पटना:पटना जंक्शन परिसर में सोमवार को ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के बैनर तले काफी संख्या में मौजूद रेल कर्मियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. कर्मचारियों ने रेलवे के निजीकरण और 30 वर्ष की सेवा दे चुके 55 वर्ष से अधिक आयु के कर्मियों के जबरन रिटायरमेंट के विरोध में ये प्रदर्शन किया. पांच दिवसीय विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की.
ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के संयुक्त सचिव एके शर्मा ने बताया कि केंद्र सरकार की नीतियां रेल कर्मचारियों के विरोध में है. उन्होंने बताया कि ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के आह्वान पर ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के बैनर तले 30 वर्ष की सेवा दे चुके 55 वर्ष से अधिक आयु के रेल कर्मियों के जबरन रिटायरमेंट को लेकर कड़ा विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके साथ ही रेलवे के निजीकरण का भी पुरजोर विरोध कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि रेलवे की निजीकरण और कर्मचारियों के जबरन रिटायरमेंट के विरोध में ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन 14 सितंबर से 19 सितंबर तक अलग-अलग प्रकार से विरोध प्रदर्शन करेगा. सोमवार से इस विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की गई है.
'विरोध प्रदर्शन सांकेतिक रूप से होगा'
एके शर्मा ने बताया कि विरोध प्रदर्शन सांकेतिक रूप से होगा. सभी कर्मचारी ड्यूटी के साथ-साथ विरोध प्रदर्शन कार्यक्रम में शामिल होंगे. पांचों दिन विरोध प्रदर्शन के तौर पर अलग-अलग प्रकार से विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे. एक दिन रेलवे कॉलोनी में मशाल जुलूस निकलेगा, तो 1 दिन बाइक रैली निकलेगी. 19 सितंबर के दिन काला फीता बांधकर सभी रेल कर्मचारी विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार नई वैकेंसी बहुत कम निकाल रही है. हजारों लाखों पढ़े-लिखे नौजवानों को घर में बैठना पड़ रहा है. रेलवे में यात्री किराया भी दिन-प्रतिदिन बढ़ते जा रहा है. सेफ्टी भी रेलवे अच्छी तरह से नहीं दे पा रहा है. रेलवे में वैकेंसी के लिए तीन चार साल पहले युवकों ने फार्म अप्लाई किया था मगर अब तक परीक्षाएं नहीं ली गई हैं.
'कोई नई वैकेंसी नहीं निकलेगी'
ईसीआरकेयू के संयुक्त सचिव ने बताया कि केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि रेलवे में अगले 3 साल तक कोई नई वैकेंसी नहीं निकलेगी. ये सरकार के तरफ से पढ़े-लिखे बेरोजगार युवाओं पर बहुत बड़ा कुठाराघात है. उन्होंने कहा कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत रेलवे ने तेजस ट्रेन चलाया, मगर रेल कर्मचारी ये जानना चाहते हैं कि लॉकडाउन के भीषण संकट के समय इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के कर्मचारियों ने मालगाड़ी चलाई और देश के विभिन्न दूरदराज इलाकों तक खाद्यान्न सामग्री को पहुंचाया. ऐसे में क्या ये कर्मचारी तेजस जैसी ट्रेन क्यों नहीं चला सकते हैं? यह वह जानना चाहते हैं.