पटनाः सासाराम में अमित शाहसम्राट अशोककी स्मृति में सभा करने वाले थे, लेकिन हिंसा के कारण रद्द करने की बात कही गयी. बीजेपी की ओर से इसे भी भुनाने की कोशिश हो रही है. बीजेपी की तरफ से 144 लगाए जाने के कारण और पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी जाने के कारण कार्यक्रम रद्द किए जाने की बात कही गई. जदयू की तरफ से 144 लगाने की खबर को पूरी तरह से गलत बताया गया और पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने की बात भी कही गई. इस पूरे घटनाक्रम पर जदयू और बीजेपी के नेताओं की बयानबाजी जोरों पर है.
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लव-कुश वोट बैंक पर बीजेपी की नजरःदरअसल शाहाबाद का इलाका लव-कुश और राजपूत वोट बैंक के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है. पिछले साल वीर कुंवर सिंह जयंती पर अमित शाह ने बड़ा कार्यक्रम किया था. हालांकि उस समय नीतीश कुमार एनडीए में थे. अब नीतीश कुमार महागठबंधन में है और इसलिए सम्राट अशोक के बहाने लव-कुश वोट बैंक को साधने की कोशिश बीजेपी के तरफ से अमित शाह के कार्यक्रम के माध्यम से होता. कार्यक्रम अभी भले स्थगित हो गया है लेकिन अमित शाह ने नवादा की सभा में घोषणा कर दी है जल्द ही सम्राट अशोक की स्मृति में सासाराम में कार्यक्रम करेंगे.
शाहाबाद का इलाका जेडीयू के लिए महत्वपूर्ण: आपको बता दें कि शाहाबाद का इलाका इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू का तो खाता तक नहीं खुला था और इसलिए जदयू की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा को पहले पार्टी में शामिल कराया गया उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से सांसद भी रह चुके हैं और इस बार भी उनके चुनाव लड़ने की तैयारी है. उपेंद्र कुशवाहा के बाद भगवान सिंह कुशवाहा को जदयू में शामिल कराया गया. जगदीशपुर से चार बार विधायक रहे हैं भगवान सिंह कुशवाहा. कुशवाहा समाज के नेता के तौर पर पूरे शाहाबाद के चारों जिलों भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर में समाज के वोटरों पर भगवान सिंह कुशवाहा की अच्छी पकड़ मानी जाती है. जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र के दुल्हनगंज रहने वाले भगवान सिंह ने जगदीशपुर विधानसभा का चार बार प्रतिनिधित्व किया है. कुशवाहा समाज के दोनों बड़े नेता हैं.
नीतीश कुमार का आधार है लव-कुश वोट बैंक: उपेंद्र कुशवाहा ने तो अब जदयू छोड़ कर नई पार्टी बना ली है और एनडीए के पक्ष में उनके जाने की पूरी संभावना है. बीजेपी ने भी कुशवाहा समाज से आने वाले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी है. नीतीश कुमार का आधार वोट बैंक भी लव-कुश ही है. ऐसे में अपना आधार वोट बैंक खिसकने का डर भी सता रहा है. अमित शाह का सासाराम कार्यक्रम रद्द होने के बाद बीजेपी सरकार पर आरोप लगा रही है कार्यक्रम रद्द होने से किसको लाभ होगा यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि कहीं नीतीश कुमार का यह गेम प्लान तो नहीं था क्योंकि सम्राट अशोक को लेकर नीतीश कुमार भी अमित शाह पर निशाना साध रहे थे और जदयू के तरफ से भी यह कहा जा रहा था कि बिहार में सम्राट अशोक की जयंती से लेकर सम्राट अशोक कन्वेंशन सेंटर बनाने और मूर्ति स्थापित करने का काम नीतीश कुमार ने ही किया है केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया है.
बीजेपी का टारगेट लोकसभा चुनावःवहीं बीजेपी की मुश्किल इसलिए इस बार बड़ी है क्योंकि 2015 में नीतीश कुमार राजद और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़े थे और 41.84% वोट प्राप्त किया था जबकि बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए को मात्र 34.59 फ़ीसदी वोट ही मिला था और महागठबंधन ने प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी बिहार में 2014 को छोड़ दें तो लोकसभा चुनाव में उन्हीं दलों का प्रदर्शन बेहतर रहा है जो सरकार में रहता है. बीजेपी ऐसे 40 में से 36 लोकसभा सीट को टारगेट लेकर चल रही है और उसी के अनुरूप तैयारी भी कर रही है. लेकिन बीजेपी की पूरी कोशिश है 2015 में महागठबंधन को जो वोट मिला था उस में अधिक से अधिक सेंधमारी हो जाए और इसलिए लव-कुश वोट बैंक पर तो नजर है ही साथ ही दलित और सहनी वोट को साधने में भी बीजेपी लगी है.