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विधानसभा शताब्दी वर्ष समारोह: राष्ट्रपति के कार्यक्रम को यादगार बनाने की तैयारी

बिहार विधानसभा के शताब्दी वर्ष (Centenary Year) समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए जोर-शोर से तैयारी चल रही है. शताब्दी वर्ष को यादगार बनाने के लिए शताब्दी स्तंभ बनाया जा रहा है. कार्यक्रम की पूरी तैयारी विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा की देखरेख में हो रही है. जिसकी मॉनिटरिंग सीएम नीतीश खुद कर रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट..

बिहार विधानसभा
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Published : Oct 5, 2021, 7:34 PM IST

पटना:बिहार विधानसभा (Bihar Assembly) भवन के 100 साल पूरे होने पर शताब्दी वर्ष (Centenary Year) मनाया जा रहा है और पूरे साल कार्यक्रम हो रहा है. 21 अक्टूबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) कार्यक्रम में शामिल होंगे. शताब्दी वर्ष को यादगार बनाने के लिए कई तरह के निर्माण हो रहे हैं, शताब्दी स्तंभ बनाया जा रहा है. कार्यक्रम की पूरी तैयारी विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा (Speaker Vijay Sinha) की देखरेख में हो रही है.

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समारोह की मॉनिटरिंग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) खुद कर रहे हैं. उन्होंने विधानसभा का जायजा भी लिया था और उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के साथ अधिकारियों को दिशा निर्देश भी दिए हैं, उस पर जोर शोर से काम हो रहा है. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा शताब्दी वर्ष को लेकर कहते हैं कि मेरी तो कोशिश होगी कि समारोह का समापन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आकर करें.

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बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह को लेकर इस साल के शुरुआत में ही विधानसभा में भव्य कार्यक्रम हुआ था और अब 21 अक्टूबर को राष्ट्रपति के आगमन को लेकर यादगार कार्यक्रम करने की तैयारी हो रही है. विधानसभा भवन अपने पीछे 100 साल की उपलब्धियों का बड़ा इतिहास संजोए हुए हैं. ब्रिटिश सम्राट किंग जॉर्ज पंचम के 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में घोषणा के बाद 22 मार्च 2012 को बंगाल से अलग होकर बिहार और उड़ीसा राज्य अस्तित्व में आया था.

सर चार्ल्स स्टुअर्ट बेली पहले उप राज्यपाल बने थे. नए राज्य के विधायी प्राधिकार के रूप में 43 सदस्य विधान परिषद का गठन किया गया था. इसमें 24 सदस्य निर्वाचित और 19 सदस्य राज्यपाल द्वारा मनोनीत होते थे, यही परिषद संख्या बल में बढ़ते घटते हुए 243 सदस्यों के साथ आज बिहार विधानसभा के रूप में हम लोगों के सामने हैं. हालांकि, इस बीच उड़ीसा अलग हुआ और फिर झारखंड भी अलग हो गया.

उड़ीसा से अलग होने के बाद 1937 में बिहार विधानसभा के गठन के लिए चुनाव हुआ. 20 जुलाई 1937 को डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के नेतृत्व में पहली सरकार बनी. 22 जुलाई को दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन हुआ. 25 जुलाई 1937 को रामदयालु सिंह बिहार विधानसभा के पहले अध्यक्ष निर्वाचित हुए. आजादी के बाद 1952 में पहले विधानसभा कार्यकाल में 331 सदस्य सभा कक्ष में बैठा करते थे. 1977 में जनसंख्या वृद्धि के अनुपात में विधानसभा सदस्यों की संख्या 324 हो गई और एक मनोनीत सदस्य भी होते थे, लेकिन 2000 में जब झारखंड अलग हुआ तो बिहार विधानसभा में सदस्यों की संख्या घटकर 243 हो गई, जो आज भी है.

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साल 1920 में विधानसभा के भवन का निर्माण शुरू हुआ था. विधानसभा भवन का डिजाइन वास्तु विद एएम मिलवुड ने इतावली पुनर्जागरण शैली (रेनेसा आर्किटेक्चर) में किया था और 7 फरवरी 1921 को सर वाल्टर मोड की अध्यक्षता में पहली बैठक हुई थी. राज्यपाल लॉर्ड सत्येंद्र प्रसाद सिंहा ने भवन का औपचारिक उद्घाटन करते हुए संबोधित किया था.

