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बिहार की कड़वी सच्चाई है रोजगार और शिक्षा के लिए 'पलायन', चुनाव आते ही इस पर फिर शुरू हुई राजनीति

यह सच्चाई है कि बिहार की बड़ी आबादी रोजगार से लेकर शिक्षा तक के लिए दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर है. पिछले दिनों जम्मू कश्मीर में भी बिहार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी. महाराष्ट्र में भी अक्सर यहां के लोगों से मारपीट की घटना होती है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी बिहार के लोगों को लेकर बड़ा बयान दिया था और कई राज्यों में इस तरह की बातें सुनने को मिलती है.

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Published : Feb 18, 2022, 7:41 PM IST

पटना: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) के बिहार और उत्तर प्रदेश को लोगों को लेकर दिए गए बयान के बाद पूरे देश में इस पर खूब सियासत हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि पलायन बिहार की कड़वी सच्चाई (Migration from Bihar) है. अपने प्रदेश में नौकरी और रोजगार नहीं मिलने की वजह से लाखों लोग मजबूरन दूसरे राज्यों में पेट की खातिर जाते हैं. बिहार से लोग रोजगार और शिक्षा के लिए भी पूरे देश में पलायन करते हैं, जिसमें से सबसे अधिक 55 से 60% लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्य या देश में जाते हैं.

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बिहार सरकार ने अब तक के पलायन को लेकर कोई स्टडी नहीं कराई है, लेकिन जनरल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रोजगार के लिए 55%, व्यापार के लिए 3% और शिक्षा के लिए 3% लोग बिहार से पलायन करते हैं. बिहार से पलायन करने वाली आबादी में पंजाब जाने वाले लोगों की तादाद 6.19% है. पंजाब में सबसे अधिक कृषि कार्य में काम करने के लिए लोग बिहार से जाते हैं. साथ ही निर्माण के क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में बिहार के लोग वहां काम करते हैं.

विशेषज्ञ कहते हैं कि पंजाब की अर्थव्यवस्था में बिहारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसा नहीं होता तो कोरोना के समय बिहारियों को बुलाने के लिए सरकार की तरफ से कई तरह के प्रलोभन नहीं दिए जाते और अभी भी वहां के कुछ राजनीतिक दल प्रलोभन दे रहे हैं.

पूरे देश में बिहार में जनसंख्या का घनत्व सबसे ज्यादा है. जन्म दर भी बिहार में सबसे ज्यादा है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी भी बिहार में सबसे अधिक है और इसका बड़ा कारण है कि बिहार से बड़ी संख्या में लोग हर साल पंजाब भी जाते हैं. पंजाब में कृषि कार्यों में सबसे अधिक लोग काम करते हैं. इसके अलावा वह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी बिहार के लोगों की बहुत मांग है.

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1951 से लेकर 1961 तक बिहार के करीब 4% लोगों ने दूसरे राज्यों में पलायन किया था, लेकिन 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि 2001 से 2011 के दौरान 93 लाख बिहारियों ने अपने राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य में पलायन किया. देश की पलायन करने वाली कुल आबादी का यह 13% है, जो उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है.

2020 में जिस तरह से कोरोना ने कहर मचाना शुरू किया, दूसरे राज्यों में रह रहे बिहारी लाखों की संख्या में बिहार लौटने लगे और यह किसी से छुपा नहीं है. ऐसे तो कितने लोग पलायन करते हैं इसका कोई आंकड़ा बिहार सरकार के पास नहीं है और ना ही किसी संस्था के पास, लेकिन कोरोना के समय जिस तरह से लोग बाहर से आए उनकी संख्या 35 लाख से अधिक थी. तय है कि इससे कहीं अधिक लोग पलायन करते हैं.

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2012 में बिहार सरकार ने दावा किया था कि 2008 से 2012 के बीच पलायन में 35 से 40 फीसदी की कमी आई है. लोगों को बिहार में ही काम मिलने लगा है. पंजाब सरकार की ओर से उस समय एक पत्र भी आया था, जिसमें उनके यहां फसल कटनी के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात भी की थी और इसका नीतीश कुमार ने बढ़-चढ़कर खूब प्रचार भी किया था.

हालांकि उस समय कुछ गैर सरकारी संगठनों ने यह कहा था कि पंजाब की जगह लोग दूसरे राज्यों में जाने लगे हैं. इसमें दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र प्रमुख हैं. पलायन करने वालों में 36 फीसदी एससी/एसटी और 58 फीसदी ओबीसी समुदाय के लोग होते हैं और सबसे बड़ी बात कि 58 फीसदी गरीबी रेखा से नीचे वाले लोग प्लान करते हैं. देश में ही नहीं, देश से बाहर भी बड़ी संख्या में लोग काम के लिए जाते हैं.

