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गरीब पूछ रहे सवाल, कब लौटेगी पटरी पर जिंदगी? - कोरोना वायरस

पटना जंक्शन और महावीर मंदिर के पास सैकड़ों की संख्या में दुकानें हैं. चांदनी चौक मार्केट है, ऑटो स्टैंड और नगर बस सेवा की बसें भी यहां से खुलती है. बड़ी संख्या में रिक्शा चालकों की रोजी रोटी भी यहां से चलती है. लेकिन जब वाहन नहीं है, ट्रेन नहीं चल रही, लोगों की आवाजाही बंद है, तो इन रिक्शा चालकों की कौन पूछे.

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Published : May 7, 2020, 1:49 PM IST

पटनाः देश में लॉक डाउन का आज 44 वां दिन है. वहीं, 17 मई तक फिलहाल पूरे देश में लॉकडाउन है. कुछ चुनिंदा सेवाओं को छूट जरूर दी गई है, फिर भी गरीबों का हाल बुरा है. राजधानी में बड़ी संख्या में ऐसे रिक्शा चालक, ऑटो चालक, ठेला वाले और मजदूर हैं. जो नालंदा सुपौल, भोजपुर आदि जिलों से आकर रिक्शा चला कर अपना भरण-पोषण करते हैं. सब के सब बेहाल हैं और इस इंतजार में हैं कि कब पटरी पर लौटेगी जिंदगी.

सड़कों पर सन्नाटा

कब पटरी पर लौटेगी जिंदगी
पटना जंक्शन और महावीर मंदिर के पास सैकड़ों की संख्या में दुकानें हैं. चांदनी चौक मार्केट है, ऑटो स्टैंड और नगर बस सेवा की बसें भी यहां से खुलती है. बड़ी संख्या में रिक्शा चालकों की रोजी रोटी भी यहां से चलती है. लेकिन जब वाहन नहीं है, ट्रेन नहीं चल रही, लोगों की आवाजाही बंद है, तो इन रिक्शा चालकों की कौन पूछे.

देखें पूरी रिपोर्ट

रिक्शा चालकों के सामने भूखमरी की स्थिति उत्पन्न
ऐसे ही एक रिक्शा चालक भोला ने अपनी आपबीती ईटीवी भारत को सुनाई. भोला यादव ने बताया कि लॉक डाउन से हमे बहुत परेशानी हो रही है. भूखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है. अगर कोई आस पास से गुजरता हुआ खाने का पैकेट दे जाता है, तो पेट भर जाता है. लेकिन घर से दूर अकेले यहां फंसे हुए हैं, पता नहीं कब लॉक डॉन खुलेगा, कब खुद कमा सकेंगे और खा सकेंगे, कब घर जा सकेंगे.

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