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सुशासन से सवाल: सैकड़ों बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन?

2014 को मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में रहस्यमयी बुखार ने कहर बरपाया था. उस समय भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ही थे. एईएस के चलते ही उन्होंने बिहार में तीन दिवसीय दौरा किया था.

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Published : Jun 21, 2019, 6:05 AM IST

मंत्री का दौरा

पटना/मुजफ्फरपुर:बिहार में चमकी बुखार यानी एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) की वजह से हो रही बच्चों की मौत पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, 'हमने राज्य सरकार को हर संभव मदद का वादा किया है. हम हर घंटे हालात पर नजर रख रहे हैं.' इस बयान पर डॉ. हर्षवर्धन घंटों की बात कर रहे हैं. मगर आज से पांच साल पहले की बात शायद वो भूल चुके हैं.

बिहार में पांच साल पहले 20 जून 2014 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन बिहार तीन दिवसीय बिहार दौरे पर आए थे. उनके इस दौरे का उद्देश्य यही रहस्यमयी बिमारी थी. उन्होंने अपने तीन दिवसीय दौरे पर मुजफ्फरपुर और एएसई से प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया था. चलिए जानते हैं उस दौरान केंद्रीय मंत्री ने क्या कुछ कहा और तब से अब तक कितना बदलाव बिहार में आया.

वीडियो पैकेज

20 जून 2014 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल पहुंचे. यहां उन्होंने एईएस से पीड़ित बच्चों को लेकर चिंता व्यक्त की. इस दौरान हर्षवर्धन बीमारी से प्रभावित कुछ गांवों में भी गए.

उस समय हुई थी मीटिंग
तीन दिवसीय दौरे पर आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने पांच साल पहले भी सूबे में एक उच्चस्तरीय बैठक की थी. इस बैठक में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री, संसद के सदस्य और बिहार के बीजेपी विधायक, मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर, डब्ल्यूएचओ विशेषज्ञ, यूनिसेफ विशेषज्ञ, सीडीसी अटलांटा के अमेरिकी विशेषज्ञ और जिला अधिकारियों की टीम शामिल हुई.

क्या-क्या किए गए थे वादे...

  • उस समय हुई बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने एसकेएमसीएच में 100 बेड का अतिरिक्त आईसीयू वार्ड बनाए जाने की बात कही थी.
  • मुजफ्फरपुर के आसपास के इलाकों में 10 बेड का आईसीयू वार्ड बनाने का दावा किया था.
  • एसकेएमसीएच को सुपर-स्पेशियलिटी मानकों में अपग्रेड करने की बात कही थी.
  • डॉ. हर्षवर्धन ने गया, भागलपुर, बेतिया, पावापुरी और नालंदा में पांच वायरोलॉजिकल डायग्नोस्टिक्स प्रयोगशालाओं की स्थापना की भी घोषणा की थी.

रिसर्च सेंटर पर चर्चा
डॉ. हर्षवर्धन ने अपने तीन दिवसीय दौरे में मुख्य और अहम बात एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के लिए रिसर्च सेंटर बनाने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि इस बीमारी के लिए मुजफ्फरपुर और दरभंगा में एक रिसर्च सेंटर खोला जाएगा. ये इन्सेफेलाइटिस पर एक नई पहल है. इस दौरान उन्होंने पटना के लिए एम्स का दौरा भी किया और राज्य सरकार से अतिरिक्त भूमि देने की मांग की थी.
ये पूरी जानकारी अपने वैरीफाई फेसबुक अकाउंट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पोस्ट की थी.

अब की स्थिति...
सीडीसी अटलांटा के अमेरिकी विशेषज्ञों के साथ 2014 में हुई उस बैठक के पन्ने आज फिर पलटे जा चुके हैं. बिहार के मुजफ्फरपुर में आज की स्थिति इतनी दयनीय होगी, इसकी कल्पना शायद अपने वादे भूल चुके केंद्रीय मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ना की होगी.

रिसर्च सेंटर लापता...
अब तक 168 मासूम एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के चलते अपनी जान गंवा चुके हैं. वहीं, रविवार को बिहार दौरे पर आए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने एक बार फिर अपना वही पुराना टेप रिपीट करते हुए रिसर्च सेंटर की बात कही है.

कुछ नहीं बदला, बदले सिर्फ आंकड़े

  • इस बार एक दिवसीय दौरे पर आए डॉ. हर्षवर्धन ने बच्चों के हालात का जायजा लिया.
  • उन्होंने इस बार भी बैठक की. पिछली बार की तरह इस बार भी उन्होंने एसकेएमसीएच में 100 बेड का आईसीयू वार्ड बनाने की बात कही.
  • उन्होंने बच्चों की मौत को 2015 की तरह ही चिंता का विषय बताया.
    मुजफ्फरपुर दौरे के बाद किया था प्रेस कॉफ्रेंस
  • इस बार नार्वे की टीम शोध कर रही है- नित्यानंद राय
  • लीची और गर्मी को दोष दिया जा रहा है.
  • इस बार तीन दिन नहीं, तीन घंटे मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में रुके डॉ. हर्षवर्धन.

बनेगा पेडियाट्रिक वार्ड
वहीं इस बार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने मुजफ्फरपुर में कहा कि हमने एक साल की टाइमलाइन दी है. भारत सरकार इसके लिए पूरा सपोर्ट करेगा. वहीं, उन्होंने कहा कि 10 बेड का एक्सक्लूसिव पेडियाट्रिक आईसीयू बनाने का काम तेजी से किया जाएगा. इसके लिए निर्देश दिया गया है. वहीं इस बार भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने 100 बेड का आईसीयू बनाने की बात कही है.

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