पटना: राष्ट्रपति द्वारा भेजे गये आमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ भारत का प्रयोग किये जाने पर राजद उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि संविधान में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया है. उसको हिंदी में भारत के राष्ट्रपति के रूप में संविधान में दर्ज किया है. इसलिए राष्ट्रपति द्वारा जी 20 के शिखर सम्मेलन में आए विश्व के नेताओं को भोज के लिए जो निमंत्रण पत्र अंग्रेजी में जारी हुआ है उसमें प्रेसिडेंट ऑफ भारत का प्रयोग किया गया है. यह संविधान के अनुकूल नहीं है.
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"राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जी ने कहा था कि हमें प्रेसिडेंट की जगह भारत का राष्ट्रपति प्रयोग करना चाहिए. उनके दो दिन बाद ही राष्ट्रपति जी की ओर से जो आमंत्रण पत्र अंग्रेजी में जारी हुआ उसमें अंग्रेजी में प्रेसिडेंट ऑफ भारत का प्रयोग किया गया."- शिवानंद तिवारी, राजद उपाध्यक्ष
प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा जाना असंवैधानिकः शिवानंद तिवारी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 52 में कहा गया है कि भारत का एक राष्ट्रपति होगा वहीं अंग्रेजी में देयर शैल बी ए प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया लिखा गया है. संविधान की धारा 60 के अनुसार राष्ट्रपति शपथ लेते हैं. उसमें अंग्रेजी में प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया और हिंदी भारत के राष्ट्रपति के रूप में ही शपथ ग्रहण करने का प्रावधान है. इसलिए अंग्रेजी में प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखा जाना असंवैधानिक है.
क्या है मामलाः राष्ट्रपति भवन में आयोजित जी 20 रात्रिभोज के लिए भेजे गए आमंत्रण पत्र में इंडिया की जगह भारत लिखे जाने के बाद यह कयास लगाये जाने लगा कि संसद के विशेष सत्र में INDIA नाम बदल कर भारत कर दिया जाएगा. जदयू और भाजपा नेताओं के बीच इंडिया और भारत को लेकर एक दूसरे पर निशाना साधा जा रहा है और जमकर बयान बाजी हो रही है. महागठबंधन के घटक दल तो यहां तक कर रहे हैं कि जब से इंडिया गठबंधन का नाम पड़ा है, बीजेपी में बेचैनी है.