई बैठक में भी आरजेडी के दलित विधायक नहीं गए थे.

इस मामले पर जदयू विधायक ललन पासवान ने आरजेडी पर आरोप लगाते हुए कहा कि आरजेडी आरक्षण के इस मुद्दे में खलल डाल रही है. वहीं, अगली बैठक 22 जून को बुलाई गई है. लेकिन उससे पहले दलित विधायक 13 जून को राज्यपाल से मुलाकात कर बात करेंगे.

टूटने लगी दलित विधायकों की एकजुटता
बिहार विधानसभा में दलित विधायकों ने आरक्षण के मुद्दे पर पहले के 3 बैठकों में पूरी एकजुटता दिखाई थी. लेकिन चौथी बैठक से विधायकों की एकजुटता टूटने लगी और आज पांचवी बैठक में आरजेडी ने इस मामले से खुद को पूरी तरह से किनारा कर लिया. कांग्रेस के विधायक अशोक राम के आवास पर हुई बैठक में आरजेडी के एक भी विधायक नहीं पहुंचे.

'राज्यपाल से की जाएगी मुलाकात'
जदयू विधायक ललन पासवान ने कहा कि 11 विधायकों ने शुक्रवार को हुई बैठक में भाग लिया. उन्होंने कहा कि आपात बैठक में न्यायालय की ओर से जिस प्रकार के मंतव्य और फैसले दिए जा रहे हैं, उसको लेकर चर्चा हुई है. सभी विधायकों ने इस मुद्दे पर राज्यपाल से मिलने का निर्णय किया है. उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात होगी और फिर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से भी मुलाकात की जाएगी.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'किसी एक दल के कारण नहीं रुकेगा संघर्ष'
विधायक ललन पासवान ने कहा कि राजद इस मामले में खलल डाल रही है. किसी एक दल या एक नेता के कारण यह संघर्ष रुकने वाला नहीं है. पहले भी आरजेडी का आरक्षण के रवैए पर रवैया सही नहीं रहा है. उन्होंने आरक्षण को लेकर किये गए कार्यों को लेकर पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेई और पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार तारीफ भी की.

संघर्ष मोर्चा के अस्तित्व पर संकट
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा में 41 दलित विधायक हैं. लेकिन शुक्रवार को हुई बैठक में महज 11 विधायकों ने बैठक में भाग लिया. इस वजह से दलित विधायक संघर्ष मोर्चा के अस्तित्व पर ही सवाल खड़ा हो रहा है. साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. ऐसे में दलित विधायकों की एकजुटता चुनाव तक टिक पाती है या नहीं यह देखना दिलचस्प होगा.

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