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हाईटेक हुई बिहार पुलिस, FIR और केस डायरी का रखा जा रहा ऑनलाइन रिकार्ड - record of fir and case diary is being kept online

बिहार के सभी थानों को अब डिजिटाइजेशन किया जा रहा है. जिससे कंप्यूटराइज्ड तरीके से काम किया जाएगा. ताकि जरूरत के अनुसार अधिकारी केस से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सके.

पुलिस मुख्यालय
पुलिस मुख्यालय

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Published : May 17, 2020, 3:33 PM IST

Updated : May 18, 2020, 4:39 PM IST

पटना: बिहार पुलिस ने नई पहल की शुरुआत की है. राज्य के थानों के रिकॉर्ड को कंप्यूटराइज्ड किया जा रहा है. थानों में मौजूद 10 सालों तक के तमाम पुराने रिकॉर्ड या डाटा को कंप्यूटराइज्ड किया जा रहा है. बता दें कि पटना जिले में इस पर 2019 में ही काम शुरू कर दिया था. इसके लिए गांधी मैदान थाना में एक सेंटर भी बनाया गया. जहां जिले भर के थानों के रिकॉर्ड मंगा कर उन्हें डिजिटाइज किया जा रहा है.

जानकारी के मुताबिक अब 30 जिलों में यह काम शुरू हो चुका है. लॉकडाउन के कारण इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी जरूर है. लेकिन डिजिटाइजेशन के बाद सभी रिकॉर्ड को कंप्यूटर में अपलोड कर दिया जाएगा. डिजिटाइजेशन का मकसद सभी थानों के रिकॉर्ड को कंप्यूटराइज्ड का डिजिटल फॉर्म में ऑनलाइन रखना है. इसके बाद पुलिस अधिकारी अपने क्षेत्राधिकार से जुड़े थाने के किसी भी रिकॉर्ड को ऑनलाइन देख सकते हैं.

गुप्तेश्वर पांडे, DGP बिहार

2020 तक काम पूरा करने का लक्ष्य
वहीं, पुलिस मुख्यालय ने अक्टूबर 2020 तक का लक्ष्य पूरा करने का सभी जिलों को निर्देश दिया है. जिसमें अभी महज बिहार के 30 जिलों में काम चल रहा है. आने वाले कुछ ही दिनों में बाकी के जिलों में भी रिकॉर्ड को कंप्यूटराइज्ड करने का काम शुरू कर दिया जाएगा.

कोतवाली थाना, पटना

CCTNS योजना के तहत होगा काम
बता दें कि कई राज्यों में यह काम पूरा कर लिया गया है. अधिकारियों के मुताबिक देश के सभी थानों को सीसीटीएनएस परियोजना के तहत इसे जोड़ना है. इसको लेकर राज्य में अलग-अलग यह काम हो रहा है और कई राज्यों में यह कार्य हो चुका है. वहां रिकॉर्ड कंप्यूटर पर अपलोड कर दिया गया है. वहीं, बिहार समेत कुछ राज्यों में रिकॉर्ड के डिजिटाइजेशन का काम जारी है.

देखें पूरी रिपोर्ट

एक क्लिक पर लें सकेंगे जानकारी
इस डिजिटाइजेशन के पूरा होने के बाद एफआईआर, जब्त सूची, अदालत से जुड़े आदेश, वारंट और केस का रिकॉर्ड आसानी से एक क्लिक पर दिख जाएगी. हालांकि यह पुलिस अधिकारियों के क्षेत्राधिकार तक सीमित होगा. यानी सर्किल इंस्पेक्टर अपने सर्किल तो डीएसपी पूरे अनुमंडल का रिकॉर्ड देख सकते हैं. वहीं, प्रथम चरण में राज्य के 894 थानों को इससे जोड़ना है. बाकी के थानों को दूसरे चरण में जोड़ा जाएगा. जहां 10 साल का रिकॉर्ड के कंप्यूटर पर अपलोड होने के बाद यह सिलसिला चलता रहेगा.

Last Updated : May 18, 2020, 4:39 PM IST

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