पटना: राजनीति में जरूरत और जरूरत की राजनीति का चोली दामन का साथ रहा है. सियासत के माहिर खिलाड़ी इस बात को विधिवत तरीके से जानते हैं कि राजनीति में कब क्या जरूरत बनेगी. यह किसी खबर के विश्लेषण का मामला नहीं है. बल्कि राजनीति में होने और न होने की जरूरत की समीक्षा है. बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को झारखंड में हो रहे विधानसभा चुनाव के लिए जारी हुई स्टार प्रचारकों की सूची में जगह नहीं मिली है. सियासत की इस चाल ने जब रंग पकड़ा तो सियासतदानों ने कह दिया कि जरूरत होगी, तो सुशील मोदी को चुनाव प्रचार में भेजा जाएगा.
झारखंड विधान सभा चुनाव एनडीए और बीजेपी के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन गया है. जदयू ने झारखंड में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. वहीं, एलजेपी ने 50 सीटों पर अपनी पार्टी के साथ चुनावी पारी में उतर रही है. पार्टी के सबसे पुराने साथी आजसू से भी बीजेपी का नाता टूट गया है. जदयू और एलजेपी के रूख को लेकर बीजेपी की तरफ से सफाई भी दे दी गयी कि हमारा और जदूय का गठबंधन सिर्फ बिहार तक ही है और हर पार्टी को अपनी सियासत के लिए चुनाव लड़ने का हक है.