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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर बन रहा द्वापर जैसा दुर्लभ संयोग, जानिए इस दौरान पूजन का महत्व - Patna News

इस बार जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) के दिन वैसे ही दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जैसे द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय थे. ऐसे में श्रद्धालुओं में श्रीकृष्ण जन्म उत्सव का खासा उत्साह देखा जा रहा है. इस दुर्लभ संयोग में कैसे की जाए पूजा और क्या है पूजा का महत्व, पढ़ें ये रिपोर्ट..

पटना
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Published : Aug 29, 2021, 6:03 AM IST

Updated : Aug 29, 2021, 10:40 PM IST

पटना:भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव का पर्व जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) भादो माह में मनाई जाती है. श्रीकृष्ण ने रोहिणी नक्षत्र के वृष लग्न में जन्म लिया था. इस बार भी रोहिणी नक्षत्र और हर्षण योग इस कृष्ण जन्माष्टमी को और खास बना रहे हैं.

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ज्योतिषाचार्य और पुजारियों के अनुसार इस बार जन्माष्टमी बहुत ही खास है और इस बार की जन्माष्टमी में विशेष योग यानी की जयंती योग भी पड़ रहा है. इसी जयंती योग के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था.

देखें रिपोर्ट

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के खास महत्व, पूजन की विधि और इस वर्ष होने वाले कृष्ण जन्माष्टमी के विशेष संयोग की जानकारी जब ईटीवी भारत की टीम ने पटना के कदमकुआं इलाके के शक्ति शिव मंदिर के पुजारी जगता नंद मिश्र से ली तो उन्होंने बताया कि इस वर्ष होने वाले जन्माष्टमी कई मायनों में विशेष संयोग लेकर आ रही है.

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''इस जन्माष्टमी को अष्टमी तिथि की अर्धरात्रि को रोहिणी नक्षत्र प्रवेश कर रहा है और अष्टमी में रोहिणी नक्षत्र का प्रवेश करने से इस वर्ष होने वाले जन्माष्टमी में जयंती योग बन रहा है. यह योग बहुत दुर्लभ होता है. इस योग में कोई भी कार्य करने से सफलता हासिल होती है. पंडित जगतानंद बताते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा करने से लोगों के हर कार्य और कामनाएं पूरी होती है.''-जगता नंद मिश्र, शक्ति शिव मंदिर प्रधान पुजारी

इस मामले की जानकारी देते हुए पंडित जगता नंद ने बताया कि जन्माष्टमी की पूजा भगवान श्रीकृष्ण के मनपसंद चीजों के साथ करनी चाहिए. जैसे लोगों को भगवान श्रीकृष्ण को माखन का भोग लगाने के साथ-साथ उनकी स्तुति के जरिए भगवान का पूजन करना चाहिए.

पंडित शारदानंद मिश्र बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म लोगों के कल्याण के लिए ही धरती पर हुआ था और भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कंस के कारागार में अर्ध रात्रि को हुआ था और उस अर्ध रात्रि को अष्टमी तिथि थी, रोहिणी नक्षत्र था और उस दिन भी जयंती योग ही था, जब भगवान श्री कृष्ण ने धरती पर अवतरित हुए थे. करीब 100 सालों के बाद इस वर्ष अर्ध रात्रि को रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी का प्रवेश हो रहा है.

''कृष्ण जन्माष्टमी के अंत रात्रि को भी इस वर्ष जयंती योग बन रहा है, यह एक विशेष योग है. खास करके इस कोरोना काल में ये संजोग बनना लोगों के लिए अमृत के समान है. व्रत करने वाले लोग दिनभर उपवास रहकर रात्रि में भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की पूजन करें और पूरी रात अपने भाई बंधुओं या समाज के लोगों के साथ जागरण कर सुबह प्रसाद को खाकर भगवान का आशीर्वाद लेकर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना में रम जाएं.''- शारदानंद मिश्र, शक्ति शिव मंदिर पुजारी

Last Updated : Aug 29, 2021, 10:40 PM IST

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