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RCP सिंह ने नेपोलियन बोनापार्ट से की CM नीतीश की तुलना, कहा- निराशा में डूबे बिहार को जगमगाया

आरसीपी सिंह ने पार्टी के कार्यकर्ताओं से साथ संवाद शुरू की है. इस क्रम उन्होंने छात्र जदयू और शिक्षा प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए.

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Published : Jul 8, 2020, 8:25 AM IST

जेडीयू
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पटना: जदयू के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा में दल के नेता आरसीपी सिंह ने पार्टी के प्रकोष्ठों के साथ से संवाद शुरू की है. आरसीपी सिंह ‘गूगल मीट’ और ‘फेसबुक लाइव’ के माध्यम से हजारों की संख्या में जुड़े छात्र जदयू और शिक्षा प्रकोष्ठ के पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं से रूबरू हुए. छात्र जदयू के ‘ट्यूजडे टाॅक’ और शिक्षा प्रकोष्ठ के ‘मंगल शिक्षा संवाद’ का भी उद्घाटन किया.


आरसीपी सिंह ने कहा कि शिक्षा का मतलब किसी भी चीज को खुले नजरिए से देखना. वहीं, विरोधी दल पर निशाने पर साधते हुए उन्होंने कहा कि आपको अपने आस पास नकारात्मक ऊर्जा वाले लोग भी मिलेंगे, आप उनसे पूछिए कि आपके समय में शिक्षा का कितना बजट था? 1990 से 2005 के दौरान 15 वर्षों का कुल बजट 2 लाख 15 हजार करोड़ था. वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में आज बिहार का केवल एक साल का बजट 2 लाख 11 हजार करोड़ का है.

'शिक्षा के पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम किया'

आरसीपी सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केवल शिक्षा ही नहीं बल्कि उसके पूरे इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम किया. 15 साल पहले बिहार में एक भी केन्द्रीय विश्वविद्यालय नहीं था, आज दो-दो हैं. उनसे पहले के 15 साल में एक भी मेडिकल काॅलेज नहीं खुला, आज 20 से ऊपर हैं, तब बिहार में गिने-चुने पाॅलिटेकनिक काॅलेज थे आज हर जिले में पाॅलिटेकनिक और इंजीनियरिंग काॅलेज हैं. तीन-तीन नए विश्वविद्यालय अस्तित्व में आए, आर्यभट्ट के नाम पर नाॅलेज विश्वविद्यालय बना. कृषि विश्वविद्यालय, आईआईटी, एनआईटी, एनआईआईएफटी जैसे तमाम संस्थान आज बिहार में हैं. एएनएम काॅलेज, जीएनम काॅलेज, बीएड काॅलेज बड़ी संख्या में हैं. इन्हीं 15 वर्षों में 07 प्राइवेट यूनिवर्सिटी भी बिहार में खुलीं.

'राजनीति में सकारात्मक भूमिका निभाएं'
आरसीपी सिंह ने छात्रों और शिक्षकों का आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी बिहार के लोगों से जाकर पूछिए कि आपको कैसा बिहार चाहिए? ज्ञान का या अंधकार का? उन्होंने कहा कि हम सबके नेता नीतीश कुमार नेपोलियन बोनापार्ट के कथन बिल्कुल खरे उतरते हैं. 2005 में उन्होंने निराशा में डूबे बिहार को जो आशा दिलाई, उसे पूरा किया. बिहार में कानून का राज हो, शिक्षा हो, बिजली हो, सड़क हो या फिर समाज सुधार के अभियान, उन्होंने तमाम छोटी-बड़ी चीजों पर ध्यान दिया और बिहार के समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त किया. वहीं, उन्होंने छात्रों से कहा कि राजनीति में भी सकारात्मक भूमिका निभाएं.

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