पटना: पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Punjab CM Charanjit Singh Channi) के बिहार और उत्तर प्रदेश को लोगों को लेकर दिए गए बयान के बाद पूरे देश में इस पर खूब सियासत हो रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने भी इसको लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि पलायन बिहार की कड़वी सच्चाई (Migration from Bihar) है. अपने प्रदेश में नौकरी और रोजगार नहीं मिलने की वजह से लाखों लोग मजबूरन दूसरे राज्यों में पेट की खातिर जाते हैं. बिहार से लोग रोजगार और शिक्षा के लिए भी पूरे देश में पलायन करते हैं, जिसमें से सबसे अधिक 55 से 60% लोग रोजगार के लिए दूसरे राज्य या देश में जाते हैं.
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बिहार सरकार ने अब तक के पलायन को लेकर कोई स्टडी नहीं कराई है, लेकिन जनरल ऑफ माइग्रेशन अफेयर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार रोजगार के लिए 55%, व्यापार के लिए 3% और शिक्षा के लिए 3% लोग बिहार से पलायन करते हैं. बिहार से पलायन करने वाली आबादी में पंजाब जाने वाले लोगों की तादाद 6.19% है. पंजाब में सबसे अधिक कृषि कार्य में काम करने के लिए लोग बिहार से जाते हैं. साथ ही निर्माण के क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में बिहार के लोग वहां काम करते हैं.
विशेषज्ञ कहते हैं कि पंजाब की अर्थव्यवस्था में बिहारियों की महत्वपूर्ण भूमिका है. ऐसा नहीं होता तो कोरोना के समय बिहारियों को बुलाने के लिए सरकार की तरफ से कई तरह के प्रलोभन नहीं दिए जाते और अभी भी वहां के कुछ राजनीतिक दल प्रलोभन दे रहे हैं.
पूरे देश में बिहार में जनसंख्या का घनत्व सबसे ज्यादा है. जन्म दर भी बिहार में सबसे ज्यादा है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण बेरोजगारी भी बिहार में सबसे अधिक है और इसका बड़ा कारण है कि बिहार से बड़ी संख्या में लोग हर साल पंजाब भी जाते हैं. पंजाब में कृषि कार्यों में सबसे अधिक लोग काम करते हैं. इसके अलावा वह मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी बिहार के लोगों की बहुत मांग है.
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1951 से लेकर 1961 तक बिहार के करीब 4% लोगों ने दूसरे राज्यों में पलायन किया था, लेकिन 2011 की जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि 2001 से 2011 के दौरान 93 लाख बिहारियों ने अपने राज्य को छोड़कर दूसरे राज्य में पलायन किया. देश की पलायन करने वाली कुल आबादी का यह 13% है, जो उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है.
2020 में जिस तरह से कोरोना ने कहर मचाना शुरू किया, दूसरे राज्यों में रह रहे बिहारी लाखों की संख्या में बिहार लौटने लगे और यह किसी से छुपा नहीं है. ऐसे तो कितने लोग पलायन करते हैं इसका कोई आंकड़ा बिहार सरकार के पास नहीं है और ना ही किसी संस्था के पास, लेकिन कोरोना के समय जिस तरह से लोग बाहर से आए उनकी संख्या 35 लाख से अधिक थी. तय है कि इससे कहीं अधिक लोग पलायन करते हैं.
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2012 में बिहार सरकार ने दावा किया था कि 2008 से 2012 के बीच पलायन में 35 से 40 फीसदी की कमी आई है. लोगों को बिहार में ही काम मिलने लगा है. पंजाब सरकार की ओर से उस समय एक पत्र भी आया था, जिसमें उनके यहां फसल कटनी के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं और पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बात भी की थी और इसका नीतीश कुमार ने बढ़-चढ़कर खूब प्रचार भी किया था.
हालांकि उस समय कुछ गैर सरकारी संगठनों ने यह कहा था कि पंजाब की जगह लोग दूसरे राज्यों में जाने लगे हैं. इसमें दिल्ली, गुजरात और महाराष्ट्र प्रमुख हैं. पलायन करने वालों में 36 फीसदी एससी/एसटी और 58 फीसदी ओबीसी समुदाय के लोग होते हैं और सबसे बड़ी बात कि 58 फीसदी गरीबी रेखा से नीचे वाले लोग प्लान करते हैं. देश में ही नहीं, देश से बाहर भी बड़ी संख्या में लोग काम के लिए जाते हैं.
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