पटना:दिसम्बर के महीने में कड़ाके की ठंड से निपटने के लिए प्रशासन ने कई बड़े-बड़े दावे किए थे. प्रशासन ने गरीब तबके के लोगों के लिए पर्याप्त वयवस्था किए जाने की भी बात कही थी. लेकिन ईटीवी भारत की टीम पटना जंक्शन पर पहुंची तो सच्चाई ठीक इसके उलट थी. गरीब लोगों के रहने के लिए शहर में कई जगह रैन बसेरा बना हुआ है. कई लोगों को रैन बसेरा के बारे में जानकारी भी नहीं है. इसलिए लोग मजबूर होकर सड़कों पर खुले आसमान के नीचे रात बिताने को मजबूर हैं.
रैन बसेरों का रियलिटी चेक
सर्दी की आहट के बीच पटना शहर में बने चार रैन बसेरों का ईटीवी भारत ने जायजा लिया. साथ ही रैन बसेरा में कार्यरत कर्मचारियों से बात भी की. गांधी मैदान स्थित ज्ञान भवन के सामने रैन बसेरे में ईटीवी भारत की टीम रात 12:30 बजे पहुंची. रैन बसेरे में 24 बेड लगे हुए हैं जबकि 18 से 19 लोग सोए हुए नजर आए.
लोगों को रैन बसेरे की जानकारी नहीं
रैन बसेरा का क्या फायदा जब गरीब तबके के लोगों को ही इसका लाभ नहीं मिल रहा है. वहीं स्टेशन पर यात्री उतरते हैं और कई बार देर रात होने के बाद वाहनों की सुविधा नहीं मिल पाती है, तो वहीं स्टेशन पर ठंड में ठिठुरते हुए रात गुजारते हैं. वही कुछ लोगों ने यह भी बताया कि रैन बसेरा के बारे में जानकारी नहीं है. कुछ मजदूरों का कहना है कि उन्हें रैन बसेरों में सोने की इजाजत नहीं दी जाती है.
असल में गरीब लोग आज भी सड़क किनारे सोए नज़र आते है. रिक्शा वाला, ठेले वाले जैसे हजारो ऐसे लोग हैं जो खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर है. यहां 25 बेड का रैन बसेरा सिर्फ दिखावा और छलावा नजर आता है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम द्वारा खबर को प्रमुखता से दिखाने के बाद रैन बसेरे में लोगों को सोने दिया जा रहा है.