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राजेश राम बन सकते हैं बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष, प्रभारी ने आलाकमान को सुझाया नाम - Madan Mohan Jha

जिन राजेश राम को बिहार कांग्रेस के नए अध्यक्ष की रेस में सबसे आगे बताया जा रहा है, वो जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं. औरंगाबाद के कुटुंबा से उन्होंने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है. दलित समुदाय से होने के साथ-साथ इनकी एक बड़ी खासियत ये भी है कि ये गुटबाजी से दूर रहते हैं.

Rajesh Ram
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Published : Jul 4, 2021, 1:22 PM IST

पटना/नई दिल्ली: बिहार कांग्रेस को जल्द ही नया अध्यक्ष मिलने वाला है. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक औरंगाबाद के कुटुंबा से विधायक राजेश राम (Rajesh Ram) को ये महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है. पार्टी के प्रदेश प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakt Charan Das) ने कांग्रेस आलाकमान को उनका नाम सुझाया है.

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जमीन से जुड़े नेता हैं राजेश
राजेश राम दूसरी बार कांग्रेस के विधायक बने हैं. वे दलित समुदाय से आते हैं और कार्यकर्ताओं के बीच रहते हैं. कई गुटों में बंटी कांग्रेस में राजेश राम वैसे नेता हैं, जो किसी भी गुट के नहीं माने जाते हैं. स्वतंत्र रूप से पार्टी के लिए काम करते हैं और जमीन से जुड़े रहते हैं.

दलित नेता को मिलेगी जिम्मेदारी!
बिहार में कांग्रेस सवर्ण और दलित वोट बैंक पर फोकस कर रही है. विधायक दल के नेता अजीत शर्मा है, जोकि भूमिहार जाति से आते हैं. बिहार प्रभारी भक्त चरणदास खुद दलित हैं. राजेश राम को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस दलितों को साधने की कोशिश करेगी. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था. 70 सीटों पर कांग्रेस लड़ी थी. 19 सीट जीत पाई थी. उसके बाद मौजूदा अध्यक्ष मदन मोहन झा ने इस्तीफे की पेशकश की थी.

अशोक राम भी मजबूत दावेदार
वैसे प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में राष्ट्रीय महासचिव तारिक अनवर, राज्यसभा सांसद अखिलेश सिंह, वरिष्ठ नेता अशोक राम का नाम भी शामिल है. अशोक राम भी दलित समुदाय से ही आते हैं. ऐसे में अगर राजेश राम के नाम पर आलाकमान तैयार नहीं हुआ तो अशोक राम को अध्यक्ष बनाया जा सकता. दूसरे नंबर पर उनका ही नाम चल रहा है. वे बिहार से 6 बार विधायक रह चुके हैं. विधायक दल के नेता भी रह चुके हैं. मौजूदा समय में कार्यकारी अध्यक्ष हैं.

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कांग्रेस में टूट का खतरा
आपको बताएं कि बिहार कांग्रेस में कुल 19 विधायक हैं. आए दिन खबरें आती रहती है कि 14-15 विधायक जेडीयू में शामिल हो सकते हैं. इसलिए पार्टी में टूट को रोकने के लिए आला कमान विधायकों में से ही नया अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर सकता है. बिहार कांग्रेस के चार कार्यकारी अध्यक्ष हैं. जिसमें कौकब कादरी, श्याम सुंदर सिंह धीरज, अशोक राम एवं समीर सिंह हैं. इन चारों की जगह चार नए कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त हो सकते हैं, जो अभी मौजूदा दौर में विधायक हैं. कार्यकारी अध्यक्ष के तौर पर ब्राह्मण, भूमिहार और ओबीसी नेताओं को तरजीह दी जा सकती है. विधायकों को जिम्मेदारी देकर पार्टी में कांग्रेस टूट बचाना चाहती है.

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