विधानसभा की लंबाई 230 फीट है, जबकि विधानमंडल की कुल लंबाई 507 फीट है. विधानसभा की चौड़ाई 125 फीट है. विस्तार के बाद बने परिसर में तीन हॉल है. इसके मध्य भाग में 12 कमरे हैं. विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय कक्ष की लंबाई चौड़ाई 18 गुना 20.9 फीट है. सबसे बड़ा कक्ष मुख्यमंत्री के लिए है, नेता प्रतिपक्ष के लिए पहले तल्ले पर कक्ष बना हुआ है.

बिहार विधानसभा के 100 साल के इतिहास में कई बड़ी उपलब्धियां हैं. भूमि सुधार अधिनियम जिसे जमींदारी उन्मूलन कानून भी कहते हैं पारित हुआ. पंचायती राज में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण देने का सर्वसम्मति प्रस्ताव पारित हुआ. पूर्ण शराब बंदी कानून को लेकर भी सर्वसम्मति प्रस्ताव पास किया गया. जल जीवन हरियाली को लेकर भी सर्वसम्मति प्रस्ताव पास हुआ. वहीं, विशेष राज्य के दर्जे और जातीय जनगणना को लेकर भी सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास करा कर केंद्र को भेजा गया.

विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा शताब्दी वर्ष समारोह को यादगार बनाने में लगे हैं. वहीं, भवन निर्माण विभाग को शताब्दी स्तंभ निर्माण की जिम्मेवारी दी गई है और उसके लिए विधानसभा परिसर के ठीक सामने में काम चल रहा है.

''राष्ट्रपति के आगमन को लेकर हम लोग 100 साल के इतिहास को समेटने की कोशिश में लगे हैं. हमारी तो कोशिश है कि इस कार्यक्रम का समापन प्रधानमंत्री के हाथों से हो. 100 साल के मौके पर शताब्दी स्तंभ भी बनाया जा रहा है और उसके लिये तेजी से काम चल रहा है. राष्ट्रपति से निर्माण कार्य का शिलान्यास कराया जाएगा, साथ ही बोधि वृक्ष भी राष्ट्रपति विधानसभा परिसर में लगाए जाएंगे.''-विजय सिन्हा, विधानसभा अध्यक्ष

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''शताब्दी समारोह के दौरान शताब्दी स्तंभ भी लगाया जाएगा. जिसे लेकर विधानसभा अध्यक्ष के स्तर पर बैठक भी हुई थी. जिसमें मुख्यमंत्री भी शामिल हुए थे. मुख्यमंत्री के स्तर पर शताब्दी स्तंभ में क्या-क्या चीज होगी उस पर मुहर लगना बाकी है. राष्ट्रपति निर्माण का शिलान्यास करेंगे, उसके लिए अभी निर्माण कार्य हो रहा है.''- अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री

''जब राष्ट्रपति ही समारोह में आ रहे हैं तो कार्यक्रम का यादगार बनना तय है. राष्ट्रपति के कार्यक्रम में आने से बड़ी बात और क्या हो सकती है. बिहार के लिए यह गौरव की बात है.''-संजय गांधी, विधान पार्षद

''दुश्मन से भी अच्छी बातें सीखना चाहिए. ब्रिटिश लुटेरे थे वो हमारे देश को लूट कर गए हैं, लेकिन उनके द्वारा बनाया गया भवन अभी भी हमारे यहां है. विधानसभा जैसे भवन का उन्होंने जो निर्माण किया है, जिसका 100 साल में भी कुछ नहीं बिगड़ा, तो इस तरह के निर्माण से सरकार को भी सीखना चाहिए.''- रामबली यादव, माले विधायक

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 20 अक्टूबर को बिहार दौरे पर पटना पहुंचेंगे और राजभवन में रात्रि विश्राम करेंगे. 21 अक्टूबर को विधानसभा परिसर में ही आयोजित कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. राष्ट्रपति शताब्दी स्तंभ के निर्माण का शिलान्यास करेंगे और उसके लिए तैयारी जोर शोर से चल रही है. साथ ही बोधि वृक्ष भी लगाएंगे. उसके लिए भी निर्माण कार्य हो रहा है. राष्ट्रपति लोगों को संबोधित भी करेंगे. 21 अक्टूबर को देर शाम विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के आवास पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा, जिसमें राष्ट्रपति भी शामिल होंगे. 22 अक्टूबर को राष्ट्रपति महावीर मंदिर और पटना सिटी स्थित गुरुद्वारे में मत्था टेकेंगे और उसके बाद दिल्ली लौट जाएंगे.

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