पटना: चुनावी रणनीति के माहिर प्रशांत किशोर बिहार के राजनीति में फ्लॉप साबित हुए. हर हर मोदी, घर घर मोदी के नारे से नरेंद्र मोदी को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने वाले पीके को नीतीश कुमार ने भी अब बाहर का रास्ता दिखा दिया है. एक समय था जब सीएम नीतीश ने पार्टी में उन्हें दूसरे नंबर की कुर्सी दी. लेकिन, अब पीके से उनका मोह भंग हो गया है.
जदयू में अब हालात ये हैं कि पार्टी के नेता प्रशांत किशोर के नाम पर ही आक्रोशित हो जाते हैं. बता दें कि नीतीश कुमार ने पीके को 2015 में एक प्रोफेशनल के तौर पर काम दिया था. प्रशांत किशोर की भूमिका महागठबंधन सरकार बनाने में अहम मानी जाती है. हालांकि, लंबे समय तक प्रशांत किशोर जदयू और बिहार से दूर रहे.
2018 में जेडीयू में हुई एंट्री
साल 2018 में प्रशांत किशोर ने दोबारा बिहार में एंट्री ली और नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में दूसरे नंबर की कुर्सी दी. पीके को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. उस समय पार्टी के अंदर इसका काफी विरोध भी हुआ. लेकिन, नीतीश कुमार के फैसले के कारण किसी ने खुलकर आपत्ति नहीं जताई. आरसीपी सिंह का खेमा प्रशांत किशोर के विरोध में था. फिर भी नीतीश कुमार ने जदयू छात्र विंग की कमान प्रशांत किशोर को दी.