मसौढ़ी में छठवर्तियो ने पूरी शुद्धता से बनाया कद्दू-भात का प्रसाद पटना:लोक आस्था का महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान नहाय खाय से शुरू हो गया है. हर ओर भक्ती भाव देखने को मिल रहा है. इसको लेकर सभी छठ व्रतियों ने सुबह से ही नदी तालाबों में स्नान-ध्यान कर शुद्ध मन से कद्दू की सब्जी, चावल और चने की दाल का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हुए भगवान सूर्य की अराधना में जुट जाएंगे. पटना के मसौढ़ी में भी पूरा माहौल छठमय हो चुका है.
छठ घाट पर तैयारियों को अंतिम रूप:ऐसे में मसौढ़ी में मणीचक और मंदिर तालाब घाट समेत सभी 60 छठ घाटों पर पूजा को लेकर प्रशासनिक तैयारियां को अंतिम रूप दिया जा रहा है. जहां पर सुरक्षा, साफ-सफाई, रंग रोगन आदि जोर-शोर से की जा रही हैं. वहीं सुरक्षा के मद्देनजर घाटों पर पुलिस की तैनाती भी की जाने लगी है.
छठ पूजा की खास मान्यता: भगवान भास्कर की बहन षष्ठी की पूजा छठ में की जाती है. छठी मैया के रूप में उनकी पुजा कर हर छठ व्रती अपनी मन्नतें पूरा करती हैं. कहा जाता है कि संतान सुख की प्राप्ति और पूरे परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए छठ पूजा की जाती है. यह पर्व हिंदूओं के लिए नेम निष्ठा का पर्व है. इसमें खरना के दिन प्रसाद ग्रहण कर शुद्ध मन से निर्जला 36 घंटे का व्रत रखा जाता है.
"छठ महापर्व हिंदुओं का बहुत बड़ा पर्व है. इसको लेकर हमलोग नहाए खाए के दिन कद्दू भात का प्रसाद बनाते हैं और फिर भगवान सूर्य की पूजा करने के बाद उसे ग्रहण करते हैं. जिसके बाद अगले दिन खरना का प्रसाद बनता है, वहीं डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व की समाप्ति हो जाती है"- चम्पा किरण, छठ व्रती
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