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भागलपुर सृजन घोटाला केस: 9 आरोपियों की संपत्ति लॉक, 34 मकान और जमीन का नहीं हो सकेगा रजिस्ट्रेशन

बिहार के भागलपुर के सृजन घोटाला मामले (Bhagalpur Srijan Scam Case) में एक बार फिर बड़ा कदम उठाया गया है. 9 आरोपियों के 34 मकान और जमीन का निबंधन अब नहीं हो सकेगा. भागलपुर रजिस्ट्री कार्यालय ने सभी आरोपितों की चिन्हित प्रॉपर्टी को लॉक कर दिया है. पढ़ें पूरी खबर..

Srijan Scam Case In Bhagalpur
Srijan Scam Case In Bhagalpur

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Published : Dec 23, 2021, 1:39 PM IST

पटना:सृजन घोटालामामले में 9 आरोपियों (Srijan Scam Accused Property Locked) के 34 मकान और जमीन का निबंधन अब नहीं हो सकेगा. दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ईडी द्वारा भेजी गई सूची के अनुसार सभी आरोपितों की चिन्हित प्रॉपर्टी को भागलपुर रजिस्ट्री कार्यालय (Property Locked By Bhagalpur Registry Office) ने लॉक कर दिया है. इसकी बिक्री और खरीद तब तक नहीं हो सकेगी जब तक कि, इसे अनलॉक करने का निर्देश जारी नहीं किया जाएगा.

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दरअसल पहले भी सृजन घोटाले मामले में ईडी के द्वारा आरोपितों की संपत्ति पर खरीद बिक्री पर रोक लगाई गई थी. साथ ही उनके बैंक खातों को सीज भी कर दिया गया था. इसके बाद फिर से यह कार्रवाई की गई है. सूची में शामिल तमाम जमीन और फ्लैट को लॉक (Property Of Nine Accused Locked In Bhagalpur ) करने की कार्रवाई जिला अवर निबंधक कार्यालय द्वारा की गई है. सृजन घोटाले के आरोपों की लौक की गई संपत्ति भागलपुर शहर के अलावा नाथनगर और सबौर क्षेत्र में है.

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प्रवर्तन निदेशालय ईडी के असिस्टेंट डायरेक्टर संतोष कुमार मंडल ने इसे लॉक करने का निर्देश दिया था. ईडी ने इसे लेकर संपत्तियों की सूची 12 अगस्त को ही भेजी थी. संपत्तियों की सूची 3 पन्नों में शामिल है. निबंधन कार्यालय में भी इसकी सूची भेज दी गई थी. सृजन घोटाला में साल 2007 से लेकर 2017 यानी कि 10 वर्षों के बीच राशि की अवैध निकासी की गई थी.

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बता दें कि इस मामले में 30 नवंबर 2021 को सीबीआई ने तीन महिला आरोपियों को गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने आरसी 6(ए) से जुड़ा मामला 2018 में दर्ज किया था. जिसके बाद कोर्ट ने 11 फरवरी 2021 को संज्ञान लिया.अदालत ने अलग-अलग सुनवाई के दौरान कई आरोपियों के खिलाफ समन और जमानती वारंट जारी किए, लेकिन कोर्ट समन के बाद भी मामले के आरोपित कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे. इसके बाद कोर्ट से आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था.

वहीं 121करोड़ 71 लाख 61 हजार रुपये के गबन में पहले दो प्राथमिकी दर्ज हुई थी. प्राथमिकी दर्ज होने के बाद महा लेखाकार ने वर्ष 2007 से 2017 तक में सरकारी राशि की जांच की थी, जिसमें गबन की राशि 221.60 करोड़ रुपए तक पहुंच गई.

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