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पटना में फिर लगा निजी अस्पताल वालों पर मनमानी का आरोप, परामर्श शुल्क में भी बढ़ोतरी - Oxygen black marketing

बिहार में सरकार ने निजी अस्पतालों में कोरोना इलाज की रेट तय कर दी है लेकिन आरोप है कि पटना में ही कुछ अस्पताल वाले मनमानी कर रहे हैं.

ऑक्सीजन बेट
ऑक्सीजन बेट

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Published : May 20, 2021, 9:27 PM IST

पटनाःबिहार में कोरोना के कारण भयावह स्थिति बन गई है. इन सब के बीच लोग आरोप लगा रहे हैं कि निजी अस्पताल वाले मनमानी कर रहे हैं. ऑक्सीजन बेड उपलब्ध कराने के नाम पर 30 से 50 हजार रुपए तक निजी अस्पताल वाले वसूली कर रहे हैं. ये हरकत निजी अस्पताल प्रबंधन तब कर रहा है, जब कोरोना मरीजों के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग ने शुल्क तय कर दिया है.

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क्या है निर्धारित दर?
स्वास्थ्य विभाग ने निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए शुल्क तय किया हुआ है. एनएबीएच से मान्यता प्राप्त अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन सपोर्ट बेड के लिए अधिकतम 10000 रुपए, वेंटिलेटर सपोर्ट के लिए 18000 रुपये, आईसीयू के लिए 15000 रुपये निर्धारित किए गए हैं. वहीं एनएबीएच से बिना मान्यता प्राप्त अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन बेड के लिए 8000 रुपये, आईसीयू के लिए 12000 रुपये और वेंटिलेटर सपोर्ट वाले आईसीयू के लिए 14000 रुपये तक शुल्क निर्धारित है.

कालाबाजारी मामले में कार्रवाई जारी
अस्पतालों पर इससे पहले भी कई आरोप लगे हैं और कालाबाजारी करने वालों पर पिछले दिनों कार्रवाई भी हुई थी. बिहार आर्थिक अपराध इकाई ने हाल ही में छह लोगों को कोविड संबंधी जरूरी संसाधनों और सेवाओं की कालाबाजारी मामले में गिरफ्तार किया था और 12 ऑक्सीजन सिलेंडर जब्त किए थे. इसके पहले भी एक छापेमारी में 57 ऑक्सीजन सिलेंडर जब्त किए गए. कई प्राइवेट अस्पतालों द्वारा रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की जा रही थी, उनपर भी कार्रवाई की गई लेकिन आरोप है कि एक बार फिर मरीज के परिजनों से अस्पताल वाले मनमानी कर रहे हैं.

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एंबुलेंस चालकों पर हुई कार्रवाई
मरीजों को ले जाने के लिए निजी एंबुलेंस के द्वारा मनमानी राशि वसूले जाने के मामले में कार्रवाई करते हुए उनके लिए दरें तय कर दी थी. स्वास्थ्य विभाग ने एसी और नॉन एसी दोनों एंबुलेंस के बिना एसी वाले छोटी गाड़ियों के 50 किलोमीटर तक के सफर के लिए 1500 रूपये तक किए, वहीं एसी वाहनों के लिए 2500 रूपये तय किए. इसके बाद से निजी एंबुलेंस चालकों के द्वारा मरीजों और उनके परिजनों से मनमानी राशि वसूले जाने के मामले थोड़े कम जरूर हुए हैं.

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