पटना: कोरोना काल में बिहार सरकार के बेहतरीन प्रयासों को एक बार फिर से राष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है. आज राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बिहार को 'डिजिटल इंडिया अवॉर्ड्स 2020 सम्मान' से सम्मानित किया. यह सम्मान कोरोना काल में सरकार द्वारा बिहार के लोगों को ससमय राहत पहुंचाने के लिए प्रदान किया गया है.
कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान नागरिकों को विभिन्न प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने के लिए की गई अभिनव पहल को भारत सरकार ने सराहा है. मुख्यमंत्री सचिवालय, आपदा प्रबंधन विभाग और एनआईसी को कोरोना काल में उनके द्वारा किए गए बेहतरीन कार्यों के लिए महामारी श्रेणी में विजेता चुना गया है.
बता दें कि डिजिटल इंडिया अवार्ड भारत सरकार द्वारा नागरिकों को अनुकरणीय डिजिटल उत्पाद और सेवाओं के लिए दिया जाने वाला एक राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार है. पुरस्कार के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों से छह श्रेणियों में 190 प्रविष्टियां प्राप्त हुई थी. मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार, आपदा प्रबंधन विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत, आपदा प्रबंधन विभाग के अपर सचिव रामचंद्र डू के साथ-साथ एनआईसी के शैलेश कुमार श्रीवास्तव और नीरज कुमार तिवारी को डिजिटल इंडिया अवार्ड से सम्मानित किया गया.
राहत पहुंचाने के लिए की गई कई पहल
आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में केंद्रीय संचार और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद की उपस्थिति में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विजेताओं को सम्मानित किया.
मार्च 2020 में कोरोना महामारी को लेकर लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. लॉकडाउन के दौरान बिहार के लोग काफी संख्या में बाहर के राज्यों में फंसे हुए थे. ऐसे लोगों को राहत पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तत्काल पहल करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए थे. मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद बाहर फंसे लोगों से बात कर उनका फीडबैक लिया गया. साथ ही ससमय राहत पहुंचाने के लिए कई तरह की पहल की गई.
21 लाख से अधिक लोगों को पहुंचाई गई वित्तीय सहायता
बिहार से बाहर फंसे श्रमिकों को 'बिहार कोरोना सहायता मोबाइल ऐप' के माध्यम से 21 लाख से अधिक लोगों को वित्तीय सहायता पहुंचाई गई. इसके अलावा 1.64 करोड़ राशन कार्ड रखने वाले परिवारों को 3 महीने का अग्रिम राशन भी दिया गया. साथ ही 1000 रुपये की वित्तीय सहायता भी पहुंचाई गई. विभिन्न माध्यमों से राज्य में लौटने वाले 15 लाख से अधिक श्रमिकों को 10 हजार से अधिक केंद्रों पर क्वारंटाइन किया गया.
क्वारंटाइन अवधि में उनके भोजन, आवासन और चिकित्सीय जांच की सुविधा उपलब्ध कराई गई. क्वारंटाइन अवधि पूरा होने पर श्रमिकों को जिन्हें राज्य में ही रोजगार करने की इच्छा थी, उनकी स्किल मैपिंग की गई. साथ ही उन्हें किराए की प्रतिपूर्ति की गई. बाहर से लौटे श्रमिकों के लिए अलग-अलग विभागों के जरिए रोजगार की व्यवस्था की गई.