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बेटे तेजप्रताप की नाराजगी दूर कर लालू के पास लौट गईं राबड़ी, तेजस्वी पहले से दिल्ली में मौजूद

राबड़ी देवी (Rabri Devi) की पहल पर तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव के बीच की जारी जंग थमती दिख रही है. पटना से दिल्ली जाने से पहले वो खुद तेजप्रताप के आवास गईं. जहां मां-बेटे ने एक साथ लालू यादव के बेहतर स्वास्थ्य के लिए मां दुर्गा की अराधना की. मीडिया से बात करते हुए कहा कि उपचुनाव में दोनों सीटों पर आरजेडी (RJD) की जीत तय है.

राबड़ी
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Published : Oct 14, 2021, 10:24 PM IST

पटना: पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (Rabri Devi) गुरुवार को आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) से मिलने दिल्ली चली गईं हैं. माना जा रहा है कि जिस मकसद से वो रविवार को अचानक पटना आईं थीं, उसमें कामयाब रहीं हैं. नाराज चल रहे बड़े बेटे तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) को उन्होंने मना लिया है. मां की बातों का असर था कि तेजप्रताप ने अपने बयानों से पहले ही जता दिया था कि वह छोटे भाई तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से नाराज नहीं हैं.

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दरअसल तेजप्रताप यादव के बगावती तेवर को देखते हुए मां राबड़ी देवी 10 अक्टूबर को सीधे दिल्ली से पटना पहुंची थीं और एयरपोर्ट से सीधे तेज प्रताप के सरकारी आवास पर पहुंच गईं थीं. हालांकि तेजप्रताप आवास पर नहीं थे, ऐसे में उनकी मुलाकात नहीं हो सकी थी. वहीं तेजप्रताप ने 11 अक्टूबर को अपनी मां राबड़ी देवी से उनके सरकारी आवास पर पहुंचकर भेंट की थी. उस वक्त तेजस्वी वहां मौजूद नहीं थे. बताया जाता है कि तेजस्वी यादव के सिवान जाने की खबर मिलने के बाद ही तेजप्रताप अपनी मां राबड़ी देवी से मिलने आवास पर पहुंचे थे.

मां-बेटे के बीच इस दौरान काफी देरतक बातचीत हुई. सूत्र बताते हैं कि राबड़ी ने तेजप्रताप से नाराजगी की वजह पूछी और उन्हें हर तरीके से समझाया. उन्हें लालू का संदेश दिया. पार्टी की रणनीति और सियासी नफा-नुकसान से लेकर तमाम गिले-शिकवे पर खुलकर बात कीं. मां के समझाने और पिता की बातों का असर हुआ और तेजप्रताप का गुस्सा कम हुआ. जिसके बाद ये तय हुआ कि वे न तो पार्टी के विरोध में कोई बयान देंगे और न ही ऐसी कोई कदम उठाएंगे, जिससे पार्टी और परिवार के लिए मुश्किलें बढ़े.

राबड़ी देवी की बातों का ही असर है कि तेजप्रताप ने तारापुर और कुशेश्वरस्थान उपचुनाव (Tarapur and Kusheshwarsthan by-elections) में आरजेडी प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव प्रचार करने से मना कर दिया है. इतना ही नहीं उन्होंने दुर्गा पूजा में छोटे भाई तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद भी दिया. तेजप्रताप ने कहा कि उनके और तेजस्वी के बीच कोई भी अनबन नहीं है. फालतू की अफवाह उड़ाई जा रही है. इसके पहले दोनों भाई के बीच की तनातनी की खबरें मीडिया की सुर्खियां बन रहीं थीं.

आपको याद ही होगा कि कांग्रेस और आरजेडी में चल रही खींचतान के बीच बिहार कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक राम ने कुछ दिनों पहले तेजप्रताप से मुलाकात की थी. कुशेश्वरस्थान से अशोक राम के बेटे अतिरेक कुमार चुनाव लड़ रहे हैं. मुलाकात के बाद अशोक राम ने कहा था कि तेजप्रताप ने आश्वासन दिया है कि वे अतिरेक के चुनाव प्रचार में कुशेश्वरस्थान जाएंगे.

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वैसे तो तेजप्रताप की नाराजगी की कई वजह है. जगदानंद सिंह और शिवानंद तिवारी से लेकर तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव तक से उनकी नाराजगी है, लेकिन पिछले दिनों जिस तरह से तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए आरजेडी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम शामिल नहीं किया गया, उससे उनकी नाराजगी और बढ़ गई.

हालांकि खुलकर कभी भी दोनों भाइयों ने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी नहीं की है. 11 अक्टूबर को जेपी जयंती के मौके पर तेजप्रताप ने पद यात्रा निकाली थी. इसको लेकर तेजस्वी ने तेजप्रताप को शुभकामनाएं भी दी थी. वहीं, गुरुवार को महानवमी के दिन राबड़ी देवी ने पहले अपने सरकारी आवास पर व्रत पूजन और कन्याओं को भोजन कराया, उसके बाद अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के सरकारी आवास पर गईं. वहां भी तेज प्रताप के साथ हवन किया. लालू यादव के बेहतर स्वास्थ्य के लिए राबड़ी देवी और तेज प्रताप यादव ने नवरात्र में मां की अराधना की.

मां-बेटे की बॉन्डिंग और दिल्ली निकलने के दौरान राबड़ी देवी के चेहरे से साफ पता चलता है कि अब परिवार में सब कुछ ठीक है. दोनों बेटों में कथित तौर पर जारी जंग थम गई है और दोनों आपसी मतभेद भुलाकर फिर से पार्टी को मजबूत करने में जुटेंगे. मतलब साफ है कि राबड़ी जिस मकसद से रविवार शाम को दिल्ली से पटना आईं थीं, या कहें कि जिस मकसद से लालू ने उन्हें यहां भेजा था उसमें राबड़ी कामयाब रहीं. हालांकि ये देखना होगा कि यह अस्थायी युद्ध विराम है या आगे भी सबकुछ ठीक रहेगा.

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