पटना: बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के नतीजों के बाद कांग्रेस (Congress) पार्टी उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है. शक्ति सिंह गोहिल के इस्तीफे के बाद भक्त चरण दास (Bhakt Charan Das) को बिहार की कमान सौंपी गई और नए प्रभारी के समक्ष कांग्रेस को रिवाइव करने की चुनौती है. फिलहाल अध्यक्ष पद को लेकर मंथन का दौर जारी है.
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मझधार में कांग्रेस पार्टी
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का परफारमेंस उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा था. पार्टी महज 19 सीटों पर ही सिमट गई. बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने नतीजों को देखते हुए पद से इस्तीफा दे दिया. शक्ति सिंह गोहिल की जगह केंद्रीय नेतृत्व ने भक्त चरण दास को कमान सौंपी.
बिहार में सक्रिय भक्त चरण दास
कांग्रेस बिहार प्रभारी भक्त चरण दास बिहार की राजनीति को बेहतर समझते हैं और पिछले कई महीनों से वो जिलों का दौरा कर रहे हैं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी कर रहे हैं. भक्त चरण दास के समक्ष दोहरी चुनौती है. पहला तो ये कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कार्यकाल खत्म हो रहा है. उनकी जगह प्रदेश अध्यक्ष का चयन करना है. वहीं, दूसरी तरफ कार्यकारी अध्यक्ष की सूची में भी फेरबदल करना है. भक्त चरण दास के समस्त संगठन में धार देने की चुनौती भी है.
प्रदेश अध्यक्ष चुनने की बड़ी चुनौती
भक्त चरण दास के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती प्रदेश अध्यक्ष के चयन की है. पार्टी में दावेदारों की फेहरिस्त भी लंबी है. जानकारी के मुताबिक बिहार कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष पद की रेस में राजेश राम, कौकब कादरी, तारिक अनवर, समीर सिंह, अनिल शर्मा और प्रेमचंद्र मिश्रा मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं.
खोए जनाधार को पाने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी खोए हुए जनाधार को वापस पाना चाहती है. पार्टी अल्पसंख्यक अगड़ी जाति और दलितों को अपना पारंपरिक वोट बैंक मानती है. बिहार में 18% आबादी मुसलमानों की है. जबकि दलित 14% के आसपास हैं. अगड़ी जाति का वोट शेयर 9 से 10% के बीच है. कुल मिलाकर पार्टी की नजर 42% वोट बैंक पर है. वोट बैंक को देखते हुए पार्टी अल्पसंख्यक दलित या अगड़ी जाति पर दाव लगा सकती है. जानकारी के मुताबिक राजेश राम का नाम सुर्खियों में है.