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2018 की बात करें तो 42 हजार से अधिक कामगारों को इमीग्रेशन दिया गया था. पंजाब की इन दिनों फिर से चर्चा हो रही है, क्योंकि पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने बिहार और यूपी के लोगों को लेकर बड़ा बयान दिया है. हालांकि उसको लेकर फिर सफाई भी दी गई. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर बिहार के कई दलों के नेताओं ने उस पर आपत्ति दर्ज कराई है.

विशेषज्ञ प्रोफेसर अजय झा का कहना है कि पंजाब की अर्थव्यवस्था में बिहारियों की आज महत्वपूर्ण भूमिका है. कृषि के क्षेत्र हो या फिर निर्माण के क्षेत्र, यहां तक कि उनकी सामाजिक वातावरण में भी बिहारी ढल चुके हैं. बिहार के लोगों के बिना अब पंजाब की अर्थव्यवस्था की बात करना बेमानी होगी. ऐसे में पंजाब के मुख्यमंत्री का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है.

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वहीं एएन सिन्हा इंस्टीच्यूट के प्रोसेसर डॉक्टर विद्यार्थी विकास का कहना है पंजाब में रहने वाला हर 10वां आदमी प्रवासी है और उसमें बिहार और यूपी के लोग सबसे ज्यादा हैं. कृषि के क्षेत्र में सबसे अधिक लोग काम करते हैं. साथ ही कृषि आधारित उद्योग और छोटे उद्योगों में बिहार के लोग सबसे ज्यादा काम करने जाते हैं. बिहार और यूपी के लोग ना हो तो पंजाब की अर्थव्यवस्था डगमगा सकती है.

जर्नल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स के अनुसार बिहार से पलयान करने वाली कुल आबादी में महाराष्ट्र में 10.55 प्रतिशत, पश्चिम बंगाल 3.65%, उत्तर प्रदेश 10.24%, दिल्ली 19.34%, झारखंड 4.12%, गुजरात 4.79%, हरियाणा 7.67%, पंजाब 6.19% और अन्य राज्यों में 13.36% हैं. हालांकि यह आंकड़ा 2011 का है, लेकिन राज्यों में पलायन का प्रतिशत जरूर घट बढ़ सकता है. बिहार से पलायन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है.

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बिहार से पंजाब जाने वाले 50 से 60% लोग कृषि के क्षेत्र में काम करने जाते हैं. कृषि आधारित उद्योग और स्माल इंडस्ट्री में बिहार के लोग सबसे अधिक काम करते हैं. निर्माण के क्षेत्र जैसे सड़क निर्माण हो, या भवन निर्माण, या अन्य क्षेत्र उसमें भी बिहार से लोग काम करने जाते हैं. वहीं पंजाब के तकनीकी विश्वविद्यालयों में भी शिक्षा लेने के लिए बिहार से बड़ी संख्या में छात्र जाते हैं.

पंजाब के मुख्यमंत्री ने जिस तरह से बिहार और यूपी के लोगों को लेकर बयान दिया है, उस पर सियासत तेज है, हालांकि चन्नी ने अपने बयान को लेकर सफाई भी दे दी है, लेकिन उसके बावजूद यह सच्चाई है कि बिहार की बड़ी आबादी रोजगार से लेकर शिक्षा तक के लिए दूसरे राज्यों में जाने को मजबूर है. पिछले दिनों जम्मू कश्मीर में भी बिहार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी. महाराष्ट्र में भी अक्सर यहां के लोगों से मारपीट की घटना होती है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी बिहार के लोगों को लेकर बड़ा बयान दिया था और कई राज्यों में इस तरह की बातें सुनने को मिलती है.

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खासकर चुनाव के समय ये और तेज होता है और इस बार भी चुनाव के समय ही पंजाब में ऐसा बयान दिया गया है. हालांकि कुछ दलों की तरफ से बिहार के लोगों को प्रलोभन भी दिया जा रहा है. एसएडी के नेता सुखबीर सिंह बादल ने तो यहां तक कहा है कि सरकार बनने के बाद मजदूरों के खाते में ₹2000 रुपये डाले जाएंगे. कोरोना काल में भी जब बिहार के मजदूर पलायन कर गए थे, तो उन्हें बुलाने के लिए प्रलोभन दिए गए थे. लेकिन फिर भी पलायन करने वाले बिहारी सियासत के शिकार हैं.

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