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Pustak Utsav 2023: 15 अप्रैल तक पुस्तक उत्सव का आयोजन, सरकारी स्कूल के बच्चों को दी जाएंगी किताबें

बिहार में शिक्षा विभाग की ओर से पुस्तक उत्सव का आयोजन (Pustak Utsav by Education Department) किया जा रहा है. इसके तहत सरकारी स्कूलो के बच्चों में पाठ्यक्रम की पुस्तकें बांटी जाएंगी. आगे पढ़ें पूरी खबर...

पुस्तक उत्सव का आयोजन
पुस्तक उत्सव का आयोजन

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Published : Apr 11, 2023, 11:24 AM IST

पटना:बिहार में शिक्षा विभाग (Education Department in Bihar) की तरफ से आज से 15 अप्रैल तक यूनिक पहल की जा रही है. दरअसल राज्य सरकार की शिक्षा विभाग 11 अप्रैल से 15 अप्रैल के बीच सरकारी स्कूलों में बच्चों को पाठ्य पुस्तक बांटेगी. इसके तहत पहली से आठवीं क्लास के बच्चों के बीच किताबें बांटी जाएंगी. विभाग द्वारा इस मौके पर सभी अभिभावकों, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से इस आयोजन में शामिल होने का अनुरोध भी किया गया है.

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आज से पुस्तक उत्सव का आगाज: बता दें कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने इस बारे में ट्वीट करके जानकारी दी थी कि बच्चों के बीच किताब बांटने के लिए 11 अप्रैल से पुस्तक उत्सव मनाया जाएगा. इस आयोजन के पहले विभागीय स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा पुस्तक वितरण योजना की पूरी समीक्षा की गई. साथ ही राज्य के सभी जिलों में पिछले हफ्ते के शुक्रवार तक पुस्तक पहुंचाने का टास्क भी सौंपा गया था, जिसका उद्देश्य यह था कि तय वक्त पर बच्चों को बच्चों के बीच में पुस्तकों का वितरण सुनिश्चित हो सके.


80 लाख से भी ज्यादा बच्चों को मिलेगी पुस्तक: शिक्षा विभाग के द्वारा किए जा रहे इस आयोजन में राज्य के करीब 70 हजार सरकारी स्कूलों के लगभग एक करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा बच्चों के बीच किताबें में बांटी जाएंगी. यह आयोजन पूरे राज्य के सभी जिलों में एक साथ किया जाएगा. बता दें कि इस साल विभाग बच्चों को पैसे के बदले किताबें दे रहा है. पिछले साल तक बच्चों को किताबों के बदले पैसे दिए जा रहे थे. वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने क्लास एक से लेकर आठवीं तक के बच्चों को किताब के बदले पैसे देना शुरू किया था. इसके तहत क्लास एक से लेकर क्लास चार तक के बच्चों को 250 रुपए, जबकि पांचवी से लेकर आठवीं तक के बच्चों को 400 रुपये दिए गए थे. सरकारी स्तर पर यह सामने आया कि ज्यादातर बच्चों ने पैसा मिलने के बाद भी किताबों को नहीं खरीदा था. जबकि पिछले चार वर्षों में केवल किताब खरीदने के लिए बच्चों के खाते में 16 सौ करोड़ रुपए भेजे गए थे.

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