पटना:पद्मश्री से सम्मानित लेखक दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha) ने जब से सम्राट अशोक पर विवादित बयान (Controversial Statement on Emperor Ashoka) दिया है, तब से बीजेपी की सहयोगी पार्टी जेडीयू के तेवर आक्रामक हो गए हैं. हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जयसवाल ने जेडीयू नेताओं को ओछी राजनीति न करने की नसीहत दी.
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दरअसल, जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के तेवर आक्रामक हो गए हैं. उन्होंने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से दया प्रकाश सिन्हा से पुरस्कार वापसी की मांग की. जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भी सम्राट अशोक पर विवादित बयान को राष्ट्र का अपमान बताया है. उधर, हम प्रमुख जीतनराम मांझी भी मैदान में उतर आए. उन्होंने सम्राट अशोक पर टिप्पणी को आपत्तिजनक करार दिया.
वहीं, सहयोगी दलों के दबाव के बाद बीजेपी ने गुरुवार को पटना के कोतवाली थाने में दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी. हालांकि जेडीयू के नेता इससे संतुष्ट नहीं हैं. जेडीयू पार्लियामेंट्री बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने प्राथमिकी दर्ज कराए जाने पर ट्वीट कर कहा कि 'आई वॉश मत कीजिए, संजय जी जले पर नमक मत छिड़किए. सीधे-सीधे अवार्ड वापसी की मांग का समर्थन कीजिए, वरना ऐसे दिखावटी मुकदमों का अर्थ लोग खूब समझते हैं.'
वहीं, जीतनराम मांझी ने भी ट्वीट कर कहा कि सम्राट अशोक का अपमान सिर्फ इसलिए कर रहें है कि वह पिछड़ी जाति से थे. ऐसे सामंती लोग नहीं चाहते हैं कि कोई दलित/आदिवासी/पिछड़ा का बच्चा सत्ता के शीर्ष पर बैठे. महामहिम राष्ट्रपति से आग्रह है कि हमारे घर के प्रतीक सम्राट अशोक पर टिप्पणी करने वालों का पद्म सम्मान वापस लें.
सम्राट अशोक पर जारी सियासी घमासान पर जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा कि सम्राट अशोक के खिलाफ ऐसे बयान की सभी दलों को भर्त्सना करना चाहिए. तमाम अवार्ड वापस लिए जाने चाहिए, क्योंकि देश को कलंकित करने वाला बयान है.
"सम्राट अशोक के खिलाफ ऐसे बयान की सभी दलों को भर्त्सना करना चाहिए. तमाम अवार्ड वापस लिए जाने चाहिए, क्योंकि देश को कलंकित करने वाला बयान है"- अभिषेक झा, प्रवक्ता, जेडीयू
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वहीं, कांग्रेस ने भी इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. पार्टी प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि महापुरुषों को किसी जाति के दायरे में नहीं रखना चाहिए. कुछ नेता सम्राट अशोक को जाति विशेष का बता रहे हैं, जो अफसोस जनक है. सम्राट अशोक राष्ट्रीयता के प्रतीक हैं.
"महापुरुषों को किसी जाति के दायरे में नहीं रखना चाहिए. कुछ नेता सम्राट अशोक को जाति विशेष का बता रहे हैं, जो अफसोस जनक है. सम्राट अशोक राष्ट्रीयता के प्रतीक हैं"- राजेश राठौड़, प्रवक्ता, कांग्रेस
उधर, बीजेपी ने भी दया प्रकाश सिन्हा के बयान से किनारा कर लिया है. पार्टी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि हम किसी दया प्रकाश सिन्हा को नहीं जानते और उनका बीजेपी से कोई संबंध नहीं है. उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है.
"हम किसी दया प्रकाश सिन्हा को नहीं जानते और उनका बीजेपी से कोई संबंध नहीं है. उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है"- अरविंद सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी
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वरिष्ठ पत्रकार कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि सम्राट अशोक के नाम पर बिहार में राजनीति हो रही है. सम्राट अशोक जैसे चक्रवर्ती राजा को जाति के दायरे में नहीं रखा जा सकता है. सम्राट अशोक को ज्यादातर इतिहासकारों ने क्षत्रिय माना है, जबकि मेगास्थनीज में सम्राट अशोक के पूर्वज को शूद्र कहा गया है. सम्राट अशोक की जाति को लेकर इतिहासकारों के बीच एकमत नहीं है. बिहार के राजनेता भले ही सम्राट अशोक की जाति को लेकर सियासत कर रहे हो, लेकिन इतिहासकारों ने बहुत कुछ स्पष्ट कर दिया है. मध्यकालीन साथियों के मुताबिक मौर्य को सूर्यवंशी मांधाता से उत्पन्न बताया गया है. बौद्ध साहित्य के मुताबिक मौर्य क्षत्रिय करे गए हैं. चंद्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय से पैदा हुआ बताया गया है तो बौद्ध साहित्य विद्या विधान में बिंदुसार बैंक को क्षत्रिय बताते हैं. चाणक्य मौर्य शासक को क्षत्रिय करार देते हैं लेकिन मेगास्थनीज की राय इन लोगों से अलग है. वह चंद्रगुप्त मौर्य को शूद्र करार देते हैं.
"सम्राट अशोक जैसे चक्रवर्ती राजा को जाति के दायरे में नहीं रखा जा सकता है. सम्राट अशोक को ज्यादातर इतिहासकारों ने क्षत्रिय माना है, जबकि मेगास्थनीज में सम्राट अशोक के पूर्वज को शूद्र कहा गया है. सम्राट अशोक की जाति को लेकर इतिहासकारों के बीच एकमत नहीं है"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
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