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केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा को लेकर सियासत, JDU में असमंजस की स्थिति - केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा

बिहार के केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा (MP Quota in Kendriya Vidyalayas) को लेकर राजनीतिक दलों के बीच मतभेद है. बीजेपी में ही दो सांसद आमने-सामने हैं. वहीं, बिहार के राजनीतिक दलों ने भी अपनी राय व्यक्त की है. आरजेडी ने खुले तौर पर इसे जारी रखने की वकालत की है, जबकि जेडीयू में इसको लेकर असमंजस साफ नजर आ रहा है.

केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा
केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा

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Published : Mar 31, 2022, 9:29 PM IST

पटना:केंद्रीय विद्यालयों में सांसद कोटा (MP Quota in Kendriya Vidyalayas) को लेकर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है. कुछ सांसद जहां केंद्रीय विद्यालयों में सांसदों के कोटे से विद्यार्थियों के होने वाले नामांकन की व्यवस्था को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, वहीं कई सांसद कोटा में निर्धारित 10 की संख्या को बढ़ाने की वकालत कर रहे हैं. बिहार में भी अलग-अलग दलों की अलग-अलग राय है. बीजेपी सांसद सुशील मोदी कोटा खत्म करने के पक्ष में है, जबकि आरजेडी इसको जारी रखने की बात कर रहा है. वहीं जेडीयू इसको लेकर अबतक स्पष्ट कहने से बच रहा है.

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आरजेडी ने किया कोटा का समर्थन: आरजेडी ने केंद्रीय विद्यालय में सांसद कोटा का समर्थन किया है. विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि सांसदों के लिए निर्धारित कोटा जरूरी है. इसके साथ छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे गरीब के बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ने का मौका मिलता है. वहीं कोटा खत्म करने की बीजेपी सांसद सुशील मोदी की मांग पर उन्होंने कहा कि मीडिया की सुर्खियों में बने रहने के लिए वह ऐसे सवाल उठाते हैं, उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए.

बीजेपी में दो राय: वहीं, बीजेपी में इसको लेकर दो तरह की राय दिखती है. पिछले दिनों सुशील मोदी ने शून्य काल के दौरान कोटा को खत्म करने की मांग की थी, जबकि बिहार से ही राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय विद्यालय में सांसद कोटा समाप्त करने की बजाय कोटा बढ़ाने का आग्रह किया है. बीजेपी विधायक अरुण शंकर ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय में कोटा जरूरी है, बशर्ते उसका सही इस्तेमाल हो. उन्होंने कहा कि अगर कोटे के तहत गरीब बच्चों का नामांकन होता है तो ठीक है, नहीं तो कोटे को समाप्त किया जाना चाहिए.

जेडीयू में असमंजस: हालांकि कोटा को लेकर जेडीयू में असमंजस साफ दिख रहा है. बिहार सरकार में ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव (Energy Minister Bijendra Yadav) ने कहा कि सांसदों के लिए कोटा निर्धारित है और इस पर बहस भी चल रही है लेकिन केंद्र सरकार को अंतिम फैसला लेना है. जब उनसे कोटा समाप्त करने या फिर कोटा बढ़ाने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि विवादास्पद मसलों पर मैं कोई भी प्रतिक्रिया नहीं दूंगा.

'जीना हुआ हराम, इसे खत्म कीजिए': आपको बता दें कि शुक्रवार को सुशील मोदी ने शून्य काल के दौरान इस मामले को उठाते हुए कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में हर एक सांसद के कोटे से 10 और विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के कोटे से 17 विद्यार्थियों के नामांकन का प्रावधान है, जिसे समाप्त किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सांसदों के केंद्रीय विद्यालय में कोटा होने के कारण बड़ी संख्या में लोग प्रतिदिन उनसे मिलने आते हैं. रोज कई फोन आते, जिसके कारण अलग समस्या उत्पन्न हो जाती है. जीना मुश्किल हो गया है, जीना हराम कर दिया है. हालांकि, इस कोटे से वे सिर्फ 10 छात्रों का दाखिला करा सकते हैं. लेकिन सैकड़ों की संख्या में लोग रोज इसके लिए पहुंच जाते हैं. इसी के कारण वह इस कोटे को बढ़ाने की नहीं बल्कि समाप्त करने की मांग कर रहे हैं.

सांसद कोटा बढ़ाने की मांग:वहीं बिहार से राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर ने बुधवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान केंद्रीय विद्यालय (केवी) में सांसद कोटा समाप्त करने की बजाय कोटा बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि सिर्फ 10 सीट होने के कारण सांसद जनता की अपार मांग के दबाब में परेशान हैं. वहीं, इस पर सरकार ने कहा कि केंद्रीय विद्यालयों में कोटा व्यवस्था के बारे में कोई फैसला सभी सांसदों के साथ विमर्श के बाद किया जाएगा.

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