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रियलिटी चेक: बेघरों के लिए खोले गए रैन बसेरों को सहारे की जरूरत - Reality check of rain basera

बिहार में कड़ाके की ठंड से जनजीवन प्रभावित हो रहा है. दिसंबर में रिकॉर्ड तोड़ सर्दी से लोग घरों में दुबकने को मजबूर है. कड़ाके की ठंड के बीच प्रशासन ने गरीबन तबके के लोगों के लिए तैयारियां पूरी कर ली है. इस बीच पटना में चार रैन बसेरों का ईटीवी भारत ने जायजा लिया.

रैन बसेरों का रियलिटी चेक
रैन बसेरों का रियलिटी चेक

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Published : Dec 25, 2020, 10:46 PM IST

पटना:दिसम्बर के महीने में कड़ाके की ठंड से निपटने के लिए प्रशासन ने कई बड़े-बड़े दावे किए थे. प्रशासन ने गरीब तबके के लोगों के लिए पर्याप्त वयवस्था किए जाने की भी बात कही थी. लेकिन ईटीवी भारत की टीम पटना जंक्शन पर पहुंची तो सच्चाई ठीक इसके उलट थी. गरीब लोगों के रहने के लिए शहर में कई जगह रैन बसेरा बना हुआ है. कई लोगों को रैन बसेरा के बारे में जानकारी भी नहीं है. इसलिए लोग मजबूर होकर सड़कों पर खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं.

रैन बसेरों का रियलिटी चेक
सर्दी की आहट के बीच पटना शहर में बने चार रैन बसेरों का ईटीवी भारत ने जायजा लिया. साथ ही रैन बसेरा में कार्यरत कर्मचारियों से बात भी की. गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन के सामने रैन बसेरे में ईटीवी भारत की टीम रात 12:30 बजे पहुंची. रैन बसेरे में 24 बेड लगे हुए हैं जबकि 18 से 19 लोग सोए हुए नजर आए.

खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर लोग

लोगों को रैन बसेरे की जानकारी नहीं
रैन बसेरा का क्या फायदा जब गरीब तबके के लोगों को ही इसका लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं स्टेशन पर यात्री उतरते हैं और कई बार देर रात होने के बाद वाहनों की सुविधा नहीं मिल पाती है, तो वहीं स्टेशन पर ठंड में ठिठुरते हुए रात गुजारते हैं. वही कुछ लोगों ने यह भी बताया कि रैन बसेरा के बारे में जानकारी नहीं है. कुछ मजदूरों का कहना है कि उन्हें रैन बसेरों में सोने की इजाजत नहीं दी जाती है.

फुटपाथ पर सोते गरीब तबके के लोग

असल में गरीब लोग आज भी सड़क किनारे सोए नज़र आते है. रिक्शा वाला, ठेले वाले जैसे हजारो ऐसे लोग हैं जो खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है. यहां 25 बेड का रैन बसेरा सिर्फ दिखावा और छलावा नजर आता है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम द्वारा खबर को प्रमुखता से दिखाने के बाद रैन बसेरे में लोगों को सोने दिया जा रहा है.

रैन बसेरे में 24 बेड लगे हुए

'जो लोग भी रैन बसेरे में पहुंचते हैं, उनका आधार कार्ड देखकर एंट्री करके उनको सोने की अनुमति दी जाती है. रैन बसेरे में आए लोगों के लिए रजाई, गद्दा और तकिया भी उपलब्ध कराया जाता है. बता दें कि रैन बसेरा में साफ सुथरा सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जाता है'- अखिलेश, कर्मचारी रैन बसेरा

रैन बसेरों में सुविधाओं का अभाव
वहीं, नवल कुमार जो रैन बसेरे में रुके थे उन्होंने बताया कि जो लोग सो रहे हैं उनको पानी पीने की व्यवस्था नहीं है. सिर्फ सोने के लिए सरकार व्यवस्था की है. रैन बसेरे में सुविधाओं के नाम पर भी कुछ नहीं मिल रहा है.

पटना में रैन बसेरों का रियलिटी चेक

'रैन बसेरे में बिस्तर और बिजली व्यवस्था है, लेकिन शौचालय और पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में रैन बसेरे में पानी पीने कहां जाएंगे. सरकार और प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए'- नवल कुमार, मजदूर

रैन बसेरे से कर्मचारी नदारद
वहीं, जब ईटीवी भारत की टीम सचिवालय के पास बने रैन बसेरे पहुंची तो वहां गेट खुला हुआ था. काफी लोग सोये हुए थे पर रैन बसेरे में रहने वाले कर्मचारी गायब थे. सरकार जो गरीबों की बात करती है. इस ठंड के महीने में रैनबसेरा बनाकर सरकार कोरम पूरा करने का काम करती है.

वहीं, ईटीवी भारत की टीम रियलिटी चेक करने के लिए पटना के कई रैन बसेरा में पहुंचे तो पाया कि रैन बसेरा में एक दो लोग ही सोए नजर आए. जबकि रैन बसेरा में 25 बेड लगे हुए हैं. सच्चाई ईटीवी के कैमरे में कैद हो गई और जिला प्रशासन की पोल खुल गई.

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