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Bihar BJP: बिहार भाजपा में फेरबदल के संकेत, कई कद्दावर मंत्रियों की बदल सकती है भूमिका

बिहार में बीजेपी अपने नेताओं की भूमिका में फेर बदल कर सकता है. साथ ही बिहार कोटे के मंत्रियों की भूमिका भी बदल सकती है. यह सारा काम आने वाले चुनाव के मद्देनजर किया जा सकता है. क्योंकि बिहार से ही विपक्षी लामबंदी शुरू हुई है. इस लिहाज से बिहार अभी बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Jun 11, 2023, 9:58 PM IST

बिहार बीजेपी के नेताओं की भूमिका में फेरबदल के आसार

पटना: मिशन 2024 बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती है. उत्तर प्रदेश के बाद पार्टी के नजरिए से बिहार दूसरा महत्वपूर्ण राज्य है. बिहार इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि यहीं से विपक्षी एकता की कवायद चल रही है. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार भाजपा में बड़े उलटफेर के संकेत मिल रहे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल में बिहार की दावेदारी और हिस्सेदारी मजबूत थी. बिहार कोटे से रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी, आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा मंत्री हुआ करते थे. फिलहाल यह नेता मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं हैं.

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बीजेपी केंद्री मंत्रिमंडल में फेरबदल को तैयार: वर्तमान परिस्थितियों में गिरिराज सिंह, आरके सिंह, अश्विनी चौबे, नित्यानंद राय और पशुपति पारस केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा हैं. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा फिर एक बार फेरबदल के लिए तैयार है. बिहार कोटे के मंत्रियों की भूमिका बदले जाने की संभावना है. दरअसल, लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी ने रणनीति तैयार की है. कद्दावर और अनुभवी मंत्रियों को मिशन 2024 के तहत राज्यों की जिम्मेदारी दी जानी है. लिहाजा मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान वर्तमान मंत्रियों के लिए नई भूमिका तय की जा सकती है.

बीजेपी लगाएगी एक तीर से कई निशानें: भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार प्रधानमंत्री का स्वविवेक है. प्रधानमंत्री मंत्रियों के परफॉर्मेंस के आधार पर बराबर अंतराल पर फेरबदल करते रहे हैं. चुनाव से पहले भी फेरबदल के आसार हैं. प्रधानमंत्री को फैसला करना है कि किसे कैबिनेट में जगह मिलेगी और किसे संगठन में लगाया जाएगा. वहीं राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर संजय कुमार का मानना है कि लोकसभा चुनाव से पूर्व मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए भाजपा एक तीर से कई निशाना साधना चाहती है. मंत्रिमंडल में युवाओं को जगह देकर अनुभवी नेताओं को संगठन में लगाया जा सकता है और उन्हें लोकसभा चुनाव को परिणाम में बदलने की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

"मंत्रिमंडल विस्तार प्रधानमंत्री का स्वविवेक है. प्रधानमंत्री मंत्रियों के परफॉर्मेंस के आधार पर बराबर अंतराल पर फेरबदल करते रहे हैं. चुनाव से पहले भी फेरबदल के आसार हैं. प्रधानमंत्री को फैसला करना है कि किसे कैबिनेट में जगह मिलेगी और किसे संगठन में लगाया जाएगा" - विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

संगठन के काम में लगाए जाएंगे अनुभवी नेता: इस तरह तमाम अनुभवी नेताओं और कद्दावर मंत्रियों को संगठन के कार्य में लगाए जाने की तैयारी है. आपको बता दें कि भाजपा से आरके सिंह और गिरिराज सिंह जहां केंद्रीय मंत्री हैं. वहीं अश्विनी चौबे और नित्यानंद राय राज्यमंत्री हैं. इसके अलावा पशुपति पारस भी केंद्रीय मंत्री हैं. पशुपति पारस को चिराग पासवान के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. पहले भी मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल हुए थे. कद्दावर नेता और पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद को ड्राप किया गया था. राजीव प्रताप रूडी को भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से ब्लॉक किया गया था.

"लोकसभा चुनाव से पूर्व मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए भाजपा एक तीर से कई निशाना साधना चाहती है. मंत्रिमंडल में युवाओं को जगह देकर अनुभवी नेताओं को संगठन में लगाया जा सकता है और उन्हें लोकसभा चुनाव को परिणाम में बदलने की जिम्मेदारी दी जा सकती है"-संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

युवा चेहरे को मंत्रिमंडल में किया जा सकता है शामिल: भारतीय जनता पार्टी फेरबदल के जरिए एक तीर से कई निशाना साधना चाहती है. एक ओर जहां पुराने चेहरे को संगठन में लगाकर युवा चेहरे को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने की योजना है, तो दूसरी तरफ मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए जातिगत समीकरण को भी साधने की तैयारी है. मानसून सत्र से पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार को मूर्त रूप दिया जाना है और उससे पहले मंथन का दौर जारी है. मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए मंत्रियों के एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से भी भाजपा राहत चाहती है.

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