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पटना महावीर मंदिर पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भेंट की गई विराट रामायण मंदिर की स्वर्ण जड़ित प्रतिकृति

राष्ट्रपति बनने के बाद रामनाथ कोविंद पहली बार पटना के महावीर मंदिर पहुंचे. उन्होंने सपरिवार हनुमान जी की पूजा-अर्चना की. रामनाथ कोविंद ने अयोध्या में महावीर मंदिर की राम-रसोई की चर्चा करते हुए कहा कि अयोध्या में ऐसा अब तक किसी संस्था ने नहीं किया. पढ़ें पूरी खबर.

रामनाथ कोविंद
रामनाथ कोविंद

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Published : Oct 22, 2021, 10:57 PM IST

पटना: राष्ट्रपति बनने के बाद पहली बार पटना के महावीर मंदिर (Mahavir Mandir Patna) पहुंचेरामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने शुक्रवार को सपरिवार हनुमान जी की पूजा-अर्चना की. मंदिर के पूर्वी प्रवेश द्वार पर महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल (Acharya Kishore Kunal) ने देश के प्रथम नागरिक का स्वागत किया. प्रथम महिला सविता कोविंद (Savita Kovind) और राष्ट्रपति की बेटी स्वाती का स्वागत महावीर मंदिर न्यास की ट्रस्टी महाश्वेता महारथी ने किया. मंदिर में कदम रखते ही रामनाथ कोविंद ने आचार्य किशोर कुणाल से कहा कि पहले से बहुत विकास हुआ है. मंदिर बहुत अच्छा लग रहा है.

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रामनाथ कोविंद ने अयोध्या में महावीर मंदिर की राम-रसोई की चर्चा करते हुए कहा कि अयोध्या (Ayodhya) में ऐसा अब तक किसी संस्था ने नहीं किया. अयोध्या दौरे पर लोगों ने उन्हें राम-रसोई के बारे में बताया कि हजारों रामभक्त प्रतिदिन निःशुल्क स्वादिष्ट भोजन करते हैं. आचार्य किशोर कुणाल ने महामहिम को बताया कि अयोध्या में महावीर मंदिर की ओर से राघव आरोग्य मंदिर अस्पताल बनाने की प्रक्रिया चल रही है. राष्ट्रपति ने प्रसन्नता जाहित करते हुए कहा कि अयोध्या में भगवान राम के नाम पर अस्पताल बने, यह बहुत अच्छा काम है. रामनाथ कोविंद ने महावीर मंदिर न्यास द्वारा संचालित अस्पतालों के बारे में भी पूछा कि कैसा चल रहा है.

बिहार के राज्यपाल के रूप में रामनाथ कोविंद महावीर मंदिर और उससे जु़ड़े संस्थानों में कई बार आ चुके हैं. राष्ट्रपति की नजर भीतरी प्रवेश द्वार पर लगे खूबसूरत ग्लो साइन बोर्ड पर पड़ी. अपनी धर्मपत्नी सविता कोविंद को दिखाते हुए उन्होंने कहा कि सामने से महावीर मंदिर लिखा हुआ कितना सुन्दर लग रहा है. गर्भगृह के सामने पहुंचकर रामनाथ कोविंद ने हनुमान जी के दोनों विग्रहों का दर्शन करते हुए अपनी धर्मपत्नी से कहा कि यह मनोकामना मंदिर है. यहां मनोकामना पूरी हो जाती है.

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यह देश का एकमात्र मंदिर है जहां हनुमान के दो विग्रह हैं. राष्ट्रपति ने सपरिवार हनुमान जी को पुष्प और नैवेद्यम् चढ़ाया और ध्यान किया. फिर उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजन की इच्छा जाहिर की. आचार्य किशोर कुणाल ने पुरोहित के रूप में हनुमान जी की स्तुति वाले श्लोकों के सस्वर पाठ के साथ विधिवत पूजा कराई. राष्ट्रपति ने सपरिवार हनुमान जी की आरती की. महावीर मंदिर के पुजारी आचार्य अवधेश दास ने राष्ट्रपति को टीका कर नैवेद्यम और शाॅल भेंट किया.

दूसरे पुजारी ब्रह्मदेव दास ने राष्ट्रपति की पत्नी और पुत्री को नैवेद्यम् और शाॅल के साथ हनुमान जी का सिन्दुर भेंट किया. इसके बाद रामनाथ कोविंद ने गर्भगृह की परिक्रमा की. परिक्रमा करते हुए आचार्य किशोर कुणाल से उन्होंने कहा कि इस मंदिर में उनकी बहुत आस्था है. आप हनुमान जी के प्रतिनिधि हैं, इसलिए आपसे भी मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई.

परिक्रमा के बाद आचार्य किशोर कुणाल ने महामहिम को पूर्वी चंपारण के कथवलिया-बहुआरा में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर की चेन्नई से मंगाई गई स्वर्ण जड़ित प्रतिकृति भेंट की. 270 फीट उंचाई वाला यह मंदिर 1080 फीट लंबा और 540 फीट चौड़ा है. रामनाथ कोविंद ने पूछा कि उसी स्थान पर इतना भव्य मंदिर क्यों बन रहा है तो आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि भगवान राम की बारात दूसरी रात को इसी स्थान पर रुकी थी.

प्रस्तावित अयोध्या-जनकपुर मार्ग भी मंदिर को स्पर्श करता हुआ गुजर रहा है. राष्ट्रपति को महावीर मंदिर प्रकाशन की पुस्तक तुलसी-साहित्य पर संस्कृत के अनार्स प्रबन्धों की छाया भेंट की गई. प्रो. रामतवक्या शर्मा लिखित इस पुस्तक के साथ घनश्याम दास हंस की पुस्तक लोना चालीसा भी संलग्न थी. राष्ट्रपति के साथ चल रहे अधिकारियों को भी महावीर मंदिर की ओर से नैवेद्यम भेंट किया गया. महामहिम लगभग बीस मिनट मंदिर में रहे.

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