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सदाकत आश्रम का रहा है गौरवपूर्ण इतिहास, कांग्रेसी इसे संजोए रखने में हो रहे नाकाम - कांग्रेसी नेता

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का बिहार मुख्यालय सदाकत आश्रम सबसे पुराना राजनीतिक पार्टी दफ्तर है. इस दफ्तर का अपना बहुत पुराना और गौरवशाली इतिहास भी रहा है. अंग्रेजों ने कांग्रेस मैदान के दफ्तर को चलाए जाने के बाद मौलाना मजहरूल हक और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने मिलकर सदाकत आश्रम की स्थापना की थी. आश्रम की स्थापना से पहले इस जगह पर बाग-बगीचे थे. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : Mar 27, 2021, 6:49 PM IST

पटना:कांग्रेससदाकत आश्रम की स्थापना मौलाना मजहरूल हक ने असहयोग आंदोलन के दौरान 1921 में की थी. सदाकत एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ होता है "सत्य और आश्रम". भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने 28 फरवरी 1963 को इसी आश्रम में अंतिम सांसे ली थी. आजादी की लड़ाई में सदाकत आश्रम बिहार का मुख्य केंद्र के तौर पर काम करता था. इस आश्रम की स्थापना में बिहार स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों ने सहयोग दिया था.

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आश्रम में कई विभूतियों ने किया काम
कांग्रेससदाकत आश्रम की जानकारी रखने वाले दिनेश शंकर दास बताते हैं कि इस आश्रम में देश और राज्य की कई विभूतियों ने काम किया है. मौलाना मजहरूल हक और डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने मिलकर इसका नामकरण किया था. इस आश्रम में स्वतंत्रता आंदोलन के दौर में आंदोलनात्मक कार्यक्रम की पृष्ठभूमि तैयार की जाती थी. सदाकत आश्रम में कभी भी नापाक और गलत इरादा रखने वाले लोगों के मंसूबे कामयाब नहीं हो सके.

लगातार चर्चा में रहा सदाकत आश्रम

''वर्तमान राजनीति में सदाकत आश्रम में कई नापाक इरादे रखने वाले लोग इस महान स्थल को धूमिल करना चाहते हैं. लेकिन ये असंभव है. आश्रम में आज तक जो भी हंगामा किया गया है, वह कांग्रेसियों ने नहीं, बल्कि बाहरी तत्वों के द्वारा हुआ है''-दिनेश शंकर दास, कांग्रेस कार्यकर्ता

आश्रम में कई विभूतियों ने किया काम

1990 तक लगातार सत्ता में रही कांग्रेस
आजादी के बाद से 1990 तक लगातार बिहार की सत्ता में रही कांग्रेस आज महज 19 सीटों पर सिमट कर रह गई है. साथ ही कांग्रेस पर लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी का पिछलग्गू होने का भी तमगा लगा है.

सबसे पुराना राजनीतिक पार्टी दफ्तर

लगातार चर्चा में रहा सदाकत आश्रम
गौरतलब है कि पिछले कई चुनावों से बिहार के राजनीतिक दलों के दफ्तरों में सबसे ज्यादा चर्चा में सदाकत आश्रम रहा है. चुनाव के दौरान सबसे ज्यादा सदाकत आश्रम में ही टिकट देने में धांधली या बाहरी को टिकट देने का आरोप लगता रहा है. पिछले विधानसभा चुनाव में तो सदाकत आश्रम में लात घूंसे तक चले थे.

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इतिहास को संजोए रखने में कांग्रेसी नाकाम!
अपने गौरवशाली इतिहास को संजोए रखने में कांग्रेस के वर्तमान नेता शायद नाकाम साबित हो रहे हैं. 1921 से अब तक कुल 40 नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी संभाली है. जिनमें परिणामों में मौलाना मजहरूल हक, डॉ.राजेंद्र प्रसाद और श्री कृष्ण सिंह जैसी बड़ी शख्सियत भी शामिल रह चुके हैं. वर्तमान में समय-समय पर कांग्रेस नेताओं पर गुटबाजी करने का भी आरोप लगता रहा है. कांग्रेस के नेता और सदाकत आश्रम अपने पुराने दिन लौटाने में सफल हो सकेंगे, यो तो वक्त ही बताएगा.

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