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पहले चरण में RJD के इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर, NDA से है सीधा मुकाबला

बिहार में तीन चरण में चुनाव होने वाले हैं. पहले और दूसरे चरण के चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. वहीं, तीसरे चरण के नामांकन प्रक्रिया का आज आखिरी दिन है.

bihar assembly election 2020
bihar assembly election 2020

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Published : Oct 20, 2020, 7:28 PM IST

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव में कुछ ही दिन बचे हैं. पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होने वाला है. इसकी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस के दिग्गजों की फौज भी चुनाव से पहले प्रचार के लिए मैदान में उतर रही है. राजद की ओर से तेजस्वी यादव ने प्रचार में पूरी ताकत लगा दी है. राजद के कई प्रमुख नेताओं की प्रतिष्ठा पहले चरण में दांव पर है. लोजपा जाप और रालोसपा के प्रत्याशियों ने मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है.

उदय नारायण चौधरी का मांझी से मुकाबला
इमामगंज से बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी राजद के टिकट पर इस बार मैदान में हैं. उनके सामने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी हैं. साल 2015 में इमामगंज सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने जीत हासिल की थी. पिछली बार समीकरण उल्टा था जब जदयू के कैंडिडेट उदय नारायण चौधरी को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने करीब 29,000 वोटों से हराया था. हालांकि, साल 2010 के चुनाव में इमामगंज सीट पर उदय नारायण चौधरी ने जीत हासिल की थी. दो दिग्गजों के मैदान में होने और पिछले चुनाव के उलट समीकरण के कारण इस बार यहां का मुकाबला बेहद दिलचस्प होगा.

इमामगंज सीट से राजद प्रत्याशी उदय नारायण चौधरी

धोरैया सीट पर होती रही है जदयू की जीत
बांका जिले की धोरैया सीट पर सीपीआई का लंबे समय तक कब्जा रहा है. पिछले कुछ समय से इस सीट पर जदयू की जीत होती रही है. धोरैया से राजद प्रत्याशी भूदेव चौधरी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे और वे सांसद भी रह चुके हैं. रालोसपा छोड़कर राजद में शामिल हुए भूदेव चौधरी को प्रदेश उपाध्यक्ष भी बनाया गया है. इस बार भूदेव चौधरी को जदयू के वर्तमान विधायक मनीष कुमार टक्कर दे रहे हैं. राजद के लिए एक मजबूत पक्ष यह है कि उसे सीपीआई का समर्थन मिलेगा.

बांका विधानसभा सीट
यहां मुकाबला एक पूर्व मंत्री और वर्तमान मंत्री के बीच है. पहले राजद फिर जदयू और एक बार फिर राजद में लौटे पूर्व मंत्री जावेद इकबाल अंसारी इस बार बांका में ताल ठोक रहे हैं. उनके सामने बिहार के मंत्री रामनारायण मंडल हैं जो साल 2010 से लगातार बांका सीट पर जीत दर्ज करते आ रहे हैं.

हॉट सीट बना जमुई
जमुई से वर्तमान विधायक विजय प्रकाश मैदान में हैं, जिनके लिए इस बार मुकाबला आसान नहीं होने वाला है. जमुई विधानसभा सीट इस बार गोल्डन गर्ल के नाम से मशहूर पूर्व सांसद दिग्विजय सिंह की बेटी श्रेयसी सिंह के मैदान में उतरने के कारण हॉट केक बन गया है. भाजपा ने श्रेयसी सिंह को उम्मीदवार बनाया है वही एक और दिग्गज नरेंद्र सिंह के पुत्र और पूर्व विधायक अजय प्रताप भी रालोसपा के टिकट पर जमुई से चुनाव लड़ रहे हैं.

जमुई से राजद प्रत्याशी विजय प्रकाश

राम और रावण के बीच मुकाबला!
मोकामा से इस बार बाहुबली अनंत सिंह पर राष्ट्रीय जनता दल ने दांव लगाया है. पिछले कई टर्म से मोकामा से जीत दर्ज कर रहे अनंत सिंह पिछली बार यहां निर्दलीय चुनाव जीते थे. उसके पहले वे जदयू के टिकट पर लगातार जीत हासिल करते रहे. इस बार परिस्थितियां और समीकरण बिल्कुल उलट हैं जदयू ने मोकामा में अनंत सिंह के कार्यकाल को रावण राज की संज्ञा दी है और यहां का मुकाबला राम और रावण के बीच करार दिया है. जदयू ने राजीव लोचन नारायण को यहां से मैदान में उतारा है.

