पटना: जनता दल यूनाइटेड के अंदर आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) को संगठन का नेता माना जाता था. उनसे नीतीश की नजदीकी अब दूरी में बदल गई है. एक समय था जब छोटे बड़े हर फैसले के लिए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) आरसीपी सिंह से विचार-विमर्श करते थे. ऐसे में जो बदलाव हुए हैं उसे देख लोगों को बहुत अचरज है. ये भी कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार के इशारे पर जदयू आरसीपी सिंह की राजनीति को हाशिये (RCP Singh JDU Rift) पर पहुंचाने की रणनीति बनाने में लगी है.
आरसीपी सिंह के खिलाफ JDU की अप्रत्यक्ष कार्रवाई:केंद्रीय मंत्रीआरसीपी सिंह के समर्थकों पर कार्रवाई की गई है. पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया है. जदयू प्रवक्ता अजय आलोक (JDU spokesperson Ajay Alok), जदयू महासचिव अनिल कुमार (JDU General Secretary Anil Kumar), जदयू महासचिव विपिन कुमार यादव (JDU General Secretary Vipin Kumar Yadav) और समाज सुधार सेनानी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष जितेंद्र नीरज (Social Reform Fighter Cell President Jitendra Neeraj) को पद से मुक्त करते हुए प्राथमिक सदस्यता से भी निलंबित (JDU expelled many leaders) कर दिया गया है. कहा जा रहा है कि 40 से अधिक लोगों की लिस्ट भी पार्टी नेतृत्व ने तैयार की है जिस पर कार्रवाई की तैयारी हो रही है.
केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफे की मांग: जेडीयू नेता व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh politics) अपने कार्यकाल का 1 साल भी पूरा कर सकेंगे या नहीं कल तक इस सवाल का जवाब देने से जनता दल यूनाइटेड के सभी नेता कतराते थे लेकिन अब जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने बड़ा बयान (Upendra Kushwaha statement on RCP) देते हुए कहा था कि आरसीपी सिंह को कार्यकाल पूरा करने से पहले ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देना चाहिए (RCP Singh Resignation Issue) . उपेंद्र कुशवाहा के बयान से साफ हो गया है कि शायद आरसीपी सिंह अपने कार्यकाल का 1 साल भी पूरा नहीं कर सकेंगे. राज्यसभा में आरसीपी सिंह का कार्यकाल 7 जुलाई को खत्म हो रहा है. अब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से ही आरसीपी सिंह को उम्मीदें हैं
नीतीश से बढ़ती दूरी:पिछले डेढ़ दशक से नीतीश कुमार से नजदीकी के कारण आरसीपी सिंह का सिक्का जदयू में बोलता रहा. नीतीश कुमार के बाद दो नंबर कुर्सी के दावेदार माने जाते रहे हैं. जदयू में आरसीपी सिंह का कद इसी से पता चलता था कि बिना उनकी अनुमति के विधानसभा लोकसभा और विधान परिषद के लिए उम्मीदवार बनना संभव नहीं था. पार्टी में ललन सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के रहते हुए आरसीपी सिंह केंद्र में मंत्री बन गए. लेकिन केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ही आरसीपी सिंह की पार्टी पर पकड़ कमजोर होती गई.
हाशिए पर RCP सिंह की पॉलिटिक्स!:आज स्थिति यहां तक आ गई कि राज्यसभा के लिए उन्हें उम्मीदवार तक नहीं बनाया गया. केंद्र में मंत्री पद भी जाना तय है. जिस बंगले में पिछले 10 सालों से भी अधिक समय से रह रहे थे वह भी हाथ से चला गया और चुन-चुन कर उनके समर्थकों पर कार्रवाई भी होने लगी है. अभी तक आधा दर्जन उनके समर्थकों पर कार्रवाई हो चुकी है जिसमें दो प्रवक्ता सहेली मेहता और अजय आलोक शामिल हैं. उसके अलावा पार्टी मुख्यालय में संगठन का कामकाज देख रहे अनिल कुमार, विपिन यादव जैसे नेताओं पर भी गाज गिरी है. अब सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि 40 से अधिक समर्थकों की लिस्ट तैयार की गई है उन्हें चेतावनी दी जा रही है और अनुशासन के नाम पर आने वाले दिनों में उनपर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है. आरसीपी सिंह को पूरी तरह से पंगु बनाने की कोशिश जदयू में हो रही है. एक तरह से आरसीपी सिंह को राजनीतिक रूप से हाशिए पर पहुंचाने की रणनीति तैयार की गई है.
"सोशल मीडिया का जमाना है और अनुशासनहीनता की गतिविधियां बर्दाश्त नहीं की जाएगी. वैसे लोगों के लिए यह कार्रवाई एक चेतावनी है. कोई पार्टी के खिलाफ बोलता है तो निश्चित रूप से पार्टी एक्शन लेती है कार्रवाई करती है."- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष,जदयू