पटना: बिहार में लगातार गिर रही चीनी मिलोंकी हालत और किसानों की बिगड़ती दयनीय स्थिति और उनके समस्याओं को उठाने के लिए बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा बनाया गया है. जो गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन करेगा और उनके समस्याओं के समाधान के लिए आवाज बुलंद करेगा.
किसानों की समस्याओं को लेकर आंदोलन
बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा के संयोजक बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि जिस तरीके से किसान आंदोलन चल रहा है, उसी तर्ज पर अब गन्ना उत्पादक किसानों की समस्याओं को लेकर भी आंदोलन किया जाएगा.
"एक समय में बिहार में 28 चीनी मिल हुआ करती थी, लेकिन आज के समय में केवल 10 से 11 ही हैं. जिनकी हालत काफी खस्ता हो गई है. लेकिन सरकार का इस पर कोई ध्यान नहीं है. सरकार बिहार में उद्योग को बढ़ाने और रोजगार के अवसर सृजन के लिए कार्य नहीं कर रही है. बल्कि पूंजीपतियों के लिए कार्य कर रही है. बिहार सरकार हो या केंद्र सरकार सभी का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ खुद मुनाफा कमाना है. अगर सरकार वाकई में उद्योग बढ़ाना और अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना चाहती तो, आज बिहार में चल रहे चीनी मिल बंद नहीं हो रहे होते"- बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा
"रीगा चीनी मिल के बंद हो जाने से करीब 40 हजार ईख काश्तकार और करीब 700 मिल कामगार के सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई है. 15 लाख क्विंटल गन्ना हैं, जिसकी कीमत 50 करोड़ के आस-पास बताई जा रही है. यह सब बर्बाद हो रहे हैं. सरकार अगर उद्योग बढ़ाना चाहती है. तो सरकार को यह सब क्यों नहीं दिख रहा"-बीरेंद्र प्रसाद गुप्ता, संयोजक, बिहार राज्य गन्ना उत्पादक किसान महासभा