मोकामा से राजद प्रत्याशी अनंत सिंह

राजद के पास फिर आएगी सूर्यगढ़ा सीट?
लखीसराय की सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट पर इस बार राजद ने फिर से वर्तमान विधायक प्रहलाद यादव को मैदान में उतारा है. सूर्यगढ़ा में प्रहलाद यादव 1995 का चुनाव जीतकर राजद में शामिल हुए थे. साल 2000 और 2005 के फरवरी में हुए चुनाव में भी वे राजद के टिकट पर चुनाव जीते, लेकिन 2005 के अक्टूबर महीने में हुए चुनाव में बीजेपी के प्रेम रंजन पटेल ने यहां से जीत दर्ज की. 2010 के चुनाव में प्रेम रंजन पटेल फिर से चुने गए. 2015 के विधानसभा चुनाव में प्रहलाद पटेल ने फिर से राजद को यह सीट दिला दी. इस बार यह सीट भाजपा के खाते से निकलकर जदयू के पास चली गई है. जदयू ने रामानंद मंडल को मैदान में उतारा है, लेकिन उनके विरोध में जदयू के कई नेता बागी होकर मैदान में उतर गए हैं.

जीत का सिलसिला कायम रखने का दबाव
गया की बेलागंज विधानसभा सीट से बाहुबली सुरेंद्र यादव एक बार फिर राजद के टिकट पर मैदान में हैं. यहां से सुरेंद्र यादव पिछले 7 बार से विधायक रहे हैं और एक बार लोकसभा सांसद भी रहे हैं. इस बार बेलागंज में जदयू ने अभय कुशवाहा को सुरेंद्र यादव से मुकाबला करने के लिए मैदान में उतारा है. हत्या का प्रयास दंगा और किडनैपिंग के कई मामलों में आरोपी सुरेंद्र यादव के लिए लगातार जीत के सिलसिले को कायम रखने का दबाव है.

बेलागंज विधानसभा सीट से राजद प्रत्याशी सुरेंद्र यादव

मैदान में जगदानंद सिंह का बेटा
इन सीटों के अलावा कुछ ऐसी सीटें भी हैं जिनपर सबकी नजर है. राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह एक बार फिर रामगढ़ से मैदान में हैं हालांकि, वे अब तक जीत दर्ज नहीं कर पाए हैं. रामगढ़ में सीधा मुकाबला सुधाकर सिंह और भाजपा के अशोक सिंह के बीच है. ऐसे में इस बार सुधाकर सिंह पर पहली जीत हासिल करने का जबरदस्त दबाव है. सुधाकर सिंह से ज्यादा दबाव उनके पिता जगदानंद सिंह पर है जो शाहाबाद क्षेत्र के दिग्गजों में शुमार हैं.

आसान नहीं जहानाबाद में राजद की राह
ओबरा में राजद ने वर्तमान विधायक का टिकट काटकर पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह के बेटे ऋषि सिंह को पहली बार मैदान में उतारा है. वहीं जहानाबाद में राजद ने भारी विरोध के बावजूद वर्तमान विधायक सुदय यादव को फिर से टिकट दिया है. यहां से वर्तमान शिक्षा मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा चुनाव लड़ रहे हैं. जदयू ने इस बार उन्हें जहानाबाद से उतारा है. ऐसे में राजद के लिए इस बार जहानाबाद की राह आसान नहीं होगी.

वहीं भोजपुर के संदेश असेंबली सीट पर दुष्कर्म के मामले में फरार वर्तमान विधायक अरुण यादव की पत्नी किरण देवी को पार्टी ने टिकट दिया है. संदेश सीट पर जदयू के बिजेंद्र यादव के अलावा लोजपा से श्वेता सिंह और रालोसपा और जाप के प्रत्याशियों ने भी राजद के लिए राह मुश्किल कर दी है.

संदेश असेंबली सीट से राजद प्रत्याशी किरण देवी
तीन चरणों में चुनाव
इन प्रमुख विधानसभा सीटों के अलावा कई और ऐसी सीटे हैं. जिन पर सबकी नजरें टिकी हैं. इनमें मसौढ़ी, बड़हरा, शाहपुर, अतरी और नवादा विधानसभा सीटें हैं जिन पर मुकाबला दिलचस्प होने वाला है. बता दें कि पहले चरण में 28 अक्टूबर को 71 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. जिन में महागठबंधन की ओर से 42 सीटों पर राजद जबकि 21 पर कांग्रेस और 8 सीटों पर वाम दल के उम्मीदवार मैदान में हैं. बिहार चुनाव 2020 के पहले चरण में राजद की सीटिंग सीट आरा माले के खाते में चली गई. वहीं पालीगंज सीट पर पिछली बार चुनाव जीते जयवर्धन यादव जदयू में शामिल हो गए जिसके बाद यह सीट भी राजद ने माले को सौंप दी.

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