पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कैबिनेट में मंत्री अशोक चौधरी का राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनके लिए मंत्री पद पर बने रहना आसान नहीं रह गया है. अशोक चौधरी के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है. उस पर सुनवाई लंबित है.
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी की बढ़ेगी मुश्किल
नीतीश कैबिनेट का दूसरा विस्तार होना बाकी है. लेकिन पहले विस्तार में जिन्हें जगह मिल गई थी, उनके लिए पद पर बने रहना आसान नहीं है. शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी मंत्री तो बन गए पर आज की तारीख में वो किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. हलांकि सीएम नीतीश कुमार राज्यपाल कोटे से उन्हें विधान परिषद भेजना चाहते हैं. लेकिन कर्नाटक मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अशोक चौधरी का भविष्य अधर में लटक गया है.
मुकेश साहनी ने लिया यू-टर्न
मिल रही जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्यपाल कोटे से मनोनीत होने वाला व्यक्ति मंत्री नहीं बन सकता है. शायद इसी पचड़े से बचने के लिए मुकेश साहनी ने यू-टर्न लिया था.
लोकहित याचिका से भी अशोक चौधरी की बढ़ेगी मुश्किलें
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. संजय कुमार का कहना है कि पहले आमतौर पर या होता आया है कि मुख्यमंत्री अपने चहेते लोगों को पहले नॉमिनेट कर लेते थे और फिर मंत्री बना देते थे. लेकिन कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ऐसा करना आसान नहीं होगा और इसका सीधा असर अशोक चौधरी के राजनीतिक भविष्य पर पड़ सकता है.
संतोष कुमार ने हाई-कोर्ट में दी चुनौती
इसके अलावा वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा है कि अशोक चौधरी कई महीनों तक मंत्री के पद पर थे और उस दौरान वो किसी भी सदन का सदस्य नहीं थे. सरकार के इस फैसले को संतोष कुमार ने पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी है और कहा गया है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद भी अशोक चौधरी को मंत्री पद पर बने रहना नियमानुसार नहीं था.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पार्टी करेगी अवलोकन
हालांकि इस मुद्दे पर पूर्व मंत्री और जेडीयू नेता नीरज कुमार ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पार्टी अवलोकन करेगी. इस मामले पर और जानकारी मिलने के बाद ही औपचारिक तौर पर कुछ कहा जाएगा.