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सरकारी स्कूलों में गंदा पानी पीने को मजबूर नौनिहाल, अब तो जागो सरकार - पानी से होने वाली बीमारी

कोरोना काल के बाद बिहार के स्कूल खोल दिये गये हैं. लेकिन स्कूलों का हाल क्या है ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे. स्कूलों में बच्चों को पीने के लिए गंदा पानी मिल रहा है. एक तरफ कोरोना से बचने के लिए स्वच्छता के तमाम उपाय किये जा रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ नौनिहाल गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. जिससे बच्चे कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं.

students drink dirty water in bihar
students drink dirty water in bihar

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Published : Mar 3, 2021, 8:07 PM IST

पटना: राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के साथ ही अच्छी सुविधा देने का दावा करती है, लेकिन हकीकत इससे एकदम अलग है. प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्तर के स्कूलों में पेयजल की सुविधा नदारद देखने को मिल रही है. ईटीवी भारत की टीम ने कई स्कूलों का निरीक्षण किया और पाया की यहां पानी पीने लायक नहीं है.

देखें ये रिपोर्ट

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पानी नहीं पीने लायक
बात अगर करें राजधानी पटना की तो यहां दर्जनों ऐसे स्कूल हैं जहां पर छात्रों के लिए शुद्ध पेय जल की व्यवस्था नहीं है. और ना ही पानी की शुद्धता की जांच कराने की ही कोई व्यवस्था है. ऐसे में मजबूर होकर बच्चे घर से ही पानी लेकर आ रहे हैं.

स्कूलों में बच्चों को मिलता है गंदा पानी

कई नलों में नहीं आता पानी
ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल में पाया कि सरकारी स्कूलों में नल तो लगे हुए हैं, लेकिन कई स्कूल ऐसे हैं जहां नल से पानी नहीं आता है. अब ऐसे में गर्मी का मौसम शुरू हो गया है और सरकार के सात निश्चय में शामिल हर घर नल का जल पहुंचाना एक बड़ी जिमेदारी है. लेकिन सरकार इस मुद्दे पर उदासीन बनी हुई है.

कोरोना काल में पानी का नहीं इंतजाम

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ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूल की हालत खराब
बात करें प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों की तो इनकी हालत और खराब हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में सिर्फ चापाकल से ही छात्रों का प्यास बुझता है. ऐसे में एक या दो चापाकल के ऊपर हजार से ज्यादा छात्र अपनी प्यास बुझाते हैं. लेकिन वह पानी कितना शुद्ध है, पीने लायक है या नहीं, कभी इसकी जांच नहीं होती है.

गंदा पानी पीने को मजबूर छात्र

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पानी की जांच की नहीं है व्यवस्था
स्वच्छ पानी से ही बीमारियों को दूर रखा जा सकता है. लेकिन पानी की शुद्धता की जांच के लिए कोई इंतजाम नहीं है. ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में चापाकल से ही बच्चे पानी पीते हैं ,और दूषित पानी पीने से कई प्रकार की बीमारियों के शिकार होते हैं. बच्चे ज्यादातर टाइफाइड, पीलिया, डायरिया सहित कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित होते हैं.

प्रदेश के स्कूलों के कई नलों में नहीं आता पानी

बच्चों को हो रही परेशानी
पानी न मिलने के कारण स्कूल टाइम में बच्चों को पीने के लिए पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. बच्चे अपने घरों से बोतल में पानी लेकर आते हैं. पीने का पानी खत्म होने पर स्कूल से निकल कर बाहर भी जा कर पानी पीते हैं. ऐसे में बच्चों के साथ कभी भी कोई अनहोनी घटना हो सकती है. उसके बावजूद भी विभाग, स्कूल के लिए पेयजल उपलब्ध करवाने की व्यवस्था नहीं करवा पा रहा है. अगर विभाग पेयजल समस्या का समय रहते समाधान नहीं करता है, तो आने वाले दिनों में बच्चों को खराब पानी पीने के कारण कई तरह की बीमारियों का सामना करना पर सकता है.

