पटना:बिहार की डिप्टी सीएम रेणु देवी (Renu Devi) के भाई रवि प्रसाद उर्फ पिन्नू पर पटना के पटेल नगर (Patel Nagar) में करोड़ों रुपये की जमीन जबरन कब्जा करने का आरोप लगा है. इस मामले में अपना नाम आने पर रेणु देवी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर नाराजगी जताई है.
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2015 से नहीं की भाई से बात
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पूरे बिहार वासियों और देशवासियों को मैं अपना परिवार मानती हूं. देशभर के सभी लोग मेरे भाई और बहन हैं, लेकिन किसी ने मेरे नाम का गलत इस्तेमाल नहीं किया. रवि कुमार के साथ मेरा नाम जोड़ा जा रहा है. यह गलत है. 2015 से हमारा संबंध खत्म हो चुका है. सात साल से हमारी कोई बातचीत नहीं है. इसके बावजूद उसके साथ मेरा नाम जोड़ा गया.
बिहार में है मंगल राज
रेणु देवी ने कहा, "मैं पिछड़े समाज से आती हूं और महिला हूं इसलिए मेरा नाम किसी के साथ भी जोड़ा गया. अपने 42 वर्षों के सामाजिक जीवन में मैंने आज तक कोई गलत काम नहीं किया ना ही मेरे बेटे ने किया है. जिससे मेरा कोई रिश्ता ही नहीं है उसके साथ मेरा नाम जोड़ा जा रहा है. यदि किसी ने कोई अपराध किया है तो प्रशासन अपना काम जरूर करेगी."
"बिहार में जंगलराज नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कि सरकार में मंगल राज है. जो गलती करेगा उसे सजा मिलेगी. पुलिस और प्रशासन अपना काम पूरी मुस्तैदी के साथ कर रही है."- रेणु देवी, उपमुख्यमंत्री
क्या है मामला?
रेणु देवी के भाई रवि प्रसाद उर्फ पिन्नू पर पटेल नगर में करोड़ों रुपये की जमीन पर जबरन कब्जा करने का आरोप लगा है. जमीन मालिक ब्रह्मानंद सिंह और श्रवण कुमार ने CM से लेकर तमाम आलाधिकारियों को इस संबंध में शिकायत पत्र दिया है. जमीन मालिक ने जानकारी दी है कि डिप्टी सीएम का भाई पिन्नू हथियार से लैस होकर अपने गुर्गों के साथ उनकी जमीन पर पहुंचा और जबरन जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की. जब जमीन मालिक ने विरोध किया तो पिन्नू ने अपने गुर्गों से कहा कि इसे उठाकर डिप्टी सीएम आवास ले चलो.
21 जून को आया था कब्जा करने
जमीन मालिक ब्रह्मानंद सिंह ने आरोप लगाया है कि 21 जून को रवि प्रसाद 4-5 गाड़ियों में सवार होकर कुछ आपराधिक तत्व के साथ उनकी जमीन पर कब्जा करने के लिए आया था. उन लोगों ने जमीन पर चाहरदीवारी बनाने की शुरुआत कर दी थी. इस बात की जानकारी ब्रह्मानंद ने शास्त्रीनगर थाने को दी. बार-बार शिकायत करने के बाद भी मौके पर पुलिस नहीं पहुंची. काफी देर तक पुलिस का इंतजार करने के बाद भी जब थाने से मदद नहीं मिली तो ब्रह्मानंद सिंह खुद जमीन कब्जा करने वालों का विरोध करने के लिए आगे बढ़े. उन्हें पता चला कि जमीन कब्जा करने आए लोग सत्ताधारी दल के परिवार से जुड़े हैं.
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