पटना:नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर पटना हाईकोर्ट (Patna high court decision Over EBC Reservation) के फैसले (Bihar Municipal Election Postponed) के बाद बिहार की सत्ताधारी दल जदयू और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी आमने-सामने है. नगर निकाय में अति पिछड़ा के आरक्षण को लेकर दोनों दल एक दूसरे को घेरने में लगे हैं. बिहार में 2015 विधानसभा चुनाव में भी आरक्षण बड़ा मुद्दा बना था और अब एक बार फिर आरक्षण को बड़ा मुद्दा बनाया जा रहा है.
पढ़ें-बिहार में अगले आदेश तक के लिए नगर पालिका चुनाव 2022 स्थगित, राज्य निर्वाचन आयोग ने लिया फैसला
बिहार में फिर आरक्षण पर विवाद : वहीं निकाय चुनाव पर रोक पर बीजेपी, नीतीश कुमार पर निशाना साध रही है. बीजेपी नेताओं का कहना है सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया था. उसका पालन नीतीश सरकार ने नहीं किया और उसके कारण ही अति पिछड़ों के आरक्षण को लेकर नगर निकाय चुनाव रुका है. वहीं जदयू का कहना है कि नीतीश कुमार ने हमेशा पिछड़ों दलितों महिलाओं को पंचायत में आरक्षण देकर आगे बढ़ाने का काम किया है. इसलिए आरक्षण की व्यवस्था के बाद ही चुनाव होगा. आरजेडी भी नीतीश कुमार का बचाव कर रही है. ऐसे हाईकोर्ट के फैसले को लेकर बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का फैसला ले चुकी है.
ओबीसी और ईबीसी पर सियासत:बिहार में कुल 205 जातियां हैं. इसे बिहार सरकार ने लिस्ट किया है. इसमें से 33 जातियां ओबीसी से हैं और 113 जातियां ईबीसी से हैं. बिहार में ओबीसी और ईबीसी का वोट प्रतिशत 51 फीसदी के आसपास है. ऐसे तो आरजेडी और जदयू जब से एक हुए हैं तभी से इन्हीं ओबीसी और ईबीसी जातियों के वोट प्रतिशत और इनके साथ मुस्लिम वोट प्रतिशत को हिसाब लगाकर 2024 और 2025 में बीजेपी के सफाया की बात की जा रही है. लेकिन यह भी सच्चाई है कि बिहार में लालू प्रसाद यादव को सत्ता से बाहर करने में नीतीश कुमार ने ईबीसी वोट को अपने पाले में कर बड़ा आधार बनाया था.
अति पिछड़ा वोट बैंक पर सभी की नजर:अति पिछड़ा वोट बैंक पर नीतीश कुमार लंबे समय से दावेदारी करते रहे हैं और इसलिए जिस गठबंधन के साथ रहे हैं अति पिछड़ा वोट बैंक उधर ही शिफ्ट होता है. ऐसे बीजेपी ने भी इस वोट बैंक पर अपनी पकड़ बनाने के लिए पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर इस वर्ग के नेताओं को मौका दिया है. साथ ही जब बिहार में एनडीए की सरकार थी तो उस समय उप मुख्यमंत्री से लेकर कई विभागों के मंत्री पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग से ही बनाए गए थे.
जदयू-बीजेपी में आरक्षण को लेकर छिड़ी जंग:निकाय चुनाव पर रोक पर बीजेपी और जदयू एक दूसरे को घेरने में लगी है. जहां बीजेपी नीतीश कुमार को इसके लिए दोषी बता रही है तो वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह से लेकर संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा तक बीजेपी और केंद्र सरकार को दोषी बता रही है. जदयू नेताओं का यह भी तर्क है कि बिहार में तो पहले से आरक्षण दिया जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला बाद में आया है. इसलिए अति पिछड़ों के आरक्षण के फैसला के बाद ही अब चुनाव होगा.