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उच्चतर माध्यमिक मध्य विद्यालय का हाल
तारामंडल के पास में उच्चतर माध्यमिक मध्य विद्यालय परिसर में प्लास्टिक की टंकी का निर्माण किया गया है. फिर भी वहां के छात्रों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. विद्यालय परिसर में ही हैंडपंप लगा हुआ है. लेकिन पानी साफ नहीं निकलता. स्कूल के कई नल टूटे हुए हैं, कई बंद पड़े हैं और ऐसे में उस नल की टोटी से पानी नहीं आता है.

'नल को आस पास के लोग आकर खराब कर देते हैं. स्कूल प्रशासन की तरफ से इसे बनवाया जाता है. पहले तो चापकाल था ,लेकिन प्रिंसिपल मैडम के द्वारा प्रयास करके नल लगवाया गया. लेकिन सरकार के तरफ से फंड देकर दीवार को ऊंचा करवा दिया जाए तो समस्या का समाधान हो सकता है. लोग नल को खराब नहीं कर पाएंगे.'- राधेश्याम गुप्ता, शिक्षक, राजकीय मध्य विद्यालय तारामंडल

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ईटीवी भारत ने कई स्कूलों का लिया जायजाईटीवी भारत की टीम ने डाक बंगला चौराहे पर स्थित बालिका उच्च विद्यालय, तारामंडल के पास उच्च विद्यालय, कुर्जी स्थित स्कूल के साथ-साथ राजधानी पटना गर्दनीबाग के कई स्कूलों का जायजा लिया. और हर जगह की तस्वीरें लगभग एक जैसी देखने को मिली.

पानी की किल्लत की वजह से शौचालय बेकार
वहीं छपरा के परसा हाई स्कूल की स्थिति को देख अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूलों में स्वाचालित शौचालय दिया गया है. लेकिन शौचालय के पास में पानी की व्यवस्था नहीं होने से शौचालय का उपयोग नहीं हो पाता है.

गंदे पानी से होती हैं बीमारियां
दूषित पानी पीने से कई बीमरियां चपेट में ले सकती हैं. ये बीमारियां गंदे पानी में रहने वाले छोटे-छोटे जीवाणुओं के कारण होती हैं. जो गंदे पानी के साथ हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं. ऐसे पानी की वजह से होने वाली बीमारियों के कई कारक हो सकते हैं, जिनमें वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ और पेट में होने वाले रिएक्शन प्रमुख हैं.

'बच्चों को समय-समय पर हाथ धोने की बहुत जरूरत है. सबसे पहला काम यही होता है कि अपने हाथों को बार-बार पानी से धोते रहें. ऐसे में बच्चे को शुद्ध पानी नहीं मिले तो उनको पेट से जुड़ी कई बीमारी हो सकती हैं. पेट जनित रोग होने का प्रमुख कारण दूषित पानी है. पाचन सकती भी गड़बड़ होने की संभावना होती है.'-दिवाकर तेजस्वी, चिकित्सक

दूषित पानी से होने वाली बीमारियां

  • गंदा पानी पीने से बैक्टीरियल इंफेक्शन हो सकता है.
  • जिसकी वजह से हैजा, टाइफाइड, पेचिश जैसी बीमारियां आसानी से किसी को भी अपना शिकार बना सकती हैं.
  • गंदा पानी पीने से वायरल इंफेक्शन भी हो सकता है.
  • वायरल इंफेक्शन के कारण हेपेटाइटिस ए, फ्लू, कॉलरा, टायफाइड और पीलिया जैसी खतरनाक बीमारियां होती हैं.
  • इससे कई संक्रामक बीमारियां भी फैलती हैं.
  • ये बीमारियां हाथ मिलाने, गले लगने, एक-दूसरे का रुमाल उपयोग करने व एक साथ खाना खाने से फैलती हैं.
  • इनमें बुखार, पेचिश, हैजा और आइफ्लू व आंख आने जैसी बीमारियां भी प्रमुख हैं.

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