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लड़कियों की शिक्षा से बही बदलाव की बयार, सामाजिक बदलाव में बेटियां निभा रहीं अहम भूमिका

बिहार में बजट का लगभग 20 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च होता है. इस राशि का बड़ा भाग बेटियों की शिक्षा पर खर्च हो रहा है. इसके अच्छे नतीजे देखने को मिले रहे हैं. बिहार में लड़कियों की शिक्षा से टोटल फर्टिलिटी रेट में काफी कमी आई है. बाल विवाह काफी हद तक नियंत्रित हुआ है. लड़कियों के कम उम्र में मां बनने की संख्या में कमी आई है.

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Published : Apr 9, 2021, 7:23 PM IST

Updated : Apr 9, 2021, 10:04 PM IST

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लड़कियों की शिक्षा

पटना:एक लड़की पढ़ेगी तो पूरे परिवार को पढ़ाएगी. कुछ ऐसा ही कहा था स्वामी विवेकानंद ने. बिहार में विवेकानंद का यह कथन और सरकार की योजनाओं का असर अब साफ नजर आ रहा है. लड़कियां बढ़-चढ़कर स्कूल और कॉलेज में एडमिशन ले रही हैं और सामाजिक कुरीतियों से लड़कर बिहार के परिवर्तन की पटकथा लिख रही हैं.

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शिक्षा पर खर्च होता है बजट का 20 फीसदी
बिहार में बजट का लगभग 20 फीसदी हिस्सा शिक्षापर खर्च होता है. 2005 के बाद से बिहार में शिक्षा पर खर्च हो रहे इस राशि का बड़ा भाग बेटियों की शिक्षा पर खर्च हो रहा है. लड़कियों को मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना, मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना, कन्या उत्थान योजना, छात्रवृत्ति योजना और मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना का लाभ मिल रहा है. इनके अलावा भी कई योजनाएं बेटियों को स्कूल से जोड़ने के लिए चलाई जा रही हैं. इसके पीछे सरकार का लक्ष्य सामाजिक कुरीतियों को दूर करना भी है.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस बात का जिक्र कई बार कर चुके हैं कि अगर हम बेटियों को अच्छी शिक्षा देंगे और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेंगे तो वे सामाजिक बदलाव में अहम भूमिका निभा सकती हैं. बेटियां पढ़ेंगी तो वे न सिर्फ खुद का बल्कि अपने परिवार के अन्य लोगों की बेहतरी के लिए भी प्रयास करेंगी. बिहार में इसके अच्छे नतीजे भी देखने को मिले हैं.

टोटल फर्टिलिटी रेट में आई कमी
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में लड़कियों की शिक्षा से टोटल फर्टिलिटी रेट (टीएफआर) में काफी कमी आई है. इसके अलावा बाल विवाह काफी हद तक नियंत्रित हुआ है. इससे लड़कियों के कम उम्र में मां बनने की संख्या में कमी आई है, जिससे बच्चों में बौनेपन की शिकायतों में भी कमी आई है.

पिछले कुछ सालों में इसका एक पड़ा प्रभाव देखने को मिल रहा है. बिहार बोर्ड की मैट्रिक और इंटर परीक्षा में लड़के और लड़कियों के शामिल होने की संख्या करीब-करीब बराबर होती है. बिहार में कुछ सालों से मैट्रिक और इंटर के परीक्षा में टॉपर ज्यादातर लड़कियां हो रही हैं.

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सरकारी स्कूलों में शिक्षा ले रही लड़कियों ने कहा कि सरकार की योजनाओं के चलते ही हमें घर से बाहर निकलने का मौका मिला. दीपा दीक्षित ने कहा "पहले घर में माता-पिता सिर्फ लड़कों की पढ़ाई पूरी कराने पर जोर देते थे. अब सरकार लड़कियों की शिक्षा के लिए पूरा खर्च कर रही है तो माता-पिता लड़कियों को भी पढ़ने के लिए स्कूल भेज रहे हैं. उन्हें आगे पढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित कर रहे हैं."

"पढ़ लिखकर हमलोग अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहे हैं. हमें पता है कि बाल विवाह से क्या-क्या नुकसान होते हैं."- रागिनी, छात्रा

"कन्या उत्थान योजना और अन्य योजनाओं से लड़कियों में बड़ी उम्मीद जगी है. वे आगे पढ़ाई करने के लिए उत्साहित हैं और पढ़ लिखकर नौकरी के लिए भी आगे आ रहीं हैं. बिहार में प्रजनन दर कर करने में लड़कियों की पढ़ाई का बड़ा योगदान है."- आरती सिंह, छात्रा

"सरकारी योजनाओं का ही नतीजा है कि लड़कियों के नामांकन की दर में तेजी आ रही है. लड़कियों में आत्मविश्वास आ रहा है और लड़कियां मैट्रिक और इंटर में बढ़-चढ़कर अच्छे नतीजे ला रही हैं."- नूतन कुमारी, टीचर, गर्ल्स हाई स्कूल

"जिन गरीब घरों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं उनके लिए 10 हजार और 25 हजार मायने रखते हैं. अगर सरकार मैट्रिक और इंटर पास करने पर इतनी राशि देती है तो निश्चित तौर पर बच्चों के माता-पिता खुशी-खुशी उन्हें स्कूल भेजते हैं और आगे पढ़ने के लिए भी प्रोत्साहित करते हैं."- गीता कुमारी, प्राचार्य, राजकीय कन्या बालिका उच्च विद्यालय

क्या कहते हैं आंकड़े?

  • बिहार के सभी पंचायतों में उच्च माध्यमिक विद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिन 3304 पंचायतों में उच्च माध्यमिक विद्यालय नहीं थे वहां भी पढ़ाई शुरू हो चुकी है.
  • मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के अंतर्गत इंटरमीडिएट प्रोत्साहन योजना में इंटर पास करने वाली सभी कोटि की अविवाहित छात्राओं को 10 हजार रुपए की दर से डीबीटी के माध्यम से राशि दी जाती है. 2019 में इस योजना के तहत 322668 छात्राओं के बैंक खाते में कुल 322.67 करोड़ रुपए भेजे गए.
  • मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत वर्ग 7 से वर्ग 12 तक की छात्राओं को प्रति छात्रा 300 रुपए की दर से उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से राशि उपलब्ध कराई गई है. 2019 में इस योजना के तहत कुल 1945143 छात्राओं के बैंक खाते में डीबीटी के माध्यम से 58.35 करोड़ रुपए की राशि भेजी गई.
  • मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के तहत बालिका पोशाक योजना में कक्षा 9 से 12वीं तक की छात्रा को 1500 रुपए की दर से 2019 में 1092067 छात्राओं को 163.81 करोड़ रुपए उनके बैंक खाते में भेजे गए.
  • मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना के तहत कक्षा नौवीं की छात्राओं और छात्रों को प्रति छात्र 3 हजार रुपए की दर से साइकिल खरीदने के लिए राशि उनके खाते में भेजी जाती है. 2019 में इस योजना के तहत 526100 छात्र-छात्राओं के बैंक खाते में 157.83 करोड़ की राशि भेजी गई.
  • मुख्यमंत्री बालिका प्रोत्साहन योजना के तहत दसवीं की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में पास करने वाली सामान्य और पिछड़ा वर्ग की छात्राओं को 10 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. 2019 में इस योजना के तहत 56118 छात्राओं को कुल 56.12 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई.
  • सरकारी स्कूलों की छात्राओं को कक्षा 9 से 10 तक छात्रवृत्ति के तौर पर प्रति माह 150 रुपए की दर से उनके बैंक खाते में राशि दी जाती है.
  • इनके अलावा इंटर पास करने पर अविवाहित छात्रा को 25 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलती है. उच्च शिक्षा में भी सरकार ने छात्राओं को निशुल्क शिक्षा देने का प्रावधान किया है.
  • कन्या उत्थान योजना के तहत मुख्यमंत्री बालिका स्नातक प्रोत्साहन योजना में अब स्नातक पास करनेवाली छात्राओं को प्रोत्साहन के रूप में 50 हजार रुपए की राशि उपलब्ध कराई जाती है. 2019-20 में इस योजना के तहत 51163 छात्राओं के बैंक खातों में 127.91 करोड़ रुपए की राशि उपलब्ध कराई गई.
    ईटीवी भारत इन्फोग्राफिक्स

यह है सरकार का लक्ष्य
शिक्षा विभाग के अधिकारी विनोदानंद झा ने कहा "इन योजनाओं का उद्देश्य बिहार में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देना है. इसके साथ ही बाल विवाह पर अंकुश लगाना, कुल प्रजनन दर में कमी लाना और लिंग अनुपात की असमानता को समाप्त करना है. 2005 से योजनाएं बिहार में लागू की गईं. इनके अच्छे नतीजे सामने आ रहे हैं. बिहार में टोटल फर्टिलिटी रेट में काफी कमी आई है. अब लड़कियां कम उम्र में शादी नहीं कर रहीं. इंटर पास करने के बाद लड़कियों में इतनी परिपक्वता आती है कि वह अब वे वन चाइल्ड फैमिली पॉलिसी अपना रही हैं, जिसके कारण टोटल फर्टिलिटी रेट पर प्रभाव पड़ा है."

फैमिली प्लानिंग में बेहतर भूमिका निभाती हैं लड़कियां
लड़कियों की शिक्षा से सामाजिक बदलाव के संबंध में डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा "अगर लड़कियां अपनी पढ़ाई पूरी करती हैं तो इसका प्रभाव उनके परिवार और सोसाइटी पर भी दिखता है."

डॉ दिवाकर तेजस्वी

"स्वास्थ्य संबंधी मामलों में यह अक्सर देखा गया है कि अगर परिवार की महिला पढ़ी लिखी होती है तो वह फैमिली प्लानिंग में बेहतर भूमिका निभाती है. पिछले कुछ सालों में लड़कियों की पढ़ाई से यह फायदा हुआ है कि अब कम उम्र में शादियां नहीं हो रही हैं, जिससे कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से निजात पाने में मदद मिली है."- डॉ दिवाकर तेजस्वी, चिकित्सा विशेषज्ञ

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Last Updated : Apr 9, 2021, 10:04 PM IST

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