पटना: बिहार में शराबबंदी 2015 से लागू है. राज्य में शराब खरीदना बेचना और पीना दंडनीय अपराध है. इसके बावजूद रोजाना इस मामले में कई गिरफ्तारियां होती रहती है. देश में आदर्श आचार संहिता लगे तकरीबन 3 सप्ताह बीत चुके हैं. इन 3 सप्ताहों में 6 लाख लीटर शराब जब्त किए गए हैं.
शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में यह पहला आम चुनाव है. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चुनाव की घोषणा के बाद शराब की खपत बिहार में बढ़नी शुरू हो गई है. इसका असर मतदान पर पड़ सकता है. प्रशासन के सामने सवाल यह खड़ा उठता होता है कि अगर आचार संहिता लगने के बाद भी इतनी भारी मात्रा में अवैध शराब कैसे लाया जा रहा है.
शराबबंदी पर राजनीतिक दल आमने-सामने
शराबबंदी पर सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी राय बड़ी बेबाकी से रखते हैं. सत्ता पक्ष यह कहते नहीं थकते कि कानून अपना काम कर रही है. और शराब के धंधा में लिप्त सभी तरह के लोग जेल भेजे जा रहे हैं. वहीं जेडीयू नेता देश कुमार कहते हैं कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है. सभी राजनीतिक दलों को यह नहीं भूलना चाहिए कि सबकी सहमति से या कानून लागू किया गया था. अभी से प्रदेश में आचार संहिता लागू है. कानून-व्यवस्था चुनाव आयोग के हाथों में है लेकिन शराब तस्करी में लिप्त किसी भी तरीके के लोगों को बख्शा नहीं जा सकता.