पटनाःसियासत में रंग कैसे बदलना है ये बिहार के पूर्व सीएम और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के मुखिया जीतन राम मांझी (Ex CM Jitan Ram Manjhi ) बखूबी जानते हैं. कभी भगवान राम के अस्तित्व पर बार-बार सवाल उठाने वाले मांझी को अब भगवान श्रीकृष्ण की याद (Jitan Ram Manjhi on lord krishna and ram) आई है. वैसे एक बार उन्होंने ये भी कहा था कि मैंने कृष्ण को नहीं देखा है, इसलिए मैं कृष्ण को भी नहीं मानता हूं. अब ऐसे में सवाल उठता है कि मांझी को कृष्ण जी क्यों याद आए.
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आखिर जीतन राम मांझी को कान्हा जी क्यों याद आए, वजह हैं लालू यादव. दरअसल बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हम प्रमुख मांझी की लालू के लिए संवेदना जागी है. चारा घोटाला मामले में लालू यादव (Lalu Yadav Convicted in Chara Ghotala) के एक बार फिर दोषी करार दिए जाने के बाद मांझी (Jitan Ram Manjhi on lalu yadav) ने उनकी तुलना श्री कृष्ण से कर दी. उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि श्री कृष्ण भी तो जेल गए थे.
जीतन राम मांझी के इस बयान के बाद बिहार की सियासत में चर्चाओं का बाजार गर्म है, कि आखिर माजरा क्या है? कहीं मुकेश सहनी की तरह जीतन राम मांझी का मोह भी एनडीए से भंग तो नहीं होने लगा. लालू यादव से इतनी हमदर्दी आखिर क्यों? कहीं मांझी बिहार में सियासी बदलाव तो नहीं चाहते. क्योंकि कहीं ना कहीं बिहार की सियासत में इस बात की चर्चा है कि मांझी भी मुकेश सहनी की तरह एनडीए से नाराज चल रहे हैं. हालांकि इन बयानों को लेकर मांझी की पार्टी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है.
'राम और कृष्ण के अस्तित्व पर मांझी ने कभी सवाल नहीं उठाए. उन्हें तो बस उनके चरित्र की चर्चा की है. जीतन राम मांझी ने लालू की परेशानी अपने शब्दों में बयां की है और यह भी संकेत दिया है कि इतनी उम्र होने के बाद जब उन्हें दोषी करार दिया गया, फिर भी उनके बेटे तेजस्वी उनके साथ नहीं थे'-दानिश रिजवान, राष्ट्रीय प्रवक्ता
वहीं, जब उनसे पूछा गया कि लालू यादव को लेकर जिस तरह की संवेदना जीतन राम मांझी दिखा रहे हैं, क्या उसके कुछ और भी मायने हैं, इस पर दानिश रिजवान (HAM Leader Danish Rizwan) ने ऐसी किसी भी संभावना से इंकार किया और उन्होंने साफ कहा कि मांझी के इस बयान का कोई और मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए.