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बिहार में पुरानी पेंशन स्कीम को लेकर सियासत: विपक्ष इसे लागू करने की कर रहा मांग

बिहार में पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने को लेकर नेताओं की बीच बयानबाजी शुरू (Politics regarding old pension scheme in Bihar) हो गई है. एक तरफ जहां विपक्ष की ओर से इसे लागू करने की मांग की जा रही है. वहीं दूसरी ओर बिहार सरकार के मंत्री इस मामले पर टालमटोल सा जवाब दे रहे हैं. पढ़िये पूरी खबर.

बिहार में पेंशन स्कीम पर सियासत
पेंशन स्कीम पर सियासत

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Published : Feb 25, 2022, 11:00 PM IST

पटना:राजस्थान सरकार के पुरानी पेंशन स्कीम को लागू करने की घोषणा करने के बाद बिहार में भी सियासत शुरू (Politics In Bihar) हो गई है. बिहार में भी विपक्ष की ओर से पेंशन स्कीम लागू करने की मांग होने लगी है. आरजेडी के विधायक समीर कुमार महासेठ और माले के विधायक संदीप सौरभ ने पेंशन स्कीम लागू करने की मांग की है और इसे जरूरत बताया है. वहीं इस मामले पर बिहार सरकार के मंत्रियों का जवाब टालमटोल सा है.

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बिहार सरकार में खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम (Minister Janak Ram) ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जो भी फैसला लेंगे, वह बिहार के हित में होगा. वहीं समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि एक करोड़ लोगों को बिहार में पेंशन दिया जा रहा है और उनके अकाउंट में सीधे राशि दी जा रही है. बता दें कि कांग्रेस की तरफ से पहले से ही पेंशन स्कीम लागू करने की मांग हो रही है.

आपको बता दें कि 1 जनवरी 2004 या इसके बाद नियुक्त हुए कार्यों के लिए सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की थी. नई पेंशन सिस्टम में कर्मचारी को भी खुद ईपीएफ में पैसा कटवाना होता है. जबकि पुरानी पेंशन बहाल होने से वेतन का आधा पेंशन रिटायरमेंट के बाद मिलेगा. पुरानी पेंशन स्कीम में जीपीएफ की सुविधा थी और पेंशन के लिए वेतन से कटौती नहीं होती थी.

रिटायरमेंट पर निश्चित पेंशन यानी अंतिम वेतन का 50% निश्चित तौर पर कर्मचारी को मिलता है और पूरा पेंशन सरकार देती है. रिटायरमेंट पर ग्रेच्युटी यानी अंतिम वेतन के अनुसार 16.5 माह का वेतन भी कर्मचारी को मिलता है. सेवाकाल में मौत होने पर डेथ ग्रेच्युटी की सुविधा मिलती है. सेवाकाल में मौत होने पर कर्मचारी के आश्रित को पारिवारिक पेंशन और नौकरी मिलती है.

हर 6 महीने के बाद महंगाई भत्ता और जीपीएफ से लोन लेने की सुविधा भी पुरानी पेंशन योजना में शामिल है. 1 जनवरी 2004 से लागू नई पेंशन स्कीम की बात करें तो इसमें कर्मचारियों को ईपीएफ में अपने वेतन से प्रतिमाह 10 से 12 फीसदी की कटौती करनी होती है. जीपीएस की सुविधा भी नई पेंशन स्कीम में उपलब्ध नहीं है. इसमें निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है.

नई पेंशन का पूरा कार्यभार बीमा कंपनी को दिया गया है, जो पूरी तरह शेयर बाजार पर निर्भर है. रिटायरमेंट के बाद मेडिकल भत्ता बंद हो जाता है. मेडिकल बिल की प्रतिपूर्ति भी नहीं होती. इसमें पारिवारिक पेंशन की सुविधा उपलब्ध नहीं है और ना ही कोई लोन की सुविधा उपलब्ध है. बिहार में कई शिक्षक संघ और अन्य कर्मचारी यूनियन भी लंबे समय से ओल्ड पेंशन स्कीम को फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं. ऐसे में राजस्थान और झारखंड के बाद अब बिहार सरकार पर इस बात का दबाव है कि वह भी पुरानी पेंशन योजना लागू करें.

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