पटनाःबिहार के पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद जातिगत जनगणना को लेकर राजनीतिक दलों में श्रेय लेने की होड़ लग गई है, कोई भी दल पीछे रहना नहीं चाहता. जातिगत जनगणना की प्रक्रिया बहुत हद तक पूरी की जा चुकी थी, लेकिन कोर्ट के रोक के बाद मामला अधर में लटक गया था. अब फिर से जातिगत जनगणना शुरू होगी.
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जातिगत गणना से कितना बदलेगी बिहार की राजनीति?: पटना उच्च न्यायालय के फैसले के बाद राजनीतिक दल जातिगत जनगणना के मसले को मोड़ देने में लगे है, कोर्ट के फैसले का राजनीतिकरण भी शुरू हो गया है. जातिगत जनगणना को लेकर महागठबंधन के लोग जहां भाजपा को रॉन्ग बॉक्स में खड़ा करना चाहते हैं वहीं भाजपा की ओर से भी महागठबंधन नेताओं पर पलटवार किया जा रहा है. आपको बता दें कि बिहार के अंदर जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार थी तब जातिगत जनगणना को लेकर प्रस्ताव पारित किए गए थे और दोनों सदनों ने प्रस्ताव को मंजूरी भी दी थी.
'कोर्ट के फैसले का राजनीतिक इस्तेमाल': भाजपा विधानमंडल दल के नेता विजय सिन्हा ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है विजय सिन्हा ने कहा है कि महागठबंधन के नेता जातिगत जनगणना और कोर्ट के फैसले का राजनीतिक इस्तेमाल करना चाहते हैं महागठबंधन नेताओं को वंशवाद और परिवारवाद की चिंता है. कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा है कि जातिगत जनगणना राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए भाजपा के लोग व्यवधान उत्पन्न करना चाहते थे, लेकिन कोर्ट ने सब कुछ साफ कर दिया.