पटना:गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे देश में एनआरसी लागू करने का ऐलान किया है. जिसके बाद प्रदेश में सियासत तेज है. एक ओर जहां एनडीए के प्रमुख घटक दल जेडीयू का स्टैंड अबतक क्लीयर नहीं है. वहीं, बीजेपी नेता लगातार एनआरसी को राष्ट्रहित में जरूरी बता रहे हैं. लोजपा ने भी इसका समर्थन किया है. लेकिन, कांग्रेस ने एनआरसी को मुसलमानों को टारगेट करने का हथियार बताया है.
विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी विपक्ष ने प्रदेश में एनआरसी को अनावश्यक बताते हुए जमकर हंगामा किया था. पहले जेडीयू ने भी कहा था कि एनआरसी की जरूरत नहीं है. लेकिन, अब नीतीश कुमार के तेवर बदले नजर आ रहे हैं. उन्होंने कहा है कि एनआरसी को लेकर अभी पार्टी का कोई स्टैंड नहीं है, चर्चा के बाद फैसला लिया जाएगा.
शीतकालीन सत्र में विपक्ष ने किया था हंगामा बीजेपी की नजर में एनआरसी राष्ट्रहित में जरूरी
बिहार सरकार के श्रम संसाधन मंत्री विजय सिन्हा ने कहा है कि बिहार में एनआरसी की जरूरत है. प्रदेश के लोग अपना हक किसी और को क्यों दें. वहीं. बीजेपी नेता विनोद सिंह का कहना है कि नियम बनेगा तो सबको मानना ही होगा. बिहार देश से अलग थोड़ी है. कानून आएगा तो पालन करना ही पड़ेगा.
विजय सिन्हा, श्रम संसाधन मंत्री लोजपा भी समर्थन में उतरी
बीजेपी की सहयोगी दल लोजपा भी एनआरसी लागू करने के पक्ष में है. लोजपा विधायक राजू तिवारी ने कहा कि बिहार में एनआरसी लागू होना जरूरी है. यह कानून देश हित में है. एनआरसी पर विपक्ष का विरोध ठीक नहीं है. बिहार के लोगों को आज उनका हक सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है.
राजू तिवारी, लोजपा विधायक कांग्रेस ने नीतियों पर उठाए सवाल
विपक्षी पार्टियों ने एनआरसी के मुद्दे पर बीते सत्र में खूब हंगामा किया था. विपक्ष ने एनआरसी को लेकर सदन चलने नहीं दिया था. कांग्रेस ने एनआरसी को मुसलमानों को टारगेट करने का हथियार कहा है. कांग्रेस के मुख्य सचेतक राजेश कुमार ने कहा है कि एनआरसी लागू करके सरकार मुस्लिमों को निशाना बना रही है. जेडीयू की चुप्पी पर सवाल खड़े करते हुए राजेश कुमार ने कहा है कि सहयोगी होने के कारण वे चुप्प हैं. उन्हें जवाब देना चाहिए.
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गृह मंत्री अमित शाह ने किया एनआरसी का ऐलान
गौरतलब है कि बीजेपी अपने एजेंडे को एक-एक कर लागू कर रही है. पार्टी एनआरसी को भी हर हाल में लागू करने की बात करती रही है. खुद गृह मंत्री अमित शाह ने कई बार इस मुद्दे को अलग-अलग मंचों से दोहराया है. ऐसे में जेडीयू के लिए विरोध का फैसला लेना आसान नहीं है. फिलहाल, जेडीयू के नेता इसपर प्रतिक्रिया देने से बचते नजर आ रहे हैं.