पटना: बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस को लेकर दिए विवादित बयान पर टकरार जारी है. इसी बीच राजद के दो और नेताओं के बयानों ने आग में घी डालने का काम किया है. सेना और स्वतंत्रता सेनानियों पर आरजेडी नेताओं के विवादित बयान पर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने निशाना साधते हुए एक ट्वीट किया है. इसमें आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार को नसीहत दे डाली है.
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बोले आरसीपी सिंह- 'सीएम नीतीश अपने मंत्रियों को समझाएं':आरसीपी सिंह ने कहा कि इस बिहार को हो क्या गया है. सीएम को अपने मंत्रियों को भारत के संविधान और सनातन धर्म की परंपरा के बारे में समझाना चाहिए. मंत्रियों को जो मन में आता है बोलते रहता है. रामचरितमानास क्या चर्चा का विषय हो सकता है? ये सब सुनकर बच्चे हंसेंगे.
"चंद्रशेखर महान है. हमलोग एक ही चंद्रशेखर को जानते थे. चंद्रशेखर आजाद ने देश के लिए कुर्बानी दी थी और ये लोग क्या कर रहे हैं? जात और धर्म के नाम पर समाज को कैसे तोड़ा जाए, इसी काम में लगे हुए हैं."-आरसीपी सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री
क्या कहा था शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने?: शिक्षा मंत्री ने रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया देते हुए कहा था कि 'रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने वाला है. समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उनका हक दिलाने से रोकता है. मनुस्मृति ने समाज में नफरत का बीज बोया. मनुस्मृति को बाबा साहब अंबेडकर ने इसलिए जलाया क्योंकि वह दलितों और वंचितों के हक छीनने की बातें करती है.'
मंत्री सुरेंद्र यादव का सेना को लेकर दिया बयान: सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव से जब पूछा गया कि क्या 2024 में बीजेपी कुछ बड़ा करने जा रही है? तो उन्होंने पहले जवाब देते हुए कहा कि बीजेपी का सुपड़ा 2024 में साफ होने वाला है. उन्होंने 'पुलवामा अटैक' (Pulwama Attack 2019) की तरफ इशारा करके उसे बीजेपी द्वारा करवाया गया हमला बताने का संकेत देकर सियासत में भूचाल ला दिया. उन्होंने कहा कि बीजेपी चुनाव के समय कुछ भी करवा सकती है. हो सकता है फिर से आर्मी पर हमला करवाया जाए या ये भी हो सकता है कि किसी देश पर हमला करे.
मंत्री आलोक मेहता का विवादित बयान: राजस्व मंत्री आलोक मेहता ने 10 फीसदी रिजर्वेशन पाने वालों को अंग्रेजों का दलाल करार दे डाला. उन्होंने कहा कि ये लोग अंग्रेजों के जमाने में मंदिरों में घंटी बजाते थे. जगदेव बाबू ने दलित, शोषित, पिछड़े और वंचितों के उत्थान की लड़ाई लड़ी, जिनकी हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है. उन्हें समाज में कोई सम्मान नहीं मिलता था. अंग्रेजों ने जाते वक्त सैकड़ों एकड़ जमीन देकर जमींदार बना दिया. जबकि मेहनत, मजदूरी करने वाले आज तक भूमिहीन बने हुए हैं. मंत्री आलोक मेहता का इशारा आर्थिक आधार पर मिलने वाले आरक्षण (ईडब्ल्यूएस) में शामिल लोगों के लिए था.