पटना:मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) के विरोध में विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में हैं. 2024 में फिर से मोदी की वापसी नहीं हो सके इसकी कोशिश जारी है. 2024 में नीतीश खुद पीएम पद की दावेदारी नहीं कर रहे हैं और मोदी को भी किसी कीमत पर प्रधानमंत्री नहीं बनने देना चाह रहे हैं.
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विपक्ष को एकजुट कर रहे सीएम नीतीश:नरेंद्र मोदी के खिलाफ 2013 में भी नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के नाम पर ही एनडीए से अलग होकर विपक्ष को एकजुट (CM Nitish Uniting Opposition) करने की कोशिश की थी. 2014 में दिल्ली में मुलायम सिंह के आवास पर जनता परिवार के दिग्गज लंच पर जुटे थे. उसमें नीतीश कुमार के अलावे लालू यादव, शरद यादव, एच डी देवगौड़ा और मुलायम सिंह शामिल थे. गैर भाजपा गैर कांग्रेस दलों को एकजुट कर महामोर्चा बनाने की कोशिश की गई थी. मुलायम सिंह को उसका कमान देने की तैयारी थी लेकिन वह सफल नहीं हो सका. अब एक बार फिर से नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं और इस बार कांग्रेस को भी साथ लेना चाहते हैं. नीतीश कुमार की नरेंद्र मोदी से एक दशक पुरानी अदावत अभी भी जारी है.
कभी मोदी की शान में नीतीश ने कही थी ये बात: नीतीश कुमार कभी नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हैं, कभी विरोध में खुलकर उतर आते हैं. यह कोई आज की बात नहीं है. 2003 से लेकर यह सिलसिला लगातार चल रहा है. 2003 में नीतीश कुमार केंद्र में रेल मंत्री थे और गुजरात के कच्छ में एक कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. उस समय नरेंद्र मोदी की नीतीश कुमार ने जमकर तारीफ की थी और देश के पहले गैर बीजेपी नेता थे जिन्होंने कहा था कि नरेंद्र भाई मोदी अब गुजरात से निकलकर देश की सेवा करें.
गोधरा कांड के बाद नीतीश ने बना ली थी दूरी: 11 साल बाद ही नरेंद्र मोदी 2014 में देश के प्रधानमंत्री बन गए. हालांकि उससे पहले गुजरात में हुए गोधरा दंगे के बाद नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी से दूरी बनानी शुरू कर दी. 2010 बिहार विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को बिहार प्रचार करने तक आने नहीं दिया. उस समय नीतीश कहते थे कि हमारे पास सुशील मोदी के रूप में एक मोदी जब है तो दूसरे मोदी की क्या जरूरत. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को नीतीश कुमार की बात माननी पड़ी थी. नीतीश कुमार का उस समय जलवा था. बिहार में अपनी हर बात बीजेपी नेताओं से मनवा लेते थे.
कई बार आमने-सामने दिखे पीएम-सीएम:बिहार में कोसी के कुसहा में प्रचंड बाढ़ आयी थी. कई राज्यों से मदद मिली थी. गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार ने भी 5 करोड़ की राशि मदद की थी लेकिन नीतीश कुमार ने केवल इसलिए उस राशि को लौटा दिया कि नरेंद्र मोदी के साथ उनकी तस्वीर छाप दी गई थी. उसके बाद नरेंद्र मोदी को पीएम उम्मीदवार बनाए जाने का नीतीश कुमार ने विरोध किया था. यह एनडीए से अलग होने का बड़ा कारण था. उससे पहले पटना में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बैठक हुई थी. मुख्यमंत्री आवास में भोज का भी आयोजन था लेकिन नरेंद्र मोदी के भोज में शामिल होने पर नीतीश कुमार की आपत्ति थी और उसके कारण ही वह कैंसिल कर दिया गया.