पटना: ज्योतिष और धार्मिक मान्यता के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं इस काल को खरमास कहते हैं. इस साल 16 दिसंबर से खरमास शुरू हुआ. मान्यता है कि खरमास में कोई भी मांगलिक कार्य यानी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. ये पाबंदी पूरे एक महीने तक के लिए होती है. कुछ दिनों के बाद खरमास समाप्त होगा और 14 जनवरी को संक्रांति मनायी जाएगी. इस मौके पर दही-चूड़ा खाने और खिलाने यानी की भोज देने की परंपरा है. इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए राजनीतिक निशाना भी साधे जाएंगे. बिहार के राजनीतिक गलियारे में अभी से यह चर्चा है कि खरमास के बाद राजनीतिक उठा पटक हो सकता है.
जदयू में दही-चूड़ा भोज का इतिहास: मकर संक्रांति के मौके पर आयोजित होने वाले चूड़ा दही के भोज को लेकर अभी से बयानबाजी शुरू है. वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर जदयू की ओर से चूड़ा दही का भोज आयोजित होता रहा है. हालांकि पिछले कुछ सालों से किसी न किसी कारण से चूड़ा दही का भोज रद्द होता रहा है. पिछले साल जदयू की तरफ से उपेंद्र कुशवाहा के आवास पर चूड़ा दही का भोज होना था, उस समय उपेंद्र कुशवाहा जदयू में थे. लेकिन, शरद यादव के निधन के बाद भोज को रद्द कर दिया गया. इस बार वशिष्ठ नारायण सिंह के आवास पर दही-चूड़ा भोज आयोजित किए जाने की चर्चा हो रही है. हालांकि अभी अंतिम रूप से फैसला नहीं लिया गया है. वशिष्ठ नारायण सिंह फिलहाल दिल्ली में हैं और इस सप्ताह पटना आ जाएंगे, उसके बाद फैसला लिया जाएगा.
"दही चूड़ा भोज बिहार में सियासी हलचल पैदा करता रहा है. इस बार भी कई तरह की चर्चा है नीतीश कुमार को लेकर. क्योंकि लोकसभा चुनाव सामने है, बहुत अधिक समय अब बचा नहीं है. इसलिए जो भी फैसला लेना होगा खरमास के बाद वह दिखने लगेगा."- रवि उपाध्याय, राजनीतिक विश्